दु:खों व परेशानियों से छुटकारा दिलाता है, राम-नाम

Anmol Vachan

सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इन्सान अगर अपनी जीवनशैली में ईश्वर, अल्लाह, वाहेगुरु के नाम को जोड़ ले तो वह इस संसार में बेइंतहा सुख व परमानंद की प्राप्ति कर सकता है। दिन-रात भाग-दौड़ व दुनियावी काम-धंधों में उलझा हुआ इन्सान अपने इन्हीं कामधंधों की बदौलत कभी टेंशन व कभी दु:ख-दर्द, बीमारियों में उलझ जाता है तथा कोई न कोई समस्या में उलझकर अपने जीवन को बहुत पीछे ले जाता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सान जीते जी इन दु:ख-दर्द, चिंता, परेशानियों के कारण अपने जीवन को भोग रहा होता है और अगर वह जीवन में उस अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, हरि का नाम जपे तो उसके आने वाले पहाड़ जैसे कर्म भी कंक्कर में बदलेंगे ही, साथ ही उसकी बहुत-सी बीमारियां आने से पहले ही कट जाया करती हंै। राम-नाम जपने से इन्सान इस काबिल बनता चला जाएगा कि उस पर मालिक का रहमो-कर्म बरसेगा व उसे परमानंद की प्राप्ति होगी।

इन्सान को अपनी जिंदगी में सुबह व शाम आधा-पौना घंटा उस मालिक को याद करने का नियम बनाना चाहिए। अगर इन्सान उस मालिक को याद करता रहे तो उसकी जिंदगी का समय सुखमय व खुशहाली की तरफ जाएगा और उसे कभी भी कोई गम, दु:ख-दर्द, परेशानी नहीं सताएगी। इन्सान को अपनी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इससे आसान तरीका और क्या हो सकता है कि वह आसानी से उस मालिक को याद करके अपनी सभी परेशानियों से छुटकारा पा सकता है। जबकि यही खुशियां हासिल करने के लिए लोग पहले दिन-रात चौबीस घंटे सारी-सारी जिंदगी गुजार देते थे। उनको सैकड़ों साल लग जाया करते थे तब जाकर ये खुशियां नसीब होती थीं, जो इस कलियुग में अगर इन्सान यह प्रण कर ले कि वह घंटा सुबह-शाम उस मालिक को याद करेगा तो हो सकता है कि वो खुशियां उसे कुछ दिनों में ही हासिल हो जाएं। हैरानी की बात तो यह है कि उन युगों में तो जीव अपनी पूरी जिंदगी उस मालिक को पाने के लिए गुजार दिया करते थे, लेकिन आज के घोर कलियुग में तो लोगों को घंटा सुबह-शाम उस मालिक को याद करना पहाड़ समान लगता है।

आप जी फरमाते हैं कि इन्सान उस मालिक को याद न करके दूसरी बातों की ओर व्यर्थ अपना दिमाग दौड़ाता रहता है। यहां तक कि आज के युग में तो कई इन्सान बातें करने में भी महारथ प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन लोग ईश्वर की भक्ति इबादत करने में दिनों-दिन पीछे होते जा रहे हैं। इसलिए भाई अगर आप मालिक की कृपादृष्टि के पात्र बनना चाहते हैं तो आपके लिए जरूरी है कि उस प्रभु के नाम का सुमिरन किया करें। तभी आपके घर-परिवार में सुख-शांति व बरकतें आएंगी। यह बात बिल्कुल आजमाई हुई है कि जो इन्सान वचनों को मानते हंै और उन पर चलते हैं उन्हें कभी अपने लिए व अपने परिवार के लिए अल्लाह, वाहेगुरु, सतगुरु मौला से कुछ मांगना नहीं पड़ता, ‘बिन मांगे मोती मिले’ उनको सब कुछ मिलता रहता है, लेकिन जो लोग वचनों की धज्जियां उड़ाते हंै, उनके परिवारों व खुद में बहुत-सी कमियां आ जाती हैं, वह हमेशा गमगीन, दु:खी व परेशान रहते हैं, उन्हें कभी भी सुख व शांति नहीं मिलती।

आज के युग में अधिकतर देखा गया है कि इन्सान अपने आप को बहुत चालाक व शातिर समझता है। वह पीर, फकीर द्वारा फरमाए गए वचनों को नहीं मानता और मनमते चलता है तथा वचनों की धज्जियां उड़ाता है, लेकिन जब उसके दिमाग में इस कारण उथल-पुथल होती है तो वह चिल्लाता है कि मेरे साथ ऐसा क्यूं हुआ। देखने वाले लोग भी उसे देखकर यही कहते हैं कि यह तो मालिक का बंदा था उसके साथ ऐसा क्यूं हो रहा है, लेकिन उनको यह पता नहीं कि यह उस मालिक को कितना याद करता है। इसलिए जो लोग पढ़कर कड़ जाया करते हैं, यहीं पर आकर गलती खा जाया करते हंै, लेकिन उनको यह नहीं पता कि वह मालिक तो पल-पल की खबर रखता है। अगर इन्सान उस मालिक को जानी-जान मान लें कि वह मालिक तो हर जगह है व बुरे कर्म छोड़ दें तो यह हो ही नहीं सकता कि मालिक के वचन मानने वालों को कोई अंदर व बाहर कमी रह जाए।

सार्इं मस्ताना जी महाराज ने सच्चे सौदे के लिए बहुत बड़ा वरदान दिया है कि अगर सच्चे सौदे का मुरीद वचनों का पक्का रहे तो उसे कभी अंदर व बाहर कोई भी कमी नहीं रहेगी। आप खुद देख सकते हंै कि जो लोग मालिक के वचनों को नहीं मानते व उनकी धज्जियां उड़ाते हंै तो वे दुखी जरूर होते हैं। रूहानियत में दिखावे की कोई वेल्यु नहीं होती, इसलिए आप सच्चे आशिक हैं तो आपको दिखावा करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि आप बस अच्छे कर्म करते जाओ, मालिक झोली जरूर भरेगा व आपको खुशियों से मालामाल कर देगा। इसलिए भाई वचनों को सुनो व उनको मानो, तभी आपको खुशियां मिल सकती हैं। जो जीव इनको सुनकर माना करते हैं वह मालिक की कृपादृष्टि के काबिल जरूर बनते हैं।

 

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