रूहानी सत्संग: धर्मशाला में हुई राम-नाम की बरसात, 2520 लोगों ने लिया गुरुमंत्र
धर्मशाला (सुनील वर्मा)। गुरु शब्द दो अक्षरों के संयोग से बना है। ‘गु’ प्लस ‘रु’। ‘गु’ का अर्थ है अंधकार व ‘रु’ का अर्थ प्रकाश यानि जो अज्ञानता रूपी अंधकार में ज्ञान रूपी दीपक जला दे और इन्सानियत की अलख जगाए, उसे सच्चा गुरु कहा जाता है।
उक्त अनमोल वचन पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने धर्मशाला के पुलिस ग्राउंड में आयोजित विशाल रूहानी सत्संग में उपस्थित साध-संगत को लाभान्वित करते हुए फरमाए।
सत्संग के दौरान पूज्य गुरु जी ने श्रद्धालुओं द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासाओं को भी शांत किया। वहीं 2520 लोगों ने पूज्य गुरु जी से गुरुमंत्र (नाम शब्द) की अनमोल दात प्राप्त कर तमाम दुनियावी नशे नहीं करने का प्रण लिया।
‘लिये जा प्रभु का नाम लिये जा, अमृत रस घूंट पिये जा…’
सत्संग के दौरान पूज्य गुरु जी ने अपनी अलौकिक वाणी से ‘लिये जा प्रभु का नाम लिये जा, अमृत रस घूंट पिये जा…’ गाया, जिस पर उपस्थित साध-संगत झूम उठी। पूज्य गुुरु जी ने फरमाया कि गुरुमंत्र पुरातन शब्द है।
गुरुमंत्र गुरु के शब्द नहीं होते, बल्कि भगवान के शब्द होते हैं, जिन्हें पहले गुरु खुद अभ्यास करता है, जाप करता है। गुरु मंत्र का नियमित अभ्यास करने से ही भगवान के दर्श-दीदार हो सकते हैं। राम-नाम का निरंतर जाप करने से आत्मविश्वास बढ़ता है, नेगेटिव विचार खत्म होते हैं। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि अक्सर देखा जाता है कि जैसा हम मन में विचार लाते हैं, वैसा ही होने लगता है।
अगर हम परीक्षा के समय यह देखेंगे कि मैं परीक्षा में फेल होऊंगा तो रिजल्ट नेगटिव ही आता है। अगर हम परीक्षा से पहले मन में धार लें कि मेरी मेरिट आएगी तो परिणाम भी वैसा ही आता है।
राम के नाम का जाप करने से जिंदगी जीने की आ जाती है ताकत
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि गुरुमंत्र का जाप करने से चौथे स्टेज तक का कैंसर, जिसे डॉक्टर जवाब दे देते हैं, वो भी श्रद्धा से राम-नाम का जाप करने पर खत्म हो जाता है। राम के नाम का जाप करने से जिंदगी जीने की ताकत आ जाती है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आत्मबल बढ़ता है। ईश्वर के नाम का जाप करने से इंसान अपनी तकदीर बदल सकता है।
जीव-जंतु, पशु-पक्षी किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वह अपना भाग्य बदल सके। आप जी ने फरमाया कि दुनियादारी में देखने में आता है कि लोग जितनी मेहनत करते हैं, उन्हें उतना फल नहीं मिलता, इसका कारण है जन्मों-जन्मों के संचित कर्मों का होना। संचित कर्म इन्सान को मनुष्य जीवन में ही भोगने पड़ते हैं।
संचित कर्मों को खत्म करने का एकमात्र तरीका है भगवान का नाम। जो इन्सान मालिक की भक्ति करेगा, यकीनन उसके संचित कर्म, गलत कर्म कट जाएंगे। जब शरीर और आत्मा अलग-अलग राह पर चलने लगते हैं तो शरीर बीमारियों का घर बन जाता है। आत्मा की खुराक सिर्फ प्रभू का नाम है। अगर इन्सान परमात्मा का नाम जपता है तो वह मन को हराकर आत्मा की बाजी जीत सकता है।
भगवान दाता था, दाता है और दाता ही रहेगा
पूज्य गुरु जी ने भगवान की परिभाषा बताते हुए फरमाया कि भगवान वह है जो किसी से कुछ नहीं लेता। भगवान दाता था, दाता है और दाता ही रहेगा। भगवान कभी किसी से चढ़ावा नहीं लेता।
