नशा नेस्तनाबूत को निकला एक फकीर।
दम तोड़ते ड्रग का, मानो हुआ आखीर।।
मानो हुआ आखीर, खीर अमृत वाणी की।
खैर नहीं अब रहे, नर्कों की नानी की।।
यूथ भविष्य देश का, न होगी अब दुर्दशा।
सुन-सुन डेप्थ का सांग, छुट जाएगा नशा।।
“संजय बघियाड़ “
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।