फरीदकोट। बेअदबी (Sacrilege case) की घटनाओं के मामले में फरीदकोट अदालत ने 2015 में गिरफ्तार किए गए दो भाईयों जसविंद्र सिंह और रुपिंद्र सिंह की गिरफ्तारी और रिहाई संबंधी पंजाब सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने यह आदेश डेरा सच्चा सौदा के वकीलों द्वारा डाली गई अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया। बता दें कि वर्ष 2015 में बेअदबी की घटनाएं होने के बाद पंजाब पुलिस द्वारा की गई जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि जसविंद्र सिंह और रुपिंद्र सिंह निवासी गांव पंजगराई जिला फरीदकोट का बेअदबी मामले में हाथ है।
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इन दोनों व्यक्तियों की बातचीत की एक आॅडियो सामने आई थी जिसमें यह दोनों भाई पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अंग अपने पास होने के बारे में बात कर रहे थे। उस समय एडीजीपी इकबाल सिंह सहोता ने बकायदा प्रेस कान्फ्रेंस करके इस बात का खुलासा किया था कि पुलिस ने बेअदबी का मामला हल कर लिया है। सहोता ने आॅडियो जारी करते हुए बताया था कि पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की अंगों की चोरी इनके द्वारा की गई थी। इन आरोपों के आधार पर पुलिस इन इन दोनों भाईयों को गिरफ्तार कर लिया था परंतु कुछ संगठनों के दबाव के बाद इन्हें रिहा कर दिया गया।
अब डेरा सच्चा सौदा के वकीलों ने फरीदकोट अदालत में अर्जी देकर मांग की है कि पुलिस वह सारा रिकॉर्ड मुहैया करवाए जिसके आधार पर पंजाब पुलिस ने जसविंद्र और रुपिंद्र को मामला दर्ज करके गिरफ्तार किया था और इस तरह रिहाई के लिए जो रिकॉर्ड है वह भी सौंपा जाए। डेरा सच्चा सौदा के वकील पहले भी प्रेस में इस बात का खुलासा कर चुके थे कि जसविंद्र और रुपिंद्र ने वर्ष 2015 में पंजाब पुलिस के पास अपना इकबालनामा भी किया था। उस समय मामले की जांच कर रहे डीआईजी रणबीर सिंह खट्ड़ा ने भी यह बात मीडिया के सामने स्पष्ट की थी कि पवित्र श्री गुरू गं्रथ साहिब जी के अंग इन दोनों भाईयों के पास थे। डेरा सच्चा सौदा के एडवोकेट केवल सिंह बराड़ ने बताया कि अदालत ने पंजाब सरकार से जसविंद्र सिंह और रुपिंद्र सिंह की इस मामले में संलिप्तता संबंधी जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 22 सितम्बर को होगी।
सुने- दोनों भाइयों का कबूलनामा | Sacrilege case
बरगाड़ी बेअदबी में थी जसविन्द्र व रूपिन्द्र की भूमिका | Sacrilege case
पंजाब में अमन, शांति को भंग करने के लिए वर्ष 2015 में बरगाड़ी में पावन श्री गुरुग्रंथ साहिब जी की बेअदबी की घटनाओं को देशविरोधी तत्वों ने अंजाम दिया था। इस साजिश में दो सगे भाई शामिल थे और उन्हें फंडिंग बाहर से की जा रही थी। यह खुलासा खुद एसआईटी के इंचार्ज रहे एडीजीपी इकबालप्रीत सिंह सहोता ने किया था। वर्तमान में डीजीपी पंजाब इकबालप्रीत सिंह सहोता, जो कि तब एडीजीपी थे ने कहा था कि पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के कुल सात केस दर्ज किए गए थे, जिनमें से 5 को सुलझाने का उन्होंने दावा किया था। इन पाँच केसों में बरगाड़ी केस में दो आरोपियों रूपिन्द्र सिंह और जसविन्द्र सिंह को एसआईटी ने गिरफ्तार किया। ये दोनों भाई हैं, निवासी पंजगंराई खुर्द, थाना समालसर मोगा है। उन्होंने आगे कहा कि जांच में पता चला है कि इन दोनों भाइयों की विदेश में बात हो रही थी और कोई कॉन्सपिरेसी (षड्यंत्र) चल रही थी और पैसे का लेनदेन चल रहा था। इन दोनों से पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहिब जी के कुछ अंग भी बरामद हुए, जो कि गुरुद्वारा सहिब से ये लेकर गए थे।
