एक बार फिर बड़े पर्दे पर दिखाई देगी हिन्दुस्तान के सबसे बड़े जांबाज रविंद्र कौशिक की कहानी
देश के दुश्मनों के बारे में जासूसी करना कोई आसान काम नहीं है। वतन के दुश्मन हमें नुक्सान पहुंचाने के लिए कहाँ (ravinder kaushik) और किस तरह की साजिश रच रहे हैं, उसकी जासूसी के लिए जान तक गंवानी पड़ सकती है। आज हम आपको एक ऐसे ही बहादुर हिन्दुस्तानी जासूस की कहानी बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद आप इससे पहले नहीं जानते होंगे। यह कहानी है बहादुरी व देशसेवा के जुनुन की, यह कहानी है एक सच्चे व जांबाज हिन्दुस्तानी के अदम्य साहस की, जिसने अकेले (ravinder kaushik) ही छुड़ा दिए थे पूरी पाकिस्तानी सेना के छक्के, यह कहानी है भारत माता के उस सच्चे सपूत की जिसने अपना पूरा जीवन देश सेवा को समर्पित करते हुए पाकिस्तान की जेलों में तड़पते हुए बिता दिया। इस सच्ची कहानी को यदि आप देखना चाहते हैं तो बस थोड़ा इंतजार कीजिए।
फिल्म डायरेक्टर राजकुमार के निर्देशन में बनाई जा रही फिल्म ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ की कहानी इसी जांबाज जासूस रॉ अधिकारी रविंद्र कौशिक उर्फ नबी अहमद की सच्ची घटना पर आधारित है। फिल्म 24 मई से बड़े पर्दे पर दस्तक दे सकती है।
हिन्दुस्तान के सबसे बड़े जासूस रविंद्र कौशिक पर बन रही फिल्म ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ में अर्जुन कपूर लीड रोल में हैं और उनका नया लुक बड़ा ही सरप्राइजिंग है। फिल्म की शूटिंग इन दिनों जोरों पर है। फिल्म में अर्जुन का नाम प्रभात है, जो कि रवींद्र कौशिक नाम के जासूस के किरदार में नजर आएंगे। राजकुमार गुप्ता ने कौशिक की माँ और भाई से मिली जानकारी के आधार पर ये स्क्रिप्ट लिखी है और आधिकारिक राइट्स भी लिए हैं। फिल्म इश्कजादे से अपना करियर शुरू करने वाले अर्जुन कपूर की ये 12वीं फिल्म है। ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड ’ के बारे में राजकुमार गुप्ता ने बताया था कि, वह लंबे समय से इस फिल्म की कहानी पर काम कर रहे थे।
उन्होंने तीन साल से लगातार इस पर काम किया और फिल्म की कहानी उन्हें काफी इंस्पायरिंग लगी। यही वजह है कि वह फिल्म की कहानी को लेकर आगे बढ़े। रिपोर्ट के अनुसार, राज ने ये भी कहा कि वह वास्तविक जगहों पर शूटिंग करना चाहते हैं जिसमें राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और ईरान शामिल होंगे। फिल्म में ‘ब्लैक टाइगर’ के 21 से 49 साल तक के सफर को दिखाया जाएगा।
प्रकाशन ने रविन्द्र की बहन शशि वशिष्ठ से भी बात की जिन्होंने कहा कि उनके भाई देशभक्ति के नाटक लिखते थे और उनके लुक उन्हें फिल्मों के आॅफर दिलाने में सक्षम थे। फिल्म में यह खुलासा भी दिलचस्प होगा कि उस समय की सरकार ने उनकी कोई भी मदद नहीं की। फिल्म में इन सब चीजों का खुलासा आम दर्शक के लिए जबरदस्त जानकारी और प्रशंसा का कारण बनेगा। यहां बता दें कि ‘एक था टाइगर’ फिल्म की कहानी भी इसी वास्तविक पात्र पर आधारित थी।
नाटक की दुनियां से जुड़े हुए थे रविंद्र
राजस्थान के श्रीगंगानगर में वर्ष 1952 में एक पंजाबी परिवार में जन्में रविंद्र कौशिक को थियेटर का काफी शौक था। वह सिर्फ एक टीनएजर थे जब रॉ के लिए उनका चुनाव हो गया था। रविंद्र ने वर्ष 1975 में ग्रेजुएशन पूरा किया और फिर रॉ में शामिल हो गए।
23 वर्ष की उम्र में गए पाकिस्तान
रविंद्र को रॉ ने पाकिस्तान में भारत के लिए अंडरकवर एजेंट का जॉब आॅफर किया जो उन्होंने खुशी से स्वीकार कर लिया। जब उन्हें मिशन पर पाकिस्तान भेजा गया तब उनकी उम्र सिर्फ 23 साल थी। बताया जाता है कि रॉ ने उन्हें करीब दो साल तक ट्रेनिंग दी थी।
मुसलमान बनाने की हुई ट्रेनिंग
