राजस्थान कांग्रेस ने अपनाया सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला

Rajasthan Congress adopted social engineering formula

आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान की सभी 25 सीटो पर अपने उम्मीदवारों के नामो की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने टिकट वितरण में सोशल इंजिनियरिंग के फामूर्ले को अपनाया है। इसीलिये कांग्रेस ने टिकट वितरण में जाट समाज को पांच टिकट झुंझुनू, सीकर, जयपुर ग्रामीण, नागौर व पाली दी है। राजपूत समाज को तीन टिकट बाडमेर, अलवर, चित्तौडगढ़ दिया है। बनिया समाज को दो टिकट जयपुर व अजमेर। ब्राम्हण समाज को दो टिकट भीलवाड़ा व झालावाड़-बांरा दी है। राजसमंद से गुर्जर, जोधपुर से माली, चूरू से मुस्लिम, जालोर से देवासी समाज को दी है।

अनुसूचित जाति के लिये सुरक्षित चार सीटो में से दो सीटो श्री गंगानगर व बीकानेर से मेघवाल समाज को व बाकी बची दो सीटो भरतपुर व करोली-धोलपुर से जाटव समाज के उम्मीदवार बनाये हैं। अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित तीन सीटो में से एक सीट बांसवाड़ा से आदिवासी समाज का प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं दौसा व उदयपुर से मीणा समाज के प्रत्याशी उतारे गये हैं। कांग्रेस ने टिकट वितरण में सबसे ज्यादा महत्व मीणा समाज को दिया है। कांग्रेस ने मीणा समाज को अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित तीन सीटो में से दो तो दी ही है साथ ही सामान्य वर्ग का भी दो सीट कोटा व टोंक-सवाईमाधोपुर से भी मीणा समाज के लोगों को प्रत्याशी बनाया है।

कांग्रेस के सात प्रत्याशी बीकानेर से पूर्व पुलिस अधीक्षक मदनगोपाल मेघवाल, भरतपुर से अभिजीत कुमार जाटव, करौली-धोलपुर से संजय कुमार जाटव, दौसा से सविता मीणा, अजमेर से रिजु झुंझुनूवाला, जोधपुर से वैभव गहलोत, झालावाड़ से प्रमोद शर्मा पहली बार चुनाव लडऩे जा रहे हैं। वