बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा, जिला बागपत (उत्तर प्रदेश) से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से बच्चों के अच्छे पालन-पोषण में आ रही परेशानियों सहित विभिन्न सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया। पूज्य गुरु जी ने इस दौरान अभिभावकों को बेहतरीन टिप्स और सुझाव दिए। इस दौरान आॅनलाइन सवालों को आदरणीय ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने पढ़ा।
सवाल : पूज्य गुरु जी बच्चे आजकल इमोशनलैस होते जा रहे हैं, समाधान बताएं?
पूज्य गुरु जी का जवाब : बड़ी ये दुखद बात है कि हमारा कल्चर, जिसमें हर रिश्ते के लिए एक भावना है, हर रिश्ते के लिए एक नाम है। लेकिन आज के बच्चे थोड़ा सा वेस्टर्न कल्चर को मानते हैं। एक आॅन्टी कही तो सारे ही आ गए और एक अंकल कहा तो सारे ही आ गए। तो उनको ये ही पता नहीं चलता कि इनके रिश्तों में अलग-अलग भावनाएं भी होती हैं। तो हम भाषा को दोष नहीं देते, हमारा कहने का मतलब है कि आप बच्चों को संस्कार अच्छे दें।
जो उनको फोन पर या टीवी दिखाते हुए खाना खिलाते हैं, माँ-बाप को क्या होता है कि सामने टैब रख दो, बच्चा खाना नहीं खा रहा। तो उनको लगता है कि बड़ा आसान सा तरीका है टैब रखो सामने, वो देख रहा है और आप उसके मुँह में खाने को ऐसे लगा रहे हैं जैसे कि मशीन में लगा रहे हों। जैसे गंडासा मशीन होती है, टोका मशीन होती है, चारा काटते हैं, चारे का थही लगाते हैं। ऐसे आप उसके मुंह में चारे की थही लगाते जाते हैं, वो खाता जाता है और अंदर चला जाता है और वो टैब में ध्यान देता है। तो ये हमारे ख्याल से माँ-बाप की कमी है।
जो संस्कार ढंग से नहीं दे पा रहे। इसलिए वो इमोशन उनके अंदर रहते ही नहीं, वो तो फोन से ही सारे इमोशन जोड़ लेते हैं। तो थोड़ा सा टाइम सैट करें उनका। फोन के लिए अलग से टाइम दें। परिवारों के साथ उनको मिलाएं, उनसे बातें करें। यकीनन दोबारा से इमोशन आ सकते हैं, क्योंकि हमारा कल्चर जो है, हमारी सभ्यता है थोड़ा इन वजहों से दबी तो है, लेकिन ये खत्म नहीं हो सकती। क्योंकि हमारे पूर्वजों ने, हमारे संत-महापुरुषों ने बनाई है, ये हमेशा जिंदा रहेगी। तो इसे जिंदा रखने में आप माँ-बाप या दादा-दादी जरूर मदद करें।
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