आरटीआई कार्यकर्ता हरिंद्र ढींगरा, उसके दो बेटे करोड़ों की धोखाधड़ी में गिरफ्तार

Sirsa News
Fraud : बीमा पॉलिसी के कमीशन का झांसा देकर धरतीपुत्र से ठगे 84 लाख

गुरूग्राम (सच कहूँ न्यूज)। हरियाणा की गुरुग्राम पुलिस ने आरटीआई कार्यकर्ता हरिंद्र ढींगरा और उसके दो बेटों तरूण ढींगरा और प्रशांत ढींगरा को 15 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस प्रवक्ता सुभाष बोकन के अनुसार तीन तीनों पर डीएलएफ फेज-1 में एक ही प्लाट को दो बैंकों के पास गिरवी रखकर 15 करोड़ रुपए का ऋण लेने और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ब्लड रिलेशन में ट्रांसफर डीड कराने का आरोप है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच के लिए एसीपी क्राइम-दो के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर दी है। मामले के अनुसार हरिंद्र और उसकी पत्नी पूनम ने वर्ष 2001 में उक्त प्लॉट प्रदीप कुमार नामक व्यक्ति से खरीदा था। वर्ष 2003 में पूनम ने अपने बेटे प्रशांत के साथ मिलकर इंडियन ओवरसीज बैंक से अपनी कम्पनी एलिगेंस फेब्रिक्स के नाम पर करोड़ों रुपए का लोन ले लिया।

इसे न चुकाने पर बैंक ने इस सम्पत्ति को एनपीए कर दिया। प्रवक्ता ने बताया कि प्लॉट की नीलामी से बचने के लिए प्रशांत ने अपने पिता और माता के खिलाफ लोक अदालत में मामला दायर कर प्लॉट अपने नाम करा लिया। 27 नवम्बर 2006 को लोक अदालत के आदेश पर अपने नाम हुये प्लॉट के आधार पर प्रशांत ने वर्ष 2007 में ओबीसी बैंक से अपनी कम्पनी तरुण एक्सपोर्ट के नाम आठ करोड़ रुपये का ऋण ले लिया। लेकिन यह ऋण भी चुकता करने में असमर्थ रहे। प्लॉट को बचाने के लिए हरिंद्र और पूनम ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में लोक अदालत के आदेश को खारिज करने की याचिका दायर की। इसी बीच दोनों बैंकों ने भी उच्च न्यायालय में सम्पति कुर्क कर नीलामी की याचिका दायर कर दी।

क्या है पूरा मामला

प्रवक्ता के अनुसार प्लॉट को बचाने के लिए तीनों ने साजिश के तहत जिला अदालत में याचिका दायर की। आरोप है कि अदालत में मामला विचाराधीन होने के बावजूद भी तीनों ने मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर प्लॉट को तरुण और प्रशांत के बेटे के नाम पर ट्रांसफर करा दिया। इस पर दोनों बैंकों ने गत 16 अप्रैल को पुलिस को शिकायत दी। पुलिस ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए जांच राजपत्रित अधिकारी को सौंपी तो शिकायत सही पाई गई। जांच में यह भी सामने आया कि हरिंद्र पर वर्ष 2017 में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न घाराओं में मामला दर्ज है।

जांच में यह भी पता चला कि हरिंद्र अपने एक अन्य साथी रविंद्र यादव के साथ मिलकर बिल्डर, सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों पर दबाव बनाता है और कथित तौर पर उनसे रुपये भी ऐंठता है। पुलिस ने डीएलएफ फेज-एक निवासियों की शिकायत पर रविंद्र यादव के कब्जे से दो प्लॉट छुड़वाए हँ। ये प्लाट उसने हरिंद्र की शह पर कब्जा किये हुए थे। एसआईटी हरिन्द्र, तरुण और प्रशांत गिरफ्तार कर मामले की जांच में जुटी हुई है।

 

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।