लापरवाही एक व्यक्ति या एक संस्था करे तब वह अनगिनत लोगों के लिए मुसीबत बन जाती है लेकिन जब तीन संस्थान एक ही समय में लापरवाही करें तब समस्या भयानक रूप धारण कर जाती है। निजामुद्दीन मरकज में एक हजार लोगों का इक्ट्ठ होना व इनमें से छह लोगों की कोरोना वायरस के कारण मृत्यु हो जाना पूरे देश के लिए खतरे की घंटी है। निजामुद्दीन मरकज का यह मामला एक बड़ी प्रशासनिक व पुलिस की लापरवाही है। सवाल यह है कि देश भर में लॉकडाउन व लॉकडाउन लागू होने से पहले इतने बड़ी संख्या में लोग निजामुद्दीन मरकज में कैसे इक्ट्ठे हो गए? इससे दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना स्वाभाविक है। अब पुलिस ने एक वीडियो जारी कर सफाई पेश करने की कोशिश की कि मरकज की मैनेजमेंट को 23 मार्च को मरकज खाली करने के निर्देश दिए थे, लेकिन यह वीडियो पुलिस व प्रशासन को ही कटघरे में खड़ा कर रहा है, क्योंकि पुलिस को 23 मार्च को पूरी जानकारी थी व पुलिस ने स्थानीय प्रशासन को सूचित नहीं किया। दरअसल अब पुलिस अपना बचाव करने के लिए प्रशासन को भी अपनी गलती में भागीदार बनाना चाहती है।
दूसरी तरफ देखा जाए तो विभिन्न राज्यों की पुलिस मुस्तैदी से लोगों को घरों के अंदर रखने में सफल रही है। गांवों में तो एक-दो व्यक्तियों को भी गलियों में खड़े रहने से भी रोका जा रहा है, लेकिन दिल्ली में एक हजार व्यक्तियों के इक्ट्ठा पर कोई भी कार्रवाई न होना, यह पुलिस व प्रशासन की जवाबदेही बनती है। मरकज में एकत्रित हुए व्यक्तियों की तेलंगाना में मृत्यु होने से सरकारों में हड़कंप मच गया है। मरकज प्रबंधकों के खिलाफ मामला दर्ज हो गया है, लेकिन साथ ही पुलिस व प्रशासन की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। उधर मरकज प्रबंधक भी अपनी लापरवाही पर पर्दा नहीं डाल सकते, जिन्होंने विश्व भर में फैली बीमारी की गंभीरता व देश में लॉकडाउन को अनदेखा किया। जब देशभर के धार्मिक स्थानों ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए थे, तब मरकज प्रबंधकों का यह जवाब काफी नहीं कि उन्होंने भी कार्यक्रम को रद्द कर दिया था। एक हजार लोगों की उपस्थिति के बावजूद कार्यक्रम रद्द करने का कोई आधार नहीं बनता, क्योंकि समस्या का कारण इक्ट्ठ है।
सभी धार्मिक स्थान पवित्र व पूजनीय है, लेकिन कोई भी धार्मिक स्थान कानून व समाज के खिलाफ नहीं चल सकता। धर्म हमेशा समाज को मार्गदर्शन व समाज की भलाई के लिए कार्य करते हैं। समारोह भी तब शोभा देते हैं, जब लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। इन हालातों में मरकज प्रबंधक अपनी जिम्मेवारी निभाने में नाकाम रहे है। नि:संदेह यह मामला धार्मिक होने के कारण केंद्र सरकार व दिल्ली पुलिस के लिए एक बड़ा संकट बन गया। लॉकडाउन के बावजूद मरकज में भारी इक्ट्ठ की लापरवाही के लिए दिल्ली पुलिस, प्रशासन व मरकज प्रबंधक तीनों को ही जनता की कचहरी में जवाब देने होंगे।
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