आज के युग में सभी तनावग्रस्त हैं। कोई भी तनाव से अछूता नहीं है। बस अंतर इतना है कि कई लोग अधिक तनावग्रस्त रहते हैं, कई कुछ हल्के रूप से। तनावों को खत्म करना तो शायद बहुत मुश्किल है पर इनको कम किया जा सकता है, थोड़ी सी सूझ बूझ से।
आशावान बनें:-
पॉजिटिव थिंकिंग ही एक ऐसा तरीका है जो तनाव से आपको मीलों दूर रख सकता है। आशावान मनुष्य बहुत कम तनाव में रहते हैं क्योंकि उन्हें अपने पर विश्वास रहता है कि वे स्वयं को हर परिस्थिति में ढाल सकते हैं और मौका आने पर काम भी कर सकते हैं और काम पूरा न होने पर निराश नहीं होते। पुन: प्रयासरत हो जाते हैं।
आपसी तालमेल बढ़ाएं:-
आपसी तालमेल भी तनाव कम करता है क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। मिलजुल कर रहने से काम आसान हो जाता है। अकेले मुसीबतों का सामना करना पड़े तो इंसान तनावग्रस्त हो जाता है। साथ रहने पर सहारा होता है।
क्रियाशील बने रहें:-
क्रियाशील व्यक्ति भी काफी हद तक तनावमुक्त रहते हैं, क्योंकि उनके पास फालतू की बातें साचने के लिए वक्त नहीं होता। खाली बैठने से दिमाग शैतानियों के अलावा कुछ नहीं सोचता। फालतू की सोच तनाव बढ़ाती है। घर के काम जितने खुद निपटा सकें, अच्छा है। नौकरों पर निर्भर रहने और उनके न आने पर तनाव बढ़ जाता है। सक्रिय जीवन तनावों से मुक्ति दिलवाने में मदद करता है।
ईर्ष्या की भावना न रखें:-
ईर्ष्या मनुष्य को तनावग्रस्त बनाती है। ईर्ष्या न रखते हुए स्वयं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें तो आप तनाव से दूर रह सकते हैं।
अपने शौक जारी रखें:-
तनाव कम करने का एक उपाय यह भी है कि अपनी हॉबीज के लिए समय जरूर निकालें ताकि अपनी थकान उस काम को करके दूर कर सकें या जब आप मानसिक रूप से थके हैं और नींद नहीं आ रही। ऐसे में डायरी लिखना, संगीत सुनना, गार्डनिंग करना, मैगजीन या मनपसंद पुस्तक पढ़ कर अपने तनावों को दूर कर सकते हैं।
व्यायाम और ध्यान:-
अपने शरीर को चुस्त दुरूस्त रखने के लिए कुछ समय व्यायाम को दें। शरीर स्वस्थ रहेगा, मन प्रफुल्लित रहेगा और तनाव दूर रहेंगे। शरीर ढीला रहेगा तो मूड खराब रहेगा, छोटी-छोटी बात बड़ी लगेगी और तनाव बढ़ेगा। कुछ समय मेडिटेशन में लगायें। यदि मेडिटेशन न कर सकें तो मन्दिर, आर्य समाज, गुरूद्वारे में जाकर भगवान की भक्ति में लीन होने का प्रयास करें।
क्रोध को दूर रखें:-
तनाव को दूर रखने के लिए क्रोधी स्वभाव को दूर रखना बहुत आवश्यक है। क्रोध से शरीर में ऐसे रस विकसित होते हैं, जो उत्तेजना बढ़ाते हैं जिनसे तनाव बढ़ता है। जब कभी क्रोध आ रहा हो तो उस जगह से या उस काम से मन हटा कर कहीं और लगायें या आत्म निरीक्षण करें कि क्या इतना गुस्सा इस समय ठीक है।
-नीतू गुप्ता
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