हन ऊषा रानी इन्सां पत्नी सचखंडवासी लोकनाथ इन्सां पुत्र ईश्वर दास गांव बप्पा तहसील व जिला सरसा से पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने ऊपर हुई अपार रहमत का वर्णन इस प्रकार करती है:-
17 मार्च 2012 की बात है। कोटा (राजस्थान) में सफाई महाअभियान व सत्संग था। उस समय मैं डेरा सच्चा सौदा सरसा आश्रम की शाही कन्टीन में सेवा करती थी। मैं कन्टीन वाली बहनों के साथ सफाई महाअभियान पर गई थी। कोटा शहर में सफाई महाअभियान के अगले दिन पूूज्य गुरू जी ने वहां रूहानी सत्संग फरमाया। सत्संग सुनकर हम डेरा सच्चा सौदा कोटा आश्रम में वापिस आ गए। उस समय मेरे गांव की बहन शकुंतला इन्सां भी मेरे साथ थी। उस दिन रात को आश्रम में रूहानी रू-ब-रू नाईट का कार्यक्रम भी था। मेरे साथ वाली बहन शकुंलता इन्सां ने मुझे कहा कि अपने लंगर लेकर रू-ब-रू नाईट में चलते हैं। लंगर खाते समय मुझे छाती में बहुत तेज दर्द हुआ जो आगे से पीछे की ओर जा रहा था। दर्द इतना ज्यादा था कि लगता था कि जान निकल जाएगी। कंटीन की सेवादार बहन शकुंलता ने कहा कि ऊषा बहन को नन्हा फरिश्ता अस्पताल (गाड़ी में पूरे अस्पताल का जरूरी साजो सामान किट) में दिखा देते हैं। उस समय नन्हा फरिश्ता रूहानी रू-ब-रू नाईट में ही था। मुझे वहां लेकर गए। उस समय सरसा की 45 मैंबर बहन आशा इन्सां भी वहां साथ मौजूद थी। वह मुझे देखकर घबरा गई।
उसने अनाऊंसमैंट करवा दी कि गांव बप्पा से बहन ऊषा की तबीयत बहुत खराब है, उनके साथ अगर कोई है तो नन्हा फरिश्ता के पास जल्दी से जल्दी पहुंचे। मेरे पति ने अनाऊंसमैंट सुनी तो वह घबरा गए। उनके साथ हमारे ब्लॉक के जिम्मेवार भाई हरिचंद इन्सां जो कि मेरे ही गांव के हैं, भी वहां पहुंच गए। वहां पर मौजूद दिल्ली की 45 मैंबर बहन आशा इन्सां ने फटाफट डॉक्टरों की टीम को बुलवाया। डॉक्टरों ने चैकअप करने के बाद मुझे मृत घोषित कर दिया। वहां पर मौजूद सेवादारों तथा हरिचंद इन्सां ने ‘धन-धन सतगुरू तेरा ही आसरा’ का नारा लगाया तथा अपने प्यारे सतगुरू हजूर पिता जी को बहन ऊषा इन्सां को प्राण बख्शने के लिए अरदास की तथा सुमिरन करना शुरू कर दिया। घट-घट व पट-पट की जानने वाले प्यारे सतगुरू पूज्य हजूर पिता जी ने रूहानी रू-ब-रू नाईट के दौरान फरमाया, ‘‘प्यारी साध-संगत जिओ! संगत जहां भी मौजूद है, वहीं बैठकर दस मिनट सुमिरन करना है।’’ उन दस मिनटों के बाद मेरे स्वास वापिस आ गए। डॉक्टर ने हरिचंद को नारा लगाकर कहा, प्यारे सतगुरू जी ने बहन ऊषा इन्सां को नई जिंदगी बख्श दी है। बहन बिल्कुल ठीक-ठाक और स्वस्थ है। जब मुझे होश आया तो बहनों ने मुझसे पूछा कि आपको क्या हो गया था? मैंने कहा कि मैं तो रूहानी रू-ब-रू नाईट देख रही थी। दुनिया के लिए तो मैं मर गई थी परंतु सतगुरू कुल मालिक पूज्य हजूर पिता जी मुझे रूहानी रू-ब-रू नाईट का कार्यक्रम दिखा रहे थे। जब हम सरसा आश्रम में आए तो और पूज्य हजूर पिता जी से रू-ब-रू नाईट के बारे में बात की तो पूज्य हजूर पिता जी ने वचन किए, ‘मौत से भयानक कर्म था जो सतगुरू ने सेवा में काट दिया। बहुत-बहुत आशीर्वाद।’ इस प्रकार प्यारे सोहणे सतगुरू जी ने मुझे अहसास ही नहीं होने दिया और मेरा मौत जैसा भयानक कर्म सेवा में ही काट दिया। अब मेरी पूज्य हजूर पिता के पावन चरण कमलों में यही अर्ज है कि मेरी ओड़ निभा देना जी।
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