सरसा। सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मालिक का नाम सुखों की खान है और मालिक के नाम से बढ़कर कोई ऐसा रसायन नहीं जो इन्सान के दु:ख, दर्द, चिंता, परेशानियों को खत्म कर सके। दुनिया में इन्सान दु:खी, परेशान, गमगीन व रोगग्रस्त हैं, पर इसका उपाय केवल प्रभु का नाम है।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि कई बार ऐसे कर्म रोग होते हैं, चाहे कितनी भी दवा लो वो जल्दी से खत्म होने का नाम ही नहीं लेते। ऐसे कर्म रोगों को खत्म करने के लिए दवा और दुआ की जरूरत पड़ती है। दुआ केवल प्रभु के नाम से संभव है, और कोई तरीका नहीं। प्रभु का नाम जपें और दवा लें तो वो कर्म रोग खत्म हो जाते हैं।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि टेंशन लेने से रोग कम नहीं होता, बल्कि बढ़ जाता है। किसी बात या काम को लेकर टेंशन लेने की बजाए सब कुछ मालिक पर छोड़ दो, मालिक जाने उसका काम जाने। इसलिए आप सुमिरन करते रहें, मालिक से मालिक को मांगते रहिये और अपने बुरे कर्मों से परहेज कीजिए।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सान बुरे कर्मों से गुरेज नहीं करता, जो मन में आया वो करता है और जब कर्मों की मार पड़ती है तब कहता है कि मंैने तो कुछ किया ही नहीं। ये संसार तो किये कर्मों का बाजार है, जैसे बोओगे वैसा काटोगे। जैसा करोगे वैसा आने वाले समय में भरना पड़ेगा। इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करो, मालिक से मालिक को मांगते रहो तो यकीनन मालिक की कृपा दृष्टि होगी और अंदर-बाहर खुशियां होंगी। आपकी गम, चिंताएं सब मिट जाएंगी, रोग दूर होंगे और मालिक के नजारे के काबिल आप बनते चले जाएंगे। पीर-फकीर के वचन अगर मुरीद मान ले तो पौ-बारह-पच्चीस हो जाती है, यानि कोई कमी नहीं रहती।