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रक्षाबंधन बंधन पर्व को लेकर बाजारों में सजने लगी राखियों की स्टॉल
पानीपत (सन्नी कथूरिया)। जैसे-जैसे बहन-भाई का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे बाजारों में राखियों के स्टाल सजने लगे हैं। रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों की दाहिनी कलाई में राखी बांधती हैं, उनका तिलक करती हैं और उनसे अपनी रक्षा का संकल्प लेती हैं। हालांकि रक्षाबंधन की व्यापकता इससे भी कहीं ज्यादा है। राखी बांधना सिर्फ भाई-बहन के बीच का कार्यकलाप नहीं रह गया है। राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है। रक्षा बंधन पर्व को लेकर सच कहूँ संवाददाता ने शहर के गणमान्यजनों से बातचीत की। जो इस प्रकार है।
‘‘आज यह त्योहार हमारी संस्कृति की पहचान है और हर भारतवासी को इस त्योहार पर गर्व है। लेकिन भारत में जहां बहनों के लिए इस विशेष पर्व को मनाया जाता है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भाई की बहनों को गर्भ में ही मार देते हैं। आज कई भाइयों की कलाई पर राखी सिर्फ इसलिए नहीं बंध पाती क्योंकि उनकी बहनों को उनके माता-पिता ने इस दुनिया में आने ही नहीं दिया। यह बहुत ही शर्मनाक बात है कि जिस देश में कन्या पूजन का विधान शास्त्रों में है वहीं कन्या भ्रूण हत्या के मामले सामने आते हैं। यह त्योहार हमें यह भी याद दिलाता है कि बहनें हमारे जीवन में कितना महत्व रखती हैं।
-डॉ. अनु कालड़ा
‘‘राखी का त्यौहार बहन भाइयों का पवित्र त्यौहार है, इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं। लेकिन आजकल कुछ लोग इस पवित्र त्यौहार का महत्व नहीं समझते, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। इस त्यौहार को मयार्दा में रहते हुए प्रेम पूर्वक मनाना चाहिए।
-ममता तनेजा (ग्रहणी)।
‘‘भाई-बहन के स्नेह के अटूट बंधन का त्यौहार रक्षा बंधन है। रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर मैं सभी से अनुरोध करती हूँ कि व बेटियों को शिक्षित करें व कन्या भू्रण हत्या को रोकें। वहीं हर त्यौहार पर हमें दूसरों की मद्द के लिए कार्य करना चाहिए ताकि जरूरतमंद व असहाय लोग भी हर त्यौहार को खुशी से मना सकें।
-सुधा झा (चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट)
रक्षाबंधन से संबंधित अनेक कथाएं हैं। रक्षा बंधन के दिन सुबह भाई-बहन स्नान करके भगवान की पूजा करते हैं। इसके बाद रोली, अक्षत, कुमकुम एवं दीप जलकर थाल सजाते हैं। इस थाल में रंग-बिरंगी राखियों को रखकर उसकी पूजा करते हैं फिर बहनें भाइयों के माथे पर कुमकुम, रोली एवं अक्षत से तिलक करती हैं और रंग-बिरंगे धागे बांध बांधती है और भाई की लंबी आयु की कामना करती है।
-नेहा कथूरिया।