बुजुर्गों का जरूर करें सत्कार

Online Spiritual Discourse

बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाते हैं कि इंसान को गृहस्थ जिदंगी जीते समय समाज व परिवार का ख्याल रखना चाहिए और सबसे पहले इंसान को अपने बुजुर्गों का सत्कार करना सीखना चाहिए और बुजुर्गों को भी अपने बच्चों के सिर पर प्यार से हाथ रखना सीखना चाहिए।

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि हमने भी मुहिम चलाई है कि सुबह उठकर अपने बुजुर्गों के पैरों के हाथ लगाना है और बुजुर्गों ने अपने बच्चों को आशीर्वाद देना है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि हमें बहुत खुशी है कि साध-संगत निरंतर ऐसा कर रही है। इससे परिवार में और आपस के प्रेम में बहुत परिवर्तन आया है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि यह हमारी संस्कृति है, सभ्यता है और यहीं गृहस्थ जिंदगी का एक अंग भी है। काश! समाज में भी ऐसा हो जाए तो कहना ही क्या। यह सब गृहस्थ जिदंगी की चर्चा है जो पवित्र वेदों में भी बताई गई है। झगड़े तब होते है जब ईगो अड़ जाती है।

सबका भला करना और भला मांगना ही उनका काम

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि आदमी भगवान तो है नहीं, इसलिए कमियां तो सब में होती है। इसलिए छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा नहीं करना चाहिए। ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब में कोई कमी नहीं होती, सतगुरु में कोई कमी नहीं होती। इसलिए अमल करना जरूरी है। अगर जीवन में सुख चाहते हो तो जिंदगी जीने का ढंग सिख लो। अगर कोई अकेला रहना चाहता है, ब्रह्मचर्य में रहना चाहता है तो उसको गृहस्थ जिंदगी में पड़ना ही नहीं चाहिए। काम-वासना,क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, मन, माया उसके नजदीक नहीं फटकनी चाहिए।

जो बचपन से संयम रखते है वो घर-परिवार को सुखी रखते है और समाज को सुखी रखते है। वहीं पूज्य गुरु जी ने कहा कि कभी भी किसी बात का गलत अर्थ नहीं निकालना चाहिए। हम तो सब का भला मांगना, सबका भला करना, सबके भले के लिए ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब से दुआएं करना और प्रार्थना करना ही हमारा काम है। बाकी राम जी जाने और उनका काम जाने।

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