लोक सभा चुनावों के मद्देनजर क्षेत्रीय पार्टियों की अब कद्र बढ़ी हुई है। कभी बहुमत प्राप्त करने वाली कांग्रेस व भाजपा दोनों पार्टियों को 2019 के चुनावों के लिए न केवल क्षेत्रीय पार्टियों के साथ समझौते किए जा रहे हैं बल्कि उनकी हर शर्त को माना जा रहा है। विशेष तौर पर सीटों को बांटने के मामले में राष्ट्रीय पार्टियां कोई भी शर्त नहीं रख रही। ताजा मामला तामिलनाडु में देखने को मिला, जहां 39 सीटों में से कांग्रेस को 9 सीटें ही मिली हैं।
30 सीटों पर डीएमके अपने उम्मीदवार उतारेगी। इसी तरह एआईएडीएमके व पीएमके ने 34 सीटों में से भाजपा को केवल 5 सीटें दी। इससे पूर्व बिहार में भी भाजपा को कुल 40 सीटों में से केवल 17 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा, जबकि भाजपा के सिटिंग एमपी 21 हैं और सीटों के बंटवारे से स्पष्ट लग रहा है कि बड़ी पार्टियां सीटों की अपेक्षा ज्यादा जोर पार्टी को अपने साथ जोड़ने पर लगा रही हंै। उत्तर प्रदेश के बाद दक्षिणी भारत का तमिलनाडु ही बड़ा राज्य था, जहां कांग्रेस व भाजपा ने अपना निशाना साधना था। यह गठबंधन इस बात को दिखा रहा है कि पिछले चुनावों की तुलना में इस बार किसी एक नेता की लहर नहीं है।
मुद्दों की बात भी धीमी पड़ गई है केवल आरोप-प्रत्यारोप ही लगाए जा रहे हैं। अब चुनावी मैनीफेस्टो ही अगली चुनौतियों को तय करेगा। भ्रष्टाचार के मामले में दोनों पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ बराबर टक्कर दे रही हैं। एनडीए सरकार लोक सभा चुनाव की घोषणा से पूर्व कोई बड़ा फैसला लेगी, इसके आसार कम ही है। सरकार के कार्यकाल का अंतिम सत्र भी निकल चुका है। अब जंग रणनीति की बची है। चुनावी रणनीतिकारों का दौर जारी है। राष्ट्रीय स्तर की अन्य पार्टियां व क्षेत्रीय पार्टियों के नेता खुशी के साथ-साथ असमंझस में हैं। इनैलो और बसपा का गठजोड़ टूट चुका है।
उत्तर प्रदेश में मुलायम यादव का बयान भी सपा -बसपा गठजोड़ को कमजोर कर सकता है। सही अर्थों में इस माहौल में वोटर का महत्व और बढ़ेगा और वोटर के विवेक की पहचान होगी। क्षेत्रीय पार्टियां इसी कारण खुश हैं कि उन्हें जितनी सीटें चाहिए, वह मुंह मांगी मिल रही हैं। आंकड़ों के खेल में लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। क्षेत्रवाद देश की राजनैतिक विशेषता के साथ-साथ कमजोरी की तरह उभर रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि क्षेत्रीय पार्टियां विचारधारा बनाने की पहल करें। पार्टियां आंकड़ों की दौड़ में शामिल होकर महज एक आंकड़ा बनकर न रह जाएं।
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