Rats Survive On Mars: मंगल ग्रह को लेकर बड़ा अपडेट सामने आ रहा है। हमेशा लोगों के मन में ये रहता है कि क्या मंगल ग्रह पर को रह सकता है। वैज्ञानिकों ने इस बारे में खोज कर ली है। वैज्ञानिकों के अनुसार चूहे मंगल ग्रह पर भी जिंदा रह सकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ज्वालामुखियों के शिखर पर रहने वाले चूहों की खोज के बाद पता चलता है कि स्तनधारी मंगल ग्रह पर रह सकते हैं। वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में यह निष्कर्ष निकाला कि ऐसी जगहों पर मुश्किल वातावरण में चूहें रह सकते हैं। पहले रिसर्च में बताया गया था कि ऐसी जगहों पर स्तनधारी जीवन संभव नहीं है। अब वैज्ञाानिकों का कहना है कि चूहों के कंकाल मिलने ने इस पुरानी थ्योरी को बदल दिया है।
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वैज्ञानिकों का दावा
अमेरिका के प्रोफेसर जे स्टोर्ज व उनके साथी पर्वतारोही मारियो पेरेज ममानी ने 2020 की शुरूआत में चिली-अर्जेटीना बॉर्डर पर फैले ज्वालामुखी लुल्लाइलाको की 22 हजार फुट ऊंची चोटी के ऊपर एक पत्ती कान वाले चूहे के जिंदा होने का सबूत पाया था। इससे पहले इतनी ज्यादा ऊंचाई पर कोई स्तनपायी जीव नहीं मिला था।
चूहे बेहद खतरनाक वातावरण में रह सकते हैं जिंदा
एक रिसर्च के अनुसार वैज्ञानिकों ने पाया कि स्तनधारी ऐसे दुर्गम, मंगल जैसे वातावरण में ज्वालामुखियों के शिखर पर रह सकते है। प्रशिक्षित पर्वतारोही यहां पर जात हैं तो अपनी ट्रेनिंग के चलते एक दिन इतनी ऊंचाई को सहन कर लेते हैं। ये चूहे ऐसी ऊंचाई पर रह रहे हैं तो बड़ी बात है। पहले रिसर्च में वैज्ञानिकों ने स्तनधारियों की शारीरिक सहनशीलता को कम करे आंका है।
खोज में वैज्ञानिकों को क्या मिला
अमेरिका के प्रोफेसर स्टॉर्ज के अनुसार, जब उन्होंने और उनके साथियों ने चट्टानों की खोज शुरू की तो शिखर पर चूहों की ममियां मिलीं। फिर 6 हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले कई ज्वालामुखियों के शिखर पर 13 चूहों के कंकाल मिले। रिसर्च में पता चला कि दो ज्वालामुखियों के शिखर पर पाये गए मृत चूहों के अवशेष कुछ दशक पुराने थे।
चूहे मंगल ग्रह जैसे वातावरण में रह सकते हैं
वैज्ञानिकों को शिखर की ममियों के आनुवंशिक विश्लेषण से पता चला कि वे फाइलोटिस वैकैरम नाम के पत्ती-कान वाले चूहे की एक प्रजाति के हैं, जिनको इस क्षेत्र में कम ऊंचाई पर पाए जाने के लिए जाना जाता है। इसे ये सवाल सामने आया कि स्तनधारी चट्टान और बर्फ की बंजर दुनिया में कैसे रह सकते हैं, जहां तापमान शून्य से ऊपर नहीं होता है और आॅक्सीजन भी बेहद कम होता है। प्रोफेसर स्टोर्ज ने कहा कि ये तो स्पष्ट लगता है कि चूहे अपनी मर्जी से वहां पहुंचे थे। उनका कहना है कि अटाकामा पहाड़ों की जलवायु इतनी दुर्गम है कि नासा मंगल ग्रह पर जीवन की खोज का अभ्यास करने के लिए वहां गया था। चूहों के जो कंकाल मिले, उससे अब इतना तो कहा जा सकता है कि ये चूहे मंगल ग्रह जैसे वातावरण में रह सकते हैं।