2019 के चुनाव में निर्दलीय चुनाव लडक़र बने थे विधायक | Gurugram News
- -भाजपा सरकार को समर्थन दिया, सरकार ने बनाया चेयरमैन
- -परिवर्तन संघ बनाकर वर्षों तक छात्राओं के लिए चलाई निशुल्क बस
- -मरीजों के लिए निशुल्क एम्बुलेंस भी की थी शुरू
गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा)। Rakesh Daultabad: परिवर्तन संघ बनाकर समाजसेवा और फिर राजनीति में आए हरियाणा की सबसे बड़ी विधानसभा बादशाहपुर (जिला गुरुग्राम) से निर्दलीय विधायक बने राकेश दौलताबाद (44) का शनिवार की सुबह ह्दय गति रुकने से निधन हो गया। मात्र 39 साल की उम्र में वे विधायक बन गए थे। राजनीति के सफर में उनका साहस और हिम्मत सबके लिए प्रेरणा रही। क्योंकि वे लगातार दो बार चुनाव हारे, मगर हार नहीं मानी। Gurugram News
राकेश दौलताबाद ने सबसे पहले 2009 का बादशाहपुर से विधानसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था। इस चुनाव में उनके सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री राव धर्मपाल थे। राकेश दौलताबाद राव धर्मपाल से 11385 वोटों से हार गए थे। हालांकि वे दूसरे नंबर पर रहे थे। 2014 के हरियाणा विधानसभा के चुनाव में राकेश दौलताबाद ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की टिकट पर बादशाहपुर से चुनाव लड़ा। उनके सामने भाजपा की टिकट पर कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह चुनाव मैदान में थे। इस चुनाव में कांटे की टक्कर थी। राव नरबीर सिंह को 86672 वोट मिले थे, जबकि 68540 वोट लेकर राकेश दौलताबाद दूसरे नंबर पर रहे थे। Gurugram News
भले ही आंकड़ों से राकेश दौलताबाद की इस चुनाव में हार हुई हो, लेकिन राजनीति में उनके पांव जम चुके थे। जनता के दिलों को काफी हद तक जीतने में वे कामयाब रहे थे। हार के बाद वे फिर से सक्रिय हुए। बादशाहपुर की जनता के बीच उनकी सक्रियता कम नहीं हुई। सेवा कार्यों को उन्होंने लगातार जारी रखा। उन्होंने दो प्रमुख कार्यों को सुचारू रूप से चलाए रखा। पहला तो कालेज में पढऩे वाली बेटियों के लिए निशुल्क बस सेवा और दूसरा मरीजों के लिए निशुल्क एम्बुलेंस सेवा। ऐसा करके वे युवाओं के बीच भी पसंद किए जाने लगे। परिवारों में उनके कार्यों की चर्चा होने लगी।
2019 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा चुनाव | Gurugram News
2019 का जब चुनाव आया तो उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल से कोई संपर्क नहीं किया। इनेलो से वे पहले ही अलग हो चुके थे। ऐसे में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में ताल ठोंकी। उधर भारतीय जनता पार्टी ने मजबूत नेता राव नरबीर सिंह की टिकट काटकर अपने युवा नेता मनीष यादव को चुनाव मैदान में उतारा। हालांकि टक्कर दोनों प्रत्याशियों के बीच रही। लेकिन राकेश दौलताबाद को बादशाहपुर की जनता अपना बादशाह बनाने की मन बना चुकी थी। इस चुनाव में राकेश दौलताबाद 1 लाख 6 हजार 827 वोट (47.6 प्रतिशत) वोट लेकर विधायक बन गए। इसके बाद मनोहर सरकार में उन्हें हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कारपोरेशन के चेयरमैन की कुर्सी भी दी गई।
सीएम का चेहरा बदला, फिर भी समर्थन रखा जारी
सोमवीर सांगवान, धर्मबीर गोंदर व रणधीर गोलन ने भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन दे दिया। इस दौरान राकेश दौलताबाद के नाम भी चर्चाएं रहीं कि वे भी भाजपा से समर्थन वापस ले रहे हैं। लेकिन उन्होंने ऐसा ना करके और एक वीडियो संदेश जारी करके कहा कि वे भाजपा सरकार के ही समर्थन में खड़े हैं। ऐसा कहकर उन्होंने सभी अटकलों पर विराम लगा दिया। Gurugram News
अधिकारियों, कर्मचारियों को 25 लाख इनाम देने की पहल
राकेश दौलताबाद ने सरकारी महकमे के कर्मचारियों को लेकर कोरोना काल में अपने स्तर पर एक पहल की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं को लेकर बेहतर काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को वे 25 लाख रुपये का ईनाम देंगे। इसकी राजनीतिक क्षेत्र में काफी चर्चाएं हुई थी। अधिकारियों, कर्मचारियों को काम के प्रति पे्ररित करने का यह अनूठा प्रयोग था।
यह भी पढ़ें:– Haryana Lok Sabha Election LIVE: हरियाणा में एक बजे तक 36.48 प्रतिशत हुआ मतदान