किसानों ने विधायक कांडा और सांसद दुग्गल का किया विरोध
-
पुलिस से हुई धक्का-मुक्की, पानी की बौछारें कर खदेड़े
-
चुनाव को लेकर छावनी बना रहा नगरपरिषद कार्यालय
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। लंबे समय से नगरपरिषद सरसा को आखिर उसका नया चेयरपर्सन रीना सेठी के रूप में मिल ही गया। बुधवार को तनावपूर्ण माहौल में हुए चुनावों में हलोपा समर्थित उम्मीदवार पार्षद रीना सेठी के सिर पर 17-15 के अंतर से चेयरपर्सन का ताज सज गया।
हालांकि कुछ दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा समर्थित महिला उम्मीदवार व वार्ड नंबर 5 से पार्षद सुमन शर्मा को सहानुभूति के लिए चेयरपर्सन की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है, लेकिन सरसा के विधायक गोपाल कांडा ने नाटकीय अंदाज में अपनी पार्टी की उम्मीदवार रीना सेठी को चेयरपर्सन की कुर्सी पर काबिज कर दिया। अचानक हुए इस परिवर्तन से भाजपा खेमा भी पूरी तरह से मायूस नजर आया। चुनाव के दौरान सांसद सुनीता दुग्गल, हलोपा विधायक गोपाल कांडा व उनके भाई गोविंद कांडा भी मौके पर मौजूद रहे।
तनावपूर्ण बनी रही स्थिति
नप चेयरपर्सन के चुनाव को लेकर बुधवार को नगर परिषद कार्यालय में स्थिति बेहद तनावपूर्ण रही। एक ओर जहां नप चेयरपर्सन को लेकर राजनीतिक दलोंके लोग जुगाड़ बिठाने में जुटे थे तो वहीं दूसरी ओर तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनरत किसानों ने मौके पर आकर माहौल को और गरमा दिया। किसानों ने नगर परिषद कार्यालय में पहुंचे विधायक गोपाल कांडा और भारतीय जनता पार्टी के विरोध में जमकर नारेबाजी की।
विधायक व बीजेपी के नेताओं के नगर परिषद कार्यालय में पहुंचने पर एकबारगी तो स्थिति अनियंत्रित हो गई थी, लेकिन पुलिस ने बेरीकेड्स व रस्सियों के सहारे जैसे-तैसे स्थिति को संभाल लिया। चुनाव के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए एसडीएम जयवीर यादव को मोर्चा संभालने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। सांसद सुनीता दुग्गल को किसानों के विरोध के कारण एसडीएम की गाड़ी में बैठाकर बाहर निकालना पड़ा।
काबिलेजिक्र है कि नगरपरिषद के शुरूआती चुनावों में भाजपा समर्थित शीला सहगल को चेयरपर्सन चुना गया था, लेकिन इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव के चलते उनकी कुर्सी चली गई। इसके बाद उपप्रधान बनाए गए कांग्रेस समर्थित रणधीर सिंह को कार्यकारी चेयरपर्सन बनाया गया। इसके बाद कई दफा चुनाव की तारीख तय हुई, लेकिन किसी न किसी कारण चुनाव मुकम्मल नहीं हो पाए।
छावनी बना रहा नगर परिषद कार्यालय
नप चेरयपर्सन चुनाव को लेकर प्रशासन व पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। हालांकि बीती शाम को ही किसानों ने प्रशासन को चेताया था कि वे बीजेपी व सरकार के पक्षधर विधायकों का विरोध करेंगे और उन्हें यहां नहीं घुसने देंगे। किसानों की चेतावनी के बाद बुधवार सुबह से ही नगरपरिषद कार्यालय के बाहर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया।
नप कार्यालय के बाहर बेरीकेड्स लगाकर किसी भी व्यक्ति को चैकिंग के बाद ही अंदर आने दिया गया। प्रशासन व पुलिस को भी इस बात की भनक नहीं थी कि काफी संख्या में यहां किसान जुट जाएंगे और भाजपा नेताओं व विधायक गोपाल कांडा का विरोध करेंगे। धीरे-धीरे कर किसानों का जमघट नप कार्यालय के बाहर लग गया, जिसे काबू करना पुलिस व प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया।
पुलिस को भीड़ को काबू करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान किसानों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को वाटर कैनन का भी इस्तेमाल करना पड़ा। कानून व्यवस्था की स्थिति को सामान्य बनाने के उद्देश्य से जिला पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह ने भी मौके का मुआयना किया और पुलिस अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।