एडीजीपी सहोता ने कहा कि कानून के अनुसार जब हमने इन दोनों भाइयों की पहले वाली कॉल्स इंटरसेप्ट की तो ये सामने आया कि इन्होंने फोन पर पवित्र गुरु साहिब जी के अंगों की बात की थी और वो बात हमने आज (तब) सभी को सुनाई है। जिससे साफ जाहिर होता है कि इन्होंने ये घिनौना काम किया है। कॉल में हुई बात को लेकर एडीजीपी सहोता ने कहा कि ये बात दोनों भाइयों रूपिन्द्र सिंह और जसविन्द्र सिंह के बीच हुई थी।
कॉल इस प्रकार है –
रूपिन्द्र:- ‘‘हाँ, तेरे कोल अमना आवेगा, आपने घर उसदे नाल कोई बंदा आवेगा, उसनूं मिलाना है तूं मेरे नाल, किवें करिए।
जसविन्द्र:- ऐंवे ही गल्ल बाहर निकल जांदी है।
रपिन्द्र :- कम्म बहुत जरूरी है, उसदे कोल महाराज दा समान पेया है अंग’’
जसविन्द्र : केहड़े जेहड़े पाड़े ए, के जेहड़े बाकी।
रूपिन्द्र:- बस अगहा नी गल करीदी, फेर हुण।
एडीजीपी सहोता ने कहा कि इन बातों के अलावा इनकी दुबई और आस्ट्रेलिया में भी बात की हुई मिली है। इससे साफ जाहिर होता है कि यहां पर कोई विदेशी षड्यंत्र के तहत साजिश रची जा रही है।
आस्ट्रेलिया से आई कॉल पर रूपिन्द्र के साथ हुई बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट:
नामालूम व्यक्ति : जां तो अपना नंबर देदे, असीं तां बाहर आ नहीं सकदे, मैं कहंदा हां किसे होर दे हथ ना लग जावे जो भेजनी है।
रुपिंदर:- मै कहंदा हां किसे होर दे हथ ना लग जावे जो भेजनी है
नामालूम व्यक्ति : मैं जां ता एदा करदा हां के तेरे हथ देके जाण घरे,
रूपिन्द्र : मैं तोहानूं एकाउंट भेज देंदा हां, नाल ही सिंहा नूं एटीएम दे देयांगा, जिवें-जिवें सेवा होई, ओवी देई जाणगे।
नामालूम व्यक्ति : तूँ मैंनू अपना अकाउंट भेज, मैं उस च’ पवा देंदा हां।
रूपिन्द्र : मैं तोहाड़े नाल पर्सनल गल करनी सी गी, मैं किते बैठा हां, मैं व्हाटसेप से मैसेज करांगा ते 85985 तो मिस कॉल करूंगा, ते तुस्सी काल करयो।
ना मालूम व्यक्ति : मेरा वीर जरूर करीं, सानूं सबनूं बहोत फिक्र है। तूं नेहड़ला बंदा तूं ही है, जिस तो कोई गल बात पता लगदी है। इस बातचीत के बाद जब पत्रकारों ने एडीजीपी सहोता से पूछा कि इससे क्या पता चलता है तो उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि ये सब पंजाब का माहौल खराब करने के लिए किया गया है।
उन्होंने कहा कि विदेशों में जो पैसे की बात हो रही है, उससे लगता है कि विदेशों में पंजाब की अमन शांति को नुक्सान पहुंचाने की घिनौनी साजिशें रची जा रही हैं।
इसके साथ ही एडीजीपी सहोता ने कहा था कि मैं सभी से इन घिनौनी साजिशों को नाकाम करने के लिए सहयोग मांगता हूँ। बरगाड़ी के अलावा बेअदबी की अन्य वारदातों पर एडीजीपी सहोता ने कहा था कि इन सभी घटनाओं का सिलसिला बरगाड़ी के बाद ही शुरू हुआ था। इस षड्यंत्र में जो विदेशी हाथ हैं, उसे मुख्य मानकर ही हम जांच कर रहे हैं।
इसके बाद डीआईजी रणबीर खटड़ा के नेतृत्व वाली एसआईटी के द्वारा पंजाब पुलिस ने डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु कोटकपूरा निवासी महेन्द्रपाल ‘बिट्टू’ को कथित तौर पर यातनाएं देकर आरोपी बनाया, जिसका बाद में एक षड्यंत्र के अर्न्तगत नाभा की हाई सिक्योरिटी जेल में मर्डर करवाया गया, सवाल यह उठता है कि इस पूरे घटनाक्रम में पंजाब पुलिस किस के इशारे पर व क्यों केस को डेरा सच्चा सौदा की ओर मोड़ रही है?
