जिन कंपनियों को ठेका दिया गया, उन्होंने पेमेंट ली मगर काम नहीं किया
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काम करने की झूठ बोलकर लेते रहे बार-बार पेमेंट
गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय मेहरा)। गुरुग्राम के एक व्यक्ति द्वारा कोलकाता को स्मार्ट सिटी बनाने का टेंडर लेकर दूसरी कंपनियों से काम करवाना महंगा पड़ गया। इस काम के लिए दो कंपनियों ने 447 करोड़ रुपये की मोटी रकम तो ले ली, लेकिन धरातल पर कुछ काम ही नहीं किया। पीड़ित द्वारा शिकायत करने के बाद भी पुलिस ने कोई खास कार्रवाई नहीं की। अब अदालत के आदेश पर केस (Fraud) दर्ज किया गया है।
जानकारी के अनुसार गुरुग्राम के डीएलएफ फेज-1 निवासी रमन कौशिक ने कोलकाता को स्मार्ट सिटी बनाने के उद्देश्य से वहां फाइबर केबल बिछाने का टेंडर सरकार से लिया था। इसके बाद उन्होंने इस काम के लिए कोलकाता की ही कंपनी लिंक क्यूईस्ट को यह कार्य दिया। रमन कौशिक ने डीएलएफ फेज-1 पुलिस थाना में दी शिकायत में कहा है कि इस कंपनी ने धरातल पर कोई, कुछ काम नहीं किया।
लिंक क्यूईस्ट कंपनी के निदेशक कोलकाता निवासी योगेश दूबे, रथित रॉय, बेंगलूरू निवासी सुनील कुमार मित्रा और हिमाद्री शंकर भट्टाचार्य ने काम की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए तय समय में ही पूरा करने की बात कही थी। बीच-बीच में काम होने की रिपोर्ट देते हुए उन्होंने काम के बिल भेजे और पेमेंट लेते रहे। दूसरी कंपनी मैसर्स सेरी इक्यूपमेंट की तरफ से हेमंत कनोरिया, दिनेश झुनझुनवाला, सुनील कनोरिया, व शोमनाथ रॉय ने भी रमन कौशिक की कंपनी से इस काम के लिए ठेका (Fraud) लिया।
आरोप है कि इस दूसरी कंपनी ने भी बिना काम किए ही फर्जी बिल भेजकर उनसे रकम ऐंठ ली। रमन कौशिक ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि कुछ दिन पूर्व जब वे काम को देखने के लिए स्वयं कोलकाता गए तो इन कंपनियों द्वारा किया गया कोई काम वहां नजर नहीं आया। बिना काम किए ही कोलकाता की दोनों कंपनियों ने उनसे करीब 447 करोड़ रुपये ठग (Fraud) लिए। कंपनियों के अधिकारी भी कुछ जवाब नहीं दे रहे हैं।
पीड़ित रमन कौशिक ने जब पुलिस को शिकायत दी तो पुलिस ने भी कुछ कार्रवाई नहीं की। उन्होंने थककर अदालत का दरवाजा खटखटाया। अब अदालत के आदेश पर डीएलएफ फेज-1 थाना पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू की है।
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