नई दिल्ली (सच कहूँ डेस्क)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में हुई झमाझम बारिश होने से लोगों को भीषण गर्मी से थोड़ी सी राहत मिली। मौसम विभाग बताया कि यहां गुरुवार को अधिकतम तापमान 41.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जो सामान्य से पांच डिग्री अधिक है। वहीं यहां पर शुक्रवार को अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम पारा 29 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है।
मौसम विभाग के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी के सफदरजंग वेधशाला में न्यूनतम तापमान 30.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। वहीं आर्द्रता का स्तर 40 प्रतिशत दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने बताया कि आज शाम में दक्षिणी दिल्ली, हरियाणा के गोहाना और रोहतक, उत्तर प्रदेश के रामपुर, चंदौसी, सहसवान और राजस्थान के नागर में गरज के साथ हल्की से मध्यम स्तर की बारिश होने के साथ-साथ 20-40 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा चलने के आसार हैं।
तापमान में गिरावट
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली शाम छह बजकर पांच मिनट पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 161 दर्ज किया गया था। उल्लेखनीय है कि एक्यूआई को शून्य और 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।
2006 में 9 जुलाई को हुई थी पहली बरसात
उत्तर भारत में हर बार आमतौर पर समय पर मॉनसून का आगाज हो जाता है। इससे पहले 2006 में 9 जुलाई को दिल्ली व हरियाणा में मॉनसून ने दस्तक दी थी। इसी प्रकार वर्ष 2002 में 19 जुलाई को मॉनसून की पहली बरसात हुई थी तो 1987 में 26 जुलाई को हरियाणा व दिल्ली में मॉनसून पहुंचा था। इस प्रकार आंकड़ों के हिसाब से 15 साल बाद देरी से मॉनसून उत्तर भारत में सक्रिय होगा।
2010 में हुई थी रिकार्ड बारिश तो 2014 में बन गए थे सूखे जैसे हालात
इस बार भारत मौसम विभाग ने 15 जून के आसपास ही हरियाणा में भी मानसून पहुंचने का अनुमान लगाया था,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस दौरान कहीं कहीं हल्की बरसात जरूर हुई। मॉनसूनी सीजन में भी अब तक इस क्षेत्र में 60 मिलीमीटर बारिश का आंकड़ा भी पार नहीं हो सका है। यदि पिछले 10 सालों के मॉनसून के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो हरियाणा प्रदेश में 2010 में सबसे अधिक रिकॉर्ड 707.5 मिलीमीटर बारिश हुई थी। इसी प्रकार सबसे कम 2014 में 262.0 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी। तब भी वर्तमान समय की तरह सूखे जैसी स्थिति बन गई थी।
मॉनसून में देरी की वजह से विशेषकर धान,नरमा,कपास ज्वार,ग्वार दलहन व अगेती बाजरा की फसलों को नुकसान पहुँचा है। लेकिन 10 जुलाई से मॉनसून सक्रिय होने पर फसलों को भी फायदा मिलेगा व तापमान में भी गिरावट आएगी।
-डॉ. मदन लाल खीचड़, विभागाध्यक्ष कृषि मौसम विज्ञान विभाग
हकृवि हिसार।
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