निजी बस परमिट बने गले की फांस, रोडवेज यूनियन ने किया चक्का जाम का ऐलान

रोडवेज ने झेला था 90 करोड़ नुकसान

  • कल  रात 12 बजे से फिर रोडवेज हड़ताल
  • थम जाएंगे बसों के पहिए, आमजन को होगी परेशानी
  • पहलें चार दिन की हड़ताल से प्रदेश हुआ था हल्कान

चंडीगढ़/हिसार( अनिल कक्कड़/संदीप सिंहमार)। निजी बसों को दिए गए बस परमिटों के लिए बनाई गई निजी बस पॉलिसी स्वयं सरकार के लिए गले की फांस बन गई है। सरकार जहां निजी बसों को परमिट देकर खुश है वहीं रोडवेज की विभिन्न यूनियनें इन्हें परमिट न देने की जिद्द पर अड़ी हैं। इसी जिद्द के कारण समस्या पिछले करीब दो माह से जस की तस बनी है। रोडवेज यूनियनों ने कल  रात 12 बजे से फिर प्रदेशभर में रोडवेज बसों के चक्का जाम की चेतावनी दी है।

कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने छल से यूनियनों के साथ पूर्व में हुए समझौते को तोड़-मरोड़ कर फिर से निजी बसें चलाने की छूट दी है। वहीं सरकार बार-बार कह रही है कि समझौतों का ज्यों का त्यों माना गया है तथा उसमें कुछ छेड़छाड़ नहीं की गई है। इन्हीं समझौतों का एफिडेविट कोर्ट में पेश किया गया है तथा परिवहन पॉलिसी 2016 रद्द कर दी गई है। सीएम मनोहर लाल ने साफ किया है कि नई नीति रोडवेज़ कर्मचारियों के सलाह-मशविरे से ही बनाई जाएगी।

समझौते को लेकर विरोधाभास

सरकार जहां रोडवेज कर्मचारियों की मांगें पूरी करने का दावा कर रही है, वहीं रोडवेज यूनियनों के पदाधिकारी सरकार पर 13 अप्रैल को हुए समझौते से मुकरने का दावा ठोक रहे हैं। दोनों तरफ से चल रही खिंचतान रूपी चक्की के बीच आमजन रविवार रात 12 बजे से एक बार फिर पीसता नजर आ रहा है।अब देखना ये होगा की सरकार प्रदेशभर व प्रदेश में आने वाले यात्रियों के लिए कोई वैकल्पिक कर पाएगी या फिर आमजनता को एक बार फिर अपने ही हाल पर छोड़ दिया जाएगा।

परिवहन मंत्री का दावा, किसी को नहीं दिया नया परमिट

प्रदेश के परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार का कहना है कि यूनियनों से हुए समझौते से पहले प्रदेश की 873 निजी बसों परमिट दिया गया था। समझौते में कहा गया था कि जिन बसों को परमिट दिया गया है उन्हें नई पॉलिसी बनने तक टेंपरेरी परमिट पर परिवहन करने दिया जाएगा। सरकार ने वैसा ही किया है। कोर्ट में एफिडेविट सबमिट करवाने के बाद से अब तक एक भी निजी बस को परमिट नहीं दिया गया है।

प्रदेश में 10 हजार बसों की जरूरत, इतनी नहीं खरीद सकते

सरकार ने हाई कोर्ट में नीति संशोधन करने बारे लिखित में दिया है। प्रदेश में जब भी नई नीति बनाई जाएगी, तो रोडवेज यूनियन से बातचीत कर उसमें सुझाव भी लिए जाएंगे। आज प्रदेश में आबादी अनुसार 10 हजार बसों की जरूरत है। सरकार अकेले इतनी संख्या में बसें नहीं खरीद सकती। इसलिए जनता को बेहतर यातायात सुविधाएं देने के लिए सरकार प्रयास कर रही है और यूनियनों व सहकारी समितियों से भी सुझाव इस बारे लिया जाएगा।

मनोहर लाल
मुख्यमंत्री, हरियाणा

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