बैग भार के लिए तय किये गये है नियम | Kaithal News
कैथल (सच कहूं/कुलदीप नैन)। Kaithal News: समय दोपहर 1 बजे, 43 डिग्री तापमान, चिलचिलाती तेज धूप और पीठ पर लदा 5 से 10 किलो वजन ……….यहाँ बात किसी मजदूर या खेत में काम करने वाले किसान की नहीं हो रही बल्कि बात हो रही उन मासूमो की जो देश का भविष्य कहलाते है। जी हा …..इस गर्मी के बीच बच्चों को भारी स्कूल बैग परेशान कर रहा है। सुबह और दोपहर के समय बच्चे अपने भारी भारी बैग लेकर घर से स्कूल और स्कूल से घर की तरफ आते दिख जाते हैं। कुछ बच्चे स्कूल बस से लेकर ऑटो, रिक्शा में जाते हैं लेकिन अधिकतर बच्चे ऐसे हैं जो की पैदल घर से स्कूल की दूरी तय करते हैं। Kaithal News
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ऐसे में छोटे-छोटे बच्चों के 5 से 10 किलो के यह बैग बच्चों के कंधों पर असर डाल रहे हैं। इस बीच रोजाना बढ़ता तापमान भी कई दिक्कतें दे रहा है। जहां बच्चे बीमार हो रहे हैं तो वही डिहाइड्रेशन की भी परेशानी बढ़ रही है जबकि नियमों के अनुसार बच्चों के स्कूल बैग का भार तय किया गया है लेकिन नए सत्र के शुरू होने के साथ ही स्कूलों द्वारा यह नियम फॉलो नहीं किया जा रहा। समय के साथ भारी बैग ले जाने के प्रभाव के कारण अक्सर बच्चों को पीठ दर्द का अनुभव होता है, लड़कियों को आमतौर पर लड़कों की तुलना में अधिक दर्द का अनुभव होता है। विशेष रूप से भारी स्कूल बैग ले जाने वाले बच्चों में अक्सर आगे की ओर सिर रखने की मुद्रा विकसित हो जाती है |
नियमों को किया जा रहा अनदेखा | Kaithal News
सरकारी और निजी स्कूलों के लिए नियम तय किए हुए है । बावजूद इसके नियमों को अनदेखा ही किया जा रहा है। इन बच्चों के बैग का भार इन्हें बैक पेन जैसी समस्याओं को जन्म दे रहा है। जो आने वाले दिनों में छात्रों के लिए और अधिक परेशानी खड़ी कर सकता है। खासतौर पर निजी स्कूलों में बैग के बढ़ते बोझ के कारण कम उम्र में ही बच्चों को ऑथर्थोपेडिक बीमारी से जूझना पड़ रहा है। प्राइमरी और मिडिल विंग के बच्चों पर बैग का भार बहुत अधिक बढ़ है, जिससे पैरंट्स भी काफी परेशान हैं। दरअसल, सरकार के आदेशों के बाद तय हुआ था कि स्कूली बच्चों का वैग का भार क्लास के अनुसार होगा। जिसे कई स्कूलों की ओर से लागू ही नहीं किया गया। शिक्षा विभाग की ओर से भी इसकी जांच नहीं की जा रही हैं।
अभिभावकों ने कहा बैग का भार किया जाए कम | Kaithal News
शहर के अलग अलग सेक्टरो में रहने वाले अभिबावको से जब इस बारे में चर्चा की गयी तो उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि स्कूलों द्वारा कितावों से ज्यादा एक्टिविटी वुक मंगवाई जाती हैं। इससे बैग का भार लगातार वढ़ता जाता है, इस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है। अलग-अलग प्रोजेक्ट को लेकर भी स्टेशनरी का भार बढ़ रहा है। ऐसे में स्कूलों में शिक्षकों को ध्यान देना होगा कि पाठ्यक्रम के अलावा अन्य अनावश्यक पुस्तकें न लगाएं। जिन पुस्तकों की जरूरत घरों में पढ़ाई के दौरान नहीं पड़ती, उनको स्कूलों में ही रखने की व्यवस्था करनी चाहिए।
बच्चों में बढ़ रहीं ये परेशानियां
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो कम उम्र में कंधों पर अधिक बोझ उठाने से आगे की तरफ झुक जाते हैं। भारी बैग के कारण पीठ व गर्दन के दर्द की परेशानी सामने ज्यादा आ रही है। भारी स्कूल बैग गर्दन की मासपेशियां खिचती है, गर्दन के दर्द के कारण रीढ़ की हड्डी के पीछे तकलीफ होती है। Kaithal News
नियमानुसार इतना होना चाहिए बैग का भार
■ पहली और दूसरी क्लास -1.5 kg
■ तीसरी से पांचवी – 2 से 3 kg.
■ छठी और 7वीं – 4 kg
■ 8वी और 9वीं – 4.5 kg
■10वीं के लिए – 5 किग्रा
बच्चो के बैग भार के लिए नियमों को तय किया गया है। सरकारी स्कूल में तो छोटे बच्चो को बैग फ्री करने का सोचा जा रहा है। ताकि उनको खेल खेल में ही शिक्षा दी जाए और उनके उपर किसी तरह का शारीरिक और मानसिक बोझ न आये। सभी स्कूलों को नियमो का पालन करना चाहिए, शिकायत आने पर स्कूलों पर कार्रवाई भी की जाएगी। निजी स्कूल संचालक भी बच्चो के बैग भार का ध्यान रखे ताकि बच्चो का सही तरीके से विकास हो, वो अपने उपर बोझ महसूस न करे।
डॉ विजय लक्ष्मी, जिला शिक्षा अधिकारी, कैथल