देश महिला हॉकी टीम में कप्तानी करेगी धर्मनगरी की बेटी रानी रामपाल
कुरुक्षेत्र(सच कहूँ, देवीलाल बारना)। मन में जिद्द थी कि देश का नाम रोशन करना है। रास्ते में बाप की गरीबी सहित अनेकों मुसीबतें आई लेकिन बेटी ने जो मन में ठाना वह करके दिखाया। कभी सीनियर खिलाडिय़ों की पुरानी हॉकी किट से प्रेक्टिस करने वाली देश की बेटी(Rani Rampal) टोक्यो में होने वाली ओलंपिक में कप्तान के रूप में भारतीय हॉकी टीम की अगुवाई करेंगी। बात कर रहे हैं धर्मनगरी के शाहाबाद निवासी रानी रामपाल की।
आज रानी रामपाल वो नाम बन गया है जिसे दुनियाभर के खिलाड़ी अदब से लेते हैं। गरीबी और मुसीबतों को झेलते हुए हुए रानी रामपाल आज उस मुकाम तक पहुंची हैं, जिसे पाना हर खिलाड़ी का सपना होता है। रानी रामपाल ओलंपिक में महिला हॉकी टीम का बतौर कैप्टन नेतृत्व करेंगी, जोकि पूरे हरियाणा के लिए गर्व की बात है। अब रानी रामपाल टोक्यो ओलंपिक के लिए दिन रात ग्राउंड में पसीना बहा रही हैं। उनका और उनकी टीम का अब बस एक ही लक्ष्य है, महिला हॉकी में देश को गोल्ड दिलाया जाए।
कोच बलदेव सिंह ने रानी को हॉकी सिखाई | Rani Rampal
द्रोणाचार्य अवार्डी कोच बलदेव सिंह ने रानी को हॉकी सिखाई। इसके बाद रानी ने शाहबाद हॉकी एकेडमी में दाखिला लिया। इसके बाद दिने बीतते गए और रानी प्रैक्टिस करती गई। परिवार गरीब था राह में मुश्किलें आना भी लाजमी था। कई बार उन्होंने हॉकी छोड?े के बारे में सोचा, क्योंकि उनके परिवार के पास उनकी कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे लेकिन कोच बलदेव सिंह ने और सीनियर खिलाडिय़ों ने उनका साथ दिया. उन्हें ट्रेनिंग के लिए हॉकी की पुरानी किट मुहैया कराई।
15 वर्ष की उम्र में हुई महिला हॉकी टीम में शामिल
15 वर्ष की आयु में रानी रामपाल 2009 में भारतीय टीम में शामिल हुई। इसके बाद रानी (Rani Rampal) ने जी तोड़ मेहनत की। जून 2009 में उन्होंने रूस में आयोजित चैम्पियन्स चैलेंज टूनार्मेंट खेला। फाइनल मुकाबले में चार गोल किए और इंडिया को जीत दिलाई। उन्हें ‘द टॉप गोल स्कोररझ् और ‘द यंगेस्ट प्लेयरझ् घोषित किया गया। अब तक वें 200 से ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेल चुकी हैं। उन्होंने साल 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लिया। एशियाई खेलों में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उन्हें एशियाई हॉकी महासंघ की आॅल स्टार टीम का हिस्सा बनाया गया। वर्ष 2020 में रानी रामपाल को पदमश्री व खेल रत्न पुरुस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
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बरसात में टपकता था मकान : रामपाल
4 दिसंबर 1994 को शाहाबाद के गरीब परिवार में जन्मी रानी रामपाल के पिता घोड़ा-गाड़ी चलाते थे और ईंटें बेचते थे लेकिन पांच लोगों के परिवार के लिए ये बहुत कम था। रानी के पिता रामपाल कहते हैं उनका कच्चा मकान था जो बारिश के वक्त टपकता था। तेज बारिश के दिनों में कच्चे घर में पानी भर जाता था और रानी अपने दोनों भाइयों के साथ मिल कर, बारिश के रुकने की प्रार्थना करती थीं।
पिता ने रानी का किसी तरह स्कूल में दाखिला तो करवा दिया लेकिन रानी के लिए बचपन में स्कूल जाना भी मुश्किल था। जब रानी ने हॉकी खेलना शुरू किया तो आस पड़ोस के लोग ताने देते थे लेकिन मानों रानी के सिर पर हॉकी का जुनून सवार था और रानी ने किसी ताने का न सुना और आज उसी का नतीजा है कि रानी महिला हॉकी का चमकता सितारा बन गई हैं।
…पिता जी मैं खेलना चाहती हूँ
जब रानी 6-7 साल की थीं, तब स्कूल से आते-जाते खेल के मैदान को देखती थीं। लड़के वहां हॉकी खेलते थे और रानी को वो खेल अच्छा लगता था। एक दिन घर आकर रानी अपने पिता से बोलीं कि वो भी हॉकी खेलना चाहती है। घरवालों ने पहले तो मना किया, लेकिन रानी ने तो ठान लिया था कि हॉकी खेलनी है तो खेलनी है। रानी की इस जिद के आगे उनके पिता की भी एक ना चली। आखिरकार माता-पिता मान गए, और बेटी का साथ देने का फैसला किया।
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