श्रीगंगानगर (लखजीत सिंह/ सच कहूं न्यूज)। राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी की ‘जागती जोत’ (Jagti Jot) बुझ गई है। अकादमी की वेबसाइट पर अपलोड अंकों को सही मानें तो अकादमी की मुख पत्रिका ‘जागती जोत’ के पिछले सवा साल के पंद्रह महीनों में 15 के स्थान पर सिर्फ तीन अंक निकले हैं। इस साल अब तक दो अंक आए हैं। जबकि इस वित्तीय वर्ष में तो अब तक पाठक पहले अंक को तरस रहे हैं। इतना ही नहीं, नई सरकार के गठन के बाद ही अकादमी की सभी गतिविधियां ठप हैं। अकादमी ने छोटा-मोटा कार्यक्रम तक नहीं करवाया है। अकादमी की वेबसाइट पर ऐसी गतिविधि से जुड़ा एक भी समाचार नहीं है। Sri Ganganagar News
पिछले साल के पुरस्कार विजेता राशि के लिए तरस रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या कला, संस्कृति और साहित्य सरकार के लिए कोई प्राथमिकता नहीं है? सरकार का इन अकादमियों की ओर ध्यान ही नहीं है। क्या वर्तमान सरकार अकादमियों को लेकर गंभीर नहीं हैं। वैसे तो प्रदेश की सभी अकादमियां पिछले दस महीनों से कछुए की भांति रेंग रही हैं लेकिन बीकानेर की राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी निष्प्राण सी हो गई है। अकादमी का एक मात्र कार्य ‘जागती जोत’ का प्रकाशन ही बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
हालांकि दो महीने पहले नया संपादक मंडल बना दिया गया है, मगर फिर भी परिणाम सिफर ही हैं। ऐसे में सरकार को साहित्य की गतिविधियां ठप होने की कोई जिम्मेदारी तो तय करनी ही चाहिए। एक ओर तो हम राजस्थानी की मान्यता की बात कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इससे जुड़ा सबसे बड़ा सरकारी संस्थान ही मौन बनकर बैठा है। ऐसे में मान्यता की बात तो बेमानी सी लगती है।
सरकार ने अकादमियों को दिया दोयम दर्जा
सच है जागती जोत के अंक प्रकाशित नहीं हुए हैं। अकादमी की गतिविधियां सरकार बदलने के बाद से ही ठप्प पड़ी है। हमारी तो राजनैतिक नियुक्ति थी। अब सरकार चाहे और सचिव रूचि ले तो अकादमी की गतिविधियां सुचारू ढंग से संचालित हो सकेगी। जागती जोत के लिए थोड़ा इंतजार कीजिए। – साहित्यकार डॉ. भरत ओला पूर्व उपाध्यक्ष
राजस्थानी भाषा साहित्य और संस्कृति अकादमी के उपाध्यक्ष Sri Ganganagar News