महाशहीद लीली कुमार इन्सां पर विशेष
सच्चाई पर चलने वाले व्यक्ति दहशतगर्दों के क्रूर इरादों के समक्ष कभी नहीं झुकते। ऐसे इन्सान सच्चाई के लिए प्राणों की परवाह नहीं करते। ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी थे महाशहीद लिल्ली कुमार इन्सां।
उनकी शहादत भी सच के लिए अडिग और समर्पण की भावना की अद्भुत मिसाल है। महा शहीद लिल्ली कुमार इन्सां का जन्म 27 जुलाई 1968 को मोहन लाल इन्सां के घर सत्यादेवी इन्सां की कोख से गांव मघाणियां, जिला मानसा में हुआ। वे बचपन से ही धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति थे।
महा शहीद लिल्ली कुमार इन्सां ने प्राथमिक शिक्षा गांव मघाणियां और पांचवीं से लेकर दसवीं तक निकटवर्ती गांव रामगढ़ शाहपुरिया में पूरी की। सन् 1974 में लिल्ली कुमार ने अपने माता-पिता के साथ शाह मस्ताना जी धाम सरसा में परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से नाम की अनमोल दात प्राप्त की।
लिल्ली कुमार ने सन् 1984 में आगामी पढ़ाई के लिए प्रीत कॉलेज बुढलाडा में दाखिला लिया और यहां 12वीं तक की पढ़ाई की। बी.ए. तक की पढ़ाई उधम सिंह कॉलेज सुनाम में करके एम.ए. के लिए नेहरू कॉलेज मानसा में दाखिला लिया। एम.ए. फाइनल की पढ़ाई बीच में छोड़कर वे डेरा सच्चा सौदा में बतौर सत्ब्रह्मचारी सेवादार तन-मन से मानवता की सेवा में जुट गए।
सन् 1991 में उनके बड़े भाई पुरूषोत्तम सिंह की मौत होने पर परिजन खुद को अकेला महसूस करने लगे और उनकी माता सत्यादेवी इन्सां ने परम पिता जी से आशीर्वाद लेकर लिल्ली कुमार इन्सां को घर ले गए और इसके बाद वे अपने परिवार के साथ मघाणियां में आकर रहने लग गये।
19 जनवरी 1992 को लिल्ली कुमार इन्सां की शादी बरेटा निवासी ब्रह्मदेव की सुपुत्री कुलविन्द्र कौर इन्सां से हुई। उनके घर पुत्री रमनप्रीत कौर, अमनजोत और बेटे प्रभजोत ने जन्म लिया। लिल्ली कुमार इन्सां को सन् 1994 में नहरी विभाग में पटवारी की नौकरी मिली।
कुछ समय मघाणियां में बिताने के बाद 1996 में पत्नी और बच्चों सहित बोहा में रहने लगे। 1999 में गांव आलमपुर मंदरा में एक पब्लिक स्कूल खोला। सन् 2000 में परिवार सहित बोहा को छोड़कर आलमपुर मंदरा में आकर रहने लग गए।
लिल्ली इन्सां बोहा, मघाणियां आदि के कई गांवों में ड्यूटी करते और उनकी धर्मपत्नी कुलविन्द्र कौर इन्सां स्कूल चलाती। आलमपुर मंदरां रहते हुए ब्लॉक की साध-संगत ने उनके समाज भलाई के कार्यों को देखते हुए जिला पन्द्रह मेंबर बनाया। उन्होंने ब्लॉक बोहा के अलावा मानसा जिले के सभी ब्लॉकों के सहयोग से जून 2009 को नामचर्चा घर के निर्माण कार्य की सेवा पूरी करवाई।
परंतु धर्म के तथाकथित ठेकेदारों व शरारती तत्वों को मानवता की सेवा सहन नहीं हुई और 28 जुलाई 2009 को गांव चकेरियां (मानसा) के नजदीक लिल्ली कुमार को अपनी गोलियों का शिकार बना लिया। यह समाचार सुनते ही पूरे पंजाब में शोक की लहर दौड़ गई।
हजारों की संख्या में साध-संगत उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए मानसा में पहुंची। 30 जुलाई को महाशहीद की देह का अंतिम संस्कार शाह सतनाम जी अमनपुरा धाम मानसा में किया गया।
बेशक आज महाशहीद लिल्ली कुमार इन्सां भौतिक रूप में हमारे बीच नहीं रहे परंतु उनके द्वारा किए गए मानवता भलाई के कार्य हमारे लिए सदैव मार्ग दर्शन करते रहेंगे। धार्मिक स्वतंत्रता के लिए शहीद हुए लिल्ली कुमार इन्सां की याद में ……… बोहा (मानसा) स्थित नामचर्चा घर में नामचर्चा का आयोजन किया जा रहा है।
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