लॉकडाउन में ढील से बढ़ी आम नागरिकों की जिम्मेवारी

लॉकडाउन-3 के बाद देश में सब ओर एक आवाज उठने लगी है कि अब देशवासियों को कोरोना के साथ जीने की कोशिश करनी चाहिए। चूंकि देश में कई राज्य पूर्ण लॉकडाउन के बाद भी कोरोना के फैलाव को रोक नहीं पा रहे, साथ ही राज्य सरकारों को अपने प्रशासनिक खर्च चलाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। इतना ही नहीं मीडिया व आमजन प्रवासी मजदूरों की घर वापिसी एवं चार मई से खोली गई शराब बिक्री को लेकर भी चिंताए व्यक्त कर रहे हैं। मीडिया व आमजन की चिंताए वाजिब हैं क्योंकि पंजाब व हरियाणा में महाराष्ट्र के नांदेड़ साहिब से लौटे सिक्ख श्रद्धालुओं के कारण कोरोना पॉजिटिव मामलों में काफी उछाल आ गया है। उधर देश में कोरोना से लड़ रहे प्रथम पंक्ति में खड़े लोग स्वास्थ्य कर्मी, डॉक्टर, पुलिस, मीडिया के लोगों में कोरोना पॉजिटिव मामलों में वुद्धि हो रही है।
प्रवासी मजदूरों की घर वापिसी व शराब बिक्री खोलने से जो सामाजिक सम्पर्क बढ़ा है उससे अगले दो सप्ताह में निश्चित तौर पर देश में कोरोना केस बढ़ेंगे। लॉकडाउन के मुख्यत: दो उद्देश्य हैं पहला तेजी से फैल रहे संक्रमण को रोकना, दूसरा कोरोना संक्रमण के अंतिम मरीज को ढूंढकर उसका ईलाज करना। परंतु देश में कोरोना का आखिरी मरीज अब ढूंढना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में कई राज्यों को लगने लगा है कि देश वासियों को कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी। हालांकि अभी एहतियात के तौर पर सरकारें ग्रीन, ओरेंज व रेड जोन में बांटकर देश को लॉकडाउन से निकालने के प्रयासों में जुटी है। जो ग्रीन जोन हैं उन्हें जिले या क्षेत्र के अंदर मूवमेंट व काम धंधों की छूट दी जा रही है। आरेंज व रेड जोन में अभी पाबंदियां सख्त रखने की कोशिशे हैं। लॉकडाउन का स्वास्थ्य के लिहाज से देश को बहुत ज्यादा फायदा हुआ है। पहला लॉकडाउन से कोरोना के फैलाव की गति धीमी पड़ी दूसरा सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्थाएं करने का वक्त मिल गया। जिस कारण सरकार अब शायद आश्वस्त है कि कोरोना मरीजों का वह ईलाज कर सकती है। लॉकडाउन के दौरान लोगों ने भी कोरोना पर काफी कुछ जान समझ भी लिया है कि इससे कैसे बचा जा सकता है, कोरोना कैसे फैलता है वगैरह-वगैरह।
अत: अब तय है कि लॉकडाउन को लम्बा नहीं खींचा जा सकता। लॉकडाउन में ढील देना भले मजबूरी है परन्तु राज्य व केन्द्र सरकार को शराब टैक्स के लालच में अभी नहीं पड़ना चाहिए था, इससे कोरोना संक्रमण को बहुत ज्यादा गति मिल सकती है। दूसरा, लोगों को अभी राशन पूरा नहीं पहुंच रहा, करोड़ों लोगों की रोजमर्रा की आमदन बंद है तब शराब के फिजूल खर्च को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। बेहतर हो यदि सरकार राशन, दवाएं, कारोबार आपूर्ति को गति दे न कि शराब को गति दे। आम समाज को भी चेतना चाहिए कि लॉकडाउन में ढील का आश्य कोरोना खत्म नहीं हुआ बल्कि आमजन की स्वयं की जिम्मेवारी बढ़ गई है। लोगों को अब लॉकडाउन से ज्यादा एहतियात रखनी होगी। बेमतलब भीड़ में ना जाएं। सोशल डिस्टेंसिंग रखें, मास्क पहनें, हाथ धोते रहें, चेहरा न छूएं कोरोना लक्ष्ण दिखें तो स्वयं व परिवार को क्वारंटाईन करें। खुद स्वस्थ रहें देश को स्वस्थ रखें।

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