राजकुमार शुक्ल (जन्म 23 अगस्त 1875) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बिहार के चंपारण मुरली भराहावा ग्राम के निवासी और स्वतंत्रता सेनानी थे। इस सीधे-सादे लेकिन जिद्दी शख्स ने महात्मा गांधी को अपने इलाके के किसानों की पीड़ा और अंग्रेजों द्वारा उनके शोषण की दास्तान बताई और उनसे इसे दूर करने का आग्रह किया। गांधी पहली मुलाकात में इस शख्स से प्रभावित नहीं हुए थे और यही वजह थी कि उन्होंने उसे टाल दिया।
लेकिन इस कम-पढ़े लिखे और जिद्दी किसान ने उनसे बार-बार मिलकर उन्हें अपना आग्रह मानने को बाध्य कर दिया। परिणाम यह हुआ कि चार महीने बाद ही चंपारण के किसानों को जबरदस्ती नील की खेती करने से हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई। गांधी को इतनी जल्दी सफलता का भरोसा न था। इस तरह गांधी का बिहार और चंपारण से नाता हमेशा-हमेशा के लिए जुड़ गया। उन्हें चंपारण लाने वाले इस शख्स का नाम था राजकुमार शुक्ल। चंपारण का किसान आंदोलन अप्रैल 1917 में हुआ था। गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह और अहिंसा के अपने आजमाए हुए अस्र का भारत में पहला प्रयोग चंपारण की धरती पर ही किया।
यहीं उन्होंने यह भी तय किया कि वे आगे से केवल एक कपड़े पर ही गुजर-बसर करेंगे। इसी आंदोलन के बाद उन्हें महात्मा की उपाधि से विभूषित किया गया। देश को राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, मजहरूल हक, ब्रजकिशोर प्रसाद जैसी महान विभूतियां भी इसी आंदोलन से मिलीं। इन तथ्यों से समझा जा सकता है कि चंपारण आंदोलन देश के राजनीतिक इतिहास में कितना महत्वपूर्ण है। इस आंदोलन से ही देश को नया नेता और नई तरह की राजनीति मिलने का भरोसा पैदा हुआ।