कौशिक को पक्का मुसलमान बनाने की ट्रेनिंग दिल्ली में दी गई थी। उन्हें उर्दू सिखाई गई और इस्लाम धर्म से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बताई गईं। इसके अलावा उन्हें पाकिस्तान के बारे में भी कई जानकारियां दी गई। वह पंजाबी भाषा धड़ल्ले से बोल लेते थे जो पाकिस्तान के अधिकतर हिस्सों में बोली जाती है।
रविंद्र से हो गए नबी अहमद शाकिर
1975 में रविंद्र को नबी अहमद शाकिर नाम के साथ पाकिस्तान भेजा गया। इसके बाद वह पाकिस्तान सेना में सिविलियन क्लर्क बन गए। इसके बाद उन्हें पाक सेना के अकाउंट्स डिपार्टमेंट में भेज दिया गया।
मुसलमान लड़की से की शादी
जानकारी के मुताबिक रविंद्र ने पाकिस्तान में आर्मी यूनिट में तैनात टेलर की बेटी अमानत से शादी कर ली थी। इसके बाद वह एक बेटे के पिता बने जिसकी 2012-2013 के बीच मृत्यु हो गई थी।
भारतीय सेना को दी अहम जानकारियां
1979 से 1983 के बीच रविन्द्र ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को पाकिस्तानी सेना से जुड़ी अहम जानकारियां सौंपी जो देश के लिए काफी मददगार साबित हुई। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कौशिक को ‘ब्लैक टाइगर’ नाम दिया और उस समय भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी कौशिक को ब्लैक टाइगर के नाम से ही पुकारती थीं।
दयनीय रहा पाक जेलों में जिंदगी का सफर
पाकिस्तान के माहौल में अच्छे खासे ढल चुके रविन्द्र उर्फ नबी अहमद के राज से आखिरकार उस समय पर्दा उठा जब रॉ ने रविन्द्र के पास भारत से एक और जासूस को रहने के लिए भेजा जिसे बाद में पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने धर लिया। इसके बाद रविन्द्र को भी गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें सजा-ए-मौत सुनाई गई, जिसे बाद में आजीवन कारावास की सजा में तब्दील कर दिया गया।
1985 में सुनाई गई सजा-ए-मौत
पकड़े जाने के बाद कौशिक को 1985 में पाकिस्तान की अदालत ने मौत की सजा सुना दी हालंकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया। कौशिक को पाक की सियालकोट, कोट लखपत और मियांवाली जेलों में करीब 16 वर्षों तक रखा गया। जेल में रहते उन्हें टीबी, अस्थमा और दिल की बीमारियां हो गईं थी।
1999 में कह गए दुनियां को अलविदा
26 जुलाई 1999 को टीबी और दिल की बीमारियों की वजह से मुल्तान की सेंट्रल जेल में उनकी मौत हो गई। बताते हैं कि जेल के पीछे उन्हें दफना दिया गया था। उन्होंने किसी तरह से अपने परिवार से संपर्क कर चिट्ठियां लिखीं जिसमें उन्होंने सारी दास्तां बयां की थी।
एक जासूस की गलती से पकड़ा गया सच
लेकिन 1983 में कौशिक का राज खुल गया। दरअसल रॉ ने ही एक अन्य जासूस कौशिक से मिलने पाकिस्तान भेजा था जिसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने पकड़ लिया। पूछताछ के दौरान इस जासूस ने अपने इरादों के बारे में साफ-साफ बता दिया और साथ ही कौशिक की पहचान को भी उजागर कर दिया। हालांकि कौशिक वहां से भाग निकले और उन्होंने भारत से मदद मांगी, लेकिन भारत सरकार पर आरोप लगते हैं कि उसने उन्हें भारत लाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
आखिरकार पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने कौशिक को पकड़ लिया और सियालकोट की जेल में डाल दिया। वहां न सिर्फ उनका शोषण किया गया बल्कि उन पर कई आरोपों में मुकदमा भी चला। बताते हैं कि वहां रवींद्र कौशिक को लालच दिया गया कि अगर वो भारतीय सरकार से जुड़ी गोपनीय जानकारी दे दें तो उन्हें छोड़ दिया जाएगा लेकिन कौशिक ने अपना मुंह नहीं खोला, पाकिस्तान में कौशिक को 1985 में मौत की सजा सुनाई गई जिसे बाद में उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। सच कहूं टीम
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