बैंसला ने कहा- आंदोलन है तो परेशानी होगी ही
जयपुर आरक्षण की मांग को लेकर रेल ट्रैक से शुरू हुआ गुर्जरों का आंदोलन अब सीकर, दौसा, झुंझुनूं, बूंदी और टोंक तक फैल गया है। मंगलवार को गुर्जरों के आराध्य देवनारायण की जयंती है। गुर्जरों ने हाईवे पर ही जयंती मनाने का ऐलान किया है। यह भी कहा कि मांग स्वीकार न होने तक आंदोलन जारी रहेगा। जयपुर-बयाना-धौलपुर की बसें भी बंद कर दी गई हैं। आंदोलन चार दिन पहले सवाई माधोपुर के मलारना डूंगर से शुरू हुआ था। गुर्जर आंदोलन की अगुवाई कर रहे कर्नल किरोड़ी बैंसला ने भास्कर से विशेष बातचीत में कहा कि आंदोलन है तो परेशानी होगी ही, समाधान में देरी के लिए सरकार जिम्मेदार है।
26 ट्रेनें, 200 से ज्यादा रोडवेज बसें रद्द; भरतपुर, अजमेर संभाग सबसे ज्यादा प्रभावित
सोमवार को गुर्जरों ने जयपुर से जुड़ने वाले पांच सड़क मार्गों पर जाम लगाया था। इसके कारण जयपुर से सवाई माधोपुर, टोंक, आगरा समेत कई इलाकों के लिए रोडवेज बसें नहीं चलीं। जयपुर में 200 और अजमेर में 14 रोडवेज बसों का संचालन नहीं हुआ। 26 ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं। 10 से अधिक ट्रेनों के मार्ग बदलने पड़े। ऐसे में करीब एक लाख यात्रियों को परेशानी हुई। आंदोलन खत्म करने को लेकर सरकार की तरफ से भी कोई खास पहल नहीं हुई।
मुख्यमंत्री ने बैठक की
सोमवार रात 12 बजे मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक समेत आला अफसरों की बैठक ली। इसमें गुर्जर आंदोलन की रोकथाम और समाधान पर चर्चा की गई। बैठक रात एक बजे तक चली। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को भी अधिकारियों से चर्चा करेंगे।
मानवाधिकार आयोग भी आगे आया
राज्य मानवाधिकार आयोग ने आंदोलन पर चिंता जताते हुए कहा कि आमजन में भय का माहौल है। सरकार रेल और सड़क मार्ग खुलवाने के लिए उचित कार्रवाई करे। सरकार बताए कि वर्तमान में आंदोलन में शामिल लोगों पर कितने केस दर्ज हैं। इनमें से कितनों पर दंडात्मक कार्रवाई हुई। यह भी बताए कि वापस लिए गए केस दोबारा शुरू करने के लिए कोई कानून है या नहीं। गुर्जर आंदोलन के तहत 13 साल में 755 केस दर्ज किए गए। इनमें से 233 सरकार ने वापस ले लिए, जबकि 162 में पुलिस ने एफआर लगा दी। इन प्रकरणों में 8850 लोगों को आरोपी बनाया गया।
गुर्जरों की मांगें
गुर्जर समाज की मांग है कि सरकार सभी प्रक्रिया पूरी करके 5% आरक्षण बैकलॉग के साथ दे।
24 सितंबर 2015 को विधानसभा में एसबीसी विधेयक पारित हुआ था।
राज्य सरकार ने 16 अक्टूबर 2015 को नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे लागू किया। ये 14 महीने चला और 9 दिसंबर 2016 को हाईकोर्ट ने खत्म किया।
हाईकोर्ट द्वारा आरक्षण पर रोक के बाद यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।