जो इन्सान भगवान के नाम से चढ़ाते हैं, वो चढ़वा उन जैसे इन्सान ही ले जाते हैं। ईश्वर के पास कुछ नहीं जाता। भगवान से इन्सान को मांगना चाहिए अच्छी धरती, अच्छा पानी, अच्छी संतान और मांगना ही है तो भगवान से भगवान को मांगों। सभी धर्मों में लिखा गया है कि जब भगवान रहमोकर्म करता है तो इन्सान के दामन छोटे पड़ जाते हैं।
संतों का कोई ड्रेस कोड नहीं होता: पूज्य गुरु जी
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि संतों का कोई ड्रेस कोड नहीं होता। संत सच्ची बात सुनाते हैं, सच की राह दिखाते हैं तथा एक-दूसरे को जोड़ना सिखाते हैं। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि धर्म का अर्थ है धारण करना, यानि जोड़ना। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जो इन्सान दूसरों के लिए कार्य करते हैं, उनके मरने के पश्चात वो लोग उन्हें पूरी इज्जत के साथ याद करते हैं।
इसलिए इन्सान को चाहिए कि वह अपनी जिंदगी को मशाल-चिराग की तरह जीये। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इन्सान नशा करता है शौकिया तौर पर, गम भुलाने के लिये, इंज्वायमेंट के लिए लेकिन ये नशा सिर्फ चंद घंटों के लिए होता है, परमानेंट नहीं। राम-नाम का नशा ऐसा नशा है, जो एक बार चढ़ जाता है तो जल्दी से उतरता नहीं।
राम-नाम की मिठास से कटते हैं जन्मोंजन्म के पाप कर्म
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि राम-नाम की मिठास के सामने दुनियादारी में मौजूद चीनी, सहित अन्य वस्तुओं की मिठास गंदगी के सामान है। राम-नाम की मिठास से जन्मोंजन्म के पाप कर्म तो कटते ही हैं, साथ में इस जन्म की बुराई भी खत्म हो जाती हैं। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि भगवान का नाम पूरी श्रद्धा और ध्यान को एकाग्र करके करना चाहिए।
जो ऐसा करके ईश्वर का नाम जपते हैं, वो दरगाह में मंजूर-कबूल होता है। राम की महिमा अपरम पार है। राम नाम शब्द, गुरुमंत्र पवित्र ग्रंथों में से निकलकर आए हैं। राम नाम की साबुन से जन्मों-जन्मों की मैल साफ हो जाती है, परमानंद की प्राप्ति होती है, बीमारियों से छुटकारा पाने का अंदर से हल मिल जाता है।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि राम का नाम अनमोल है, उसका कोई दाम नहीं होता। जिसे सच्चा संत, पीर-फकीर बिना दाम के देता है। राम का नाम पुन: जिंदगी बख्श देता है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इन्सान अपने बच्चों के साथ फ्रैंड जैसा व्यवहार करे। अगर बच्चे पहली बार कहने पर गलती मान लें तो उसे डांटने की बजाय आगे से ऐसा न करने का प्रण लें।
मंदबुद्धियों को अपनों से मिलवाया
डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत सड़कों पर बेसहारा घूम रहे व अपनों से बिछड़े हुए लोगों को घर पहुंचाने में मददगार बन रही है। इसी के तहत सत्संग के दौरान दो और मंदबुद्धि साध-संगत की सेवाभावना के चलते अपने परिजनों से मिल पाए। इस दौरान पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि साध-संगत यह बेमिसाल काम कर रही है। भगवान उनके घर में बरकत डाले। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जो इन्सान ईश्वर की बनाई सृष्टि की, औलाद की सेवा करता है, भगवान उनके घर कोई कमी नहीं छोड़ता।
अब तक साध-संगत ले चुकी है ये प्रण
- मरणोपरांत नेत्रदान 1,44,090 लोग
- जीते जी गुर्दादान 56,768 लोग
- नियमित रक्तदान 1,30,000 से अधिक लोग
- मरणोपरांत शरीरदान 1,21,260
- दहेज न लेने वाले 1,35,173 परिवार
- सफाई अभियान के लिए 1,49,587 लोग
- भक्तयोद्धा 1522 युवा
- 21 शुभदेवियों की भक्तयोद्धाओं से हो चुकी हैं शादियां
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