बरनावा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां 21 दिन की फरलो मिलने के बाद मंगलवार को डेरा सच्चा सौदा आश्रम बरनावा बागपत (उत्तर प्रदेश) पधारे। जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर साध-संगत के बीच पहुंची तो करोड़ों डेरा सच्चा सौदा श्रद्धालुओं के चेहरों पर मुस्कान खिल उठी और एक-दूसरे को मोबाइल फोनों पर बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया। इसके साथ ही एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर खुशी का इजहार किया।
परमार्थी इंसान ही खुशियों का हकदार: पूज्य गुरु जी
पूज्य गुरू संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि संत, पीर-फकीर सबको समझाते हैं, उनकी ड्यूटी होती है जीवों को नेकी-भलाई के राह पर चलाना। अल्लाह, वाहेगुरु, राम की तरफ से वे संसार में समझाने के लिए आते हैं। उनका मकसद जीव को भक्ति-इबादत का मार्ग बताकर आवागमन से मोक्ष-मुक्ति दिलाना है। इस संसार में जब तक जीवन है तब तक गम, चिंता न हो, आजादी से, खुशियों से जीवन गुजार सको इसलिए सबका मार्ग-दर्शन करना है। संत, पीर-फकीर कभी किसी को बुरा नहीं कहते। बुराइयों और अच्छाइयों में से आप जिससे भी संबंध रखेंगे, आप वैसे ही बन जाएंगे। इसलिए जीवन में अच्छे, नेक लोगों का संग करो।
जो लोग परमार्थ में आपका सहयोग नहीं करते वो आपके अपने नहीं हैं। इस बारे में आप जी एक उदाहरण देते हुए समझाते हैं कि एक धनी आदमी के चार बेटे थे। वह आदमी भक्ति-इबादत करने वाला था। एक बार किसी आम फकीर ने सुना कि एक धनी आदमी भगत है। वह उसके पास गया और उससे पूछा कि आपके कितने बेटे हैं? उसने कहा कि मेरे दो बेटे हैं। उसे बड़ी हैरानी हुई कि मैं इसे भक्त समझकर आया हूं और ये तो झूठ बोल रहा है जबकि इसके तो चार बेटे हैं।
वो कहने लगा कि आप तो रूहानियत को मानने वाले हैं, लेकिन आप तो झूठ बोल रहे हैं। वो कहने लगा कि परमार्थ में मेरा दो बेटे ही सहयोग करते हैं। बाकि जो दो हैं वो शराब, मास खाने वाले, बुरे कर्म करने वाले हैं, इसलिए वो मेरे होते हुए भी मेरे नहीं हैं, मैं उन्हें मानता ही नहीं कि उन्होंने मेरे यहां जन्म लिया है, लेकिन वो दो बेटे हैं वो मेरा राम नाम में नेकी भलाई, परमार्थ में तन, मन, धन से मेरा बढ़-चढ़कर सहयोग करते हैं। इसलिए मैं कहता हूं कि मेरे दो ही बेटे हैं।