मॉनसून की लुका-छिपी के बीच झुलसा देने वाली भीषण गर्मी के कहर से न केवल इंसान बल्कि पशु और पक्षी भी बेदम हो रहे हैं। पशु-पक्षी पानी की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं। गर्मी ने पशु-पक्षियों को चपेट में लेना शुरू कर दिया है। तेजी से कम होते प्राकृतिक जल स्रोत और पेड़ों की कमी से इन बेजुबानों की स्थिति विकट हो गई है। पानी की तलाश में इन पक्षियों को भटकना पड़ रहा है। कोरोना काल में मनुष्य ही नहीं अपितु बेजुबान पशु-पक्षी भी आहत हुए है। मनुष्यों ने जैसे-तैसे अपने लिए खाने-पीने की व्यवस्था करली मगर बेजुबान पशु-पक्षी भगवान भरोसे हो गए। कोरोना और ऊपर से गर्मी शुरू होते ही बेजुबान जानवरों की परेशानियां बढ़ गई।
पानी की पुरानी व्यवस्था बहाल नहीं होने से पशु पक्षियों के सामने संकट खड़ा हो गया। खाना तो दूर पानी के लिए भी तरस गए। एक जमाना था जब देशभर में पानी के प्राकृतिक स्रोत मौजूद थे। मगर आज पानी के प्राकृतिक स्रोत न के बराबर हैं। जो बचे भी हैं, उनका पानी पीने योग्य नहीं है। ऐसे में आप तो अपने घर में साफ पानी की व्यवस्था कर लेते हैं मगर जानवरों और पक्षियों को इन्हीं गंदे पानी के स्रोतों से प्यास बुझानी पड़ती है, जिससे इनको फायदा कम होता है बल्कि ये बीमार भी हो जाते हैं। आपको अगर ऐसा लग रहा है कि पक्षी-जानवर तो अपने लिए पानी का इंतजाम कर ही लेते होंगे। असल में ऐसा है नहीं है।
एक समय था जब वे पानी की व्यवस्था कर लेते थे, क्योंकि तब उनके लिए पानी के प्राकृतिक स्रोत जैसे नदी, तालाब आदि थे। जो अब या तो नष्ट हो चुके हैं या गंदे हो गए हैं। गर्मी का असर पशुओं के साथ-साथ पक्षियों पर होता है। सच तो यह है पक्षी गर्मी के झुलसते मौसम में ज्यादा प्रभावित होते हैं। खाना और पानी की खोज में लगातार धूप में उड़ते रहने से वे कमजोर हो जाते हैं। इसके अलावा पेड़ों की कटाई-छंटाई के कारण कहीं रुककर आराम करने के लिए इनके पास कोई आशियाना भी नहीं होता है। हर साल पक्षियों के गिरने या घायल होने के ढेरों मामले सामने आते हैं। इस सबके चलते हर साल गर्मियों के मौसम में पक्षियों और जानवरों की असमय मौत हो जाती है। गर्मी शुरू होते ही समाज सेवी लोग जगह-जगह प्याऊ की व्यवस्था करते है।
आज जरुरत इस बात की है की ठीक वैसे ही पक्षियों के लिए भी प्याऊ की व्यवस्था की जाये ताकि उन्हें भी गर्मी में साफ और ठंडा पानी मिल सके। साफ पानी न मिलने से उन्हें गर्मी में ज्यादा तकलीफ होती है। पानी खत्म होते ही दूसरा पानी और गर्म होते ही ठंडा पानी भरें, ताकि जानवरों को भी शुद्ध और ठंडा पानी मिल सके।
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