उधर डेरा सच्चा सौदा के द्वारा माननीय हाईकोर्ट में पंजाब पुलिस के द्वारा पिछले दिनों पूज्य गुरू जी के मांगे गए प्रोडक्शन वारंट का विरोध करते हुए घटनाओं का न केवल जिक्र किया बलिक माननीय हाईकोर्ट को बताया कि ये राजनीतिक स्वार्थों के चलते हो रहा है और जानबूझकर पंजाब पुलिस पूज्य गुरू जी को बदनाम करने की साजिश के चलते उक्त बेअदबी केस में नामजद करने की कोशिश कर रही है जबकि पूरा मामला विदेशी षड्यंत्र है, जिसका खुलासा स्वयं पंजाब पुलिस कर चुकी है। इस षड्यंत्र में अब पुलिस लीपापोती कर चुकी है और राजनीतिक इशारों पर डेरा सच्चा सौदा के विरुद्ध कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा रहा है। पुलिस की लीपापोती कैसे है? ये आप रूपिन्द्र व जसविन्द्र की पुलिस कस्टडी एवं कोर्ट में हुई कार्यवाही से समझ सकते हैं।
1. बरगाडी में बेदबी की घटनाएं पहली बार अक्तूबर 2015 में सामने आई।
2. पंजाब पुलिस ने 20 अक्तूबर 2015 को रूपिन्द्र व जसविन्द्र के नाम के दो आदमियों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने पुलिस पूछताछ में बताया कि उन्होंने बेअदबी की है, क्योंकि डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु जी के श्री अकाल तख्त से माफी दे दी गई है। इससे उनकी भावनाएं आहत हुई, तत्पश्चात उन्होंने बेअदबी की घिनौनी घटना को अंजाम दिया।
3. रूपिन्द्र व जसविन्द्र के लाई डिटेक्शन टेस्ट के लिए जब पुलिस ने अदालत में अर्जी दी तब अदालत ने दोनों आरोपियों से उनका लाई डिटेक्शन टेस्ट देने या न देने के बारे में स्वीकृति चाही तब रूपिन्द्र व जसविन्द्र दोनों ने लाई डिटेक्शन करवाने से इनकार कर दिया, ये इशारा करता है कि वो अपना जुर्म छुपा रहे हैं।
4. पुलिस ने तब अचानक से जांच रोककर दोनों आरोपियों को छोड़ देने की अदालत में अर्जी लगाई, क्यों? यहां वर्णनीय है कि पंजाब पुलिस की उस अर्जी पर माननीय अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वह आरोपी रूपिन्द्र व जसविन्द्र को पुलिस की अर्जी पर महज छोड़ रहे हैं, इसका यह मतलब नहीं है कि इन्हें दोषमुक्त किया जा रहा है।
5. आज छह साल बाद भी बेअदबी केस में रूपिन्द्र व जसविन्द्र के विरुद्ध जांच क्यों रूकी हुई है?
6. बरगाडी बेअदबी केस की जांच कर रहे मौजूदा एसआईटी चीफ एसपीएस परमार ने क्या रूपिंद्र व जसविंद्र से कोई पूछताछ की है? अगर नहीं तो उनसे पूछताछ क्यों नहीं की जा रही?
7.Sacrilege case में रूपिंद्र व जसविंद्र क्या आज भी अपना लाई डिटेक्शन टेस्ट करवाने के लिए तैयार हैं?
वर्णनीय है कि उक्त बेदअबी मामले में डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु अपना लाई डिटेक्शन टेस्ट (पॉलीग्राफ ) करवा चुके हैं जिस आधार पर डेरा श्रद्धालुओं को बेअदबी के मामले में सीबीआई क्लीन चिट दे चुकी है।
8. क्या पंजाब पुलिस इस बात से इनकार कर सकती है कि रूपिंद्र व जसविंद्र ने पुलिस के समक्ष बेअदबी करना नहीं कबूल किया था?
ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनके जवाब पंजाब पुलिस आजतक आमजन व अदालत को नहीं दे पाई है।
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