बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने जब रूहानी मजलिस में साध-संगत को एक भजन सुनाया। पूज्य गुरु जी के भजन के दौरान देश व विदेश की साध-संगत खुशी से झूम उठी।
कीमती है ये समां, इसे लगाता कहाँ।
सत्संग में आ जा, फायदा उठा जा,
देखे जो सब नाशवां। कीमती है…
1. जन्म मुश्किल पाय है, अनमोल हीरा बताया है।
चौरासी चक्कर लगाया, फिर यह हाथ में आया है।
हाथ से जाएगा, वापिस न आएगा,
मिले यह बार बार ना। कीमती है…
2. पूँजी स्वासों की लाया, ठगों को माल ठगाया।
बनके व्यापारी आया, सच्चा वणज न कमाया।
क्या तू कमाया, किस लिए आया,
सौदा किया नाशवाँ। कीमती है…
3. करना था काम जो किया ना, प्रभु का नाम लिया ना।
कभी जलाया ज्ञान दीया ना, प्रेम का प्याला पीया ना।
मन को जो भाता है, माँस अण्डा खाता है, पीता रहा शराबाँ।
कीमती है…
4. चल संगत में आए जा, वचनों पर अमल कमाए जा।
प्रभु का नाम ध्याए जा, जीवन सफल बनाए जा।
जपले प्रभु का नाम, आए जो तेरे काम, साथी बने दो जहाँ।
कीमती है…
5. मन-माया ने फंसा लिया, गुलाम अपना बना लिया।
घर का काम भुला दिया, काल वगार में लगा लिया।
काल के धन्धे जो, काल के फंदे वो, माया पदार्थ फनाँ।
कीमती है…
6. समय का लाभ उठाए ना, हाथ से गया फिर आए ना।
कल पे छोड़ पछताए ना, कल किसी के हाथ आए ना।
कहें ‘शाह सतनाम जी’, जपले नाम जी, फिर न मिलेगा समां।
कीमती है…।।
बेशकीमती है ये समय
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि बेपरवाह जी का ये भजन, इसकी पहली चार लाइनों का ही आपको बता देते हैं।
कीमती है ये समां, इसे लगाता कहाँ।
सत्संग में आ जा, फायदा उठा जा,
देखे जो सब नाशवां। कीमती है…
सच्चे दाता रहबर, कुल मालिक, हमारे दाता शाह सतनाम, शाह मस्तान जी ने साफ फरमाया है कि समय बेशकीमती होता है। समय और समुन्द्र की लहर कभी किसी का इंतजार नहीं करते। समय वो घोड़ा होता है, जंगली घोड़ा, जिसके गले के बाल पकड़कर तो रोका जा सकता है, पर पूँछ को हाथ लगाने नहीं देता। कहने का मतलब समय से पहले जो समय के साथ चलने को तैयार रहते हैं, समय उनका साथ देता है। और जो आलस्य में समय निकल जाने के बाद जागते हैं, फिर पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत, सो कहने का मतलब पछाताप के अलावा फिर कुछ भी नहीं रहता। तो बेपरवाह जी यही फरमा रहे हैं कि इतना कीमती समां, एक तो समय कीमती और दूसरा समां यहां कहा गया मनुष्य शरीर को, कि ये भी आपको कीमती समां मिला है भगवान को पाने का, अल्लाह, वाहेगुरु राम से मिलने का। आप कहां लगा रहे हैं? खा लिया, पी लिया, सो लिया, सुबह जा लिया, फिर खा लिया, पी लिया, सो लिया, ये रूटीन बना हुआ है। चुगली कर ली, निंदा कर ली, उसकी बुराई, इसकी बुराई, कभी खुद की गाई। कभी याद ही नहीं आई। ध्यान ही नहीं देता उस तरफ। समय यूं ही गुजरता जा रहा है। कहने का मतलब स्वाँस बेशकीमती हैं, लेखे तेरे स्वाँस गिरास, स्वाँस भगवान जी, प्रभु, अल्लाह, वाहेगुरू, राम हर शरीर में लिखकर देते हैं। अब कम समय में ले लो, ज्यादा समय में ले लो, ये आप खुद मुख्यत्यार हैं, मर्जी के मालिक हैं।
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