चंडीगढ़ (अश्वनी चावला)। बेअदबी मामले में पंजाब सरकार द्वारा गठित एसआईटी जांच टीम खराब नीयत और राजनैतिक आकाओं के इशारे पर जांच कर रही है। पुलिस अधिकारी निष्पक्ष जांच करने की बजाए, नेताओं को खुश करने के लिए कानून से उल्ट कार्रवाई कर रहे हैं। पंजाब विधान सभा में सीबीआई से जांच वापिस लेने का पारित किया गया प्रस्ताव भी असंवैधानिक है, क्योंकि न्याय प्रणाली में कार्यप्रणाली का सीधा कोई भी दखल नहीं होता है। उसी प्रस्ताव को आधार बनाकर पंजाब सरकार ने सीबीआई से जांच वापिस लेने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया, जो बिल्कुल गलत है।
इस तरह से जांच वापिस लेने के लिए नोटिफिकेशन जारी ही नहीं किया जा सकता। इस सभी मामले में पंजाब सरकार ने संविधान और कानून के उलट कार्रवाई की है। जिस कारण पंजाब सरकार की इस गैर-कानूनी कार्रवाई को खत्म करते हुए फिर से जांच सीबीआई को सौंपी जाए, ताकि निर्दोषों को इस मामले में नामजद न किया जा सके। इस संबंधी दायर याचिका की सुनवाई दौरान मंगलवार को पूज्य संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की तरफ से पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई दौरान सीनियर एडवोकेट आर वैकेंट रमन, एडवोकेट अमित तिवाड़ी पेश हुए।
एडवोकेट अमित तिवाड़ी ने बताया कि जब हम इस मामले की पृष्टभूमि में जाएंगे तो नवंबर 2015 में पंजाब सरकार ने बेअदबी के मामले को पंजाब पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपा था, ताकि सही जांच हो सके। फिर सीबीआई मामले की जांच कर रही थी, तो अचानक 2018 में पंजाब सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया कि हम सीबीआई से जांच करवाने संबंधी दी गई सहमति को वापिस ले रहे हैं। पंजाब सरकार के इस फैसले में हमें कोई परेशानी नहीं थी, क्योंकि इस मामले के साथ पूज्य संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का कोई लेना-देना नहीं था। मामले की जांच पंजाब सरकार द्वारा बनाई गई एसआईटी ने शुरू कर दी लेकिन अचानक जुलाई 2020 में प्रदीप शर्मा नाम व्यक्ति के बयान लिए जाते हैं। इस दौरान चार अन्य लोगों के नाम मामले में जोड़ दिए जाते हैं। इनमें पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का नाम भी जोड़ा गया और अक्टूबर 2020 में इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी जाती है।
अमित तिवाड़ी ने आगे कहा कि हमारी तरफ से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है कि यह नोटिफिकेशन गैर-कानूनी है। इस याचिका में हमने यह भी बताया कि एसआईटी निष्पक्ष जांच करने की बजाए राजनैतिक दबाव में काम कर रही है। इसीलिए एसआईटी की जांच पर उन्हें कोई भरोसा नहीं है। इस मामले में उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है, जिनका किसी भी पहलू से इस मामले में कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि तीन जुलाई 2020 को प्रदीप शर्मा अपने बयानों में 3-4 लोगों का नाम लेता है, इस प्रदीप शर्मा के बयान सीबीआई ने भी लिए थे। जिसके बाद जो 3-4 लोगों को प्रदीप शर्मा के बयान पर गिरफ्तार किया जाता है तो उन पर दबाव बनाया गया कि पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का नाम लिया जाए। जब उन्होंने बाद में नाम नहीं लिया तो फिर से प्रदीप शर्मा को छह जुलाई को बुलाया जाता है तो फिर प्रदीप शर्मा कहता है कि मैं उस दिन भूल गया था कि पूज्य गुरू जी के कहने पर सब कुछ हुआ है।
अमित तिवाड़ी ने बताया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार की सुनवाई दौरान पंजाब सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्टेटस रिपोर्ट की मांग की है ताकि हाईकोर्ट को जानकारी मिल सके कि यह जांच किसी तरह से दबाव में और गलत तरीके से हो रही है या फिर नहीं।
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