जयपुर। इस बार कोरोना का ग्रहण रावण दहन पर भी नजर आएगा। ऐसा पहली बार होगा जबकि पिछले 60 से 70 साल से चली आ रही रावण दहन की परंपरा टूटेगी और शहरवासियों को वे रावण दहन के आयोजन नहीं देखने को मिलेंगे। जिनका हर साल बेसब्री से इंतजार करते थे। इनमें सबसे ज्यादा चर्चित नाम है न्यू गेट, एमआई रोड स्थित रामलीला मैदान। यहां शहर में सबसे पहले 1950 में गोलछा चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से रामलीला का मंचन व रावण दहन का आयोजन शुरू किया गया था।
इसके बाद 1960 में आदर्श नगर में श्री राम प्रन्यास ट्रस्ट की तरफ से रामलीला की शुरूआत हुई और यहां 105 फीट का रावण और 95 फीट ऊंचाई का मेघनाद और कुंभकर्ण का पुतला दहन करने की शुरूआत हुई। लेकिन, इस बार शहर कोरोना महामारी और संक्रमण के चलते धारा 144 लागू होने से रावण दहन की यह परंपरा टूटेगी। पहली बार होगा जबकि शहर में रामलीला मैदान और दशहरा मैदान में रावण दहन नहीं होगा। यहीं नहीं, शहर में करीब 20 से ज्यादा प्रमुख रावण दहन के छोटे बड़े आयोजन भी नहीं होंगे। इस बार सभी जगहों पर दशहरा मेले के आयोजन स्थगित कर दिए गए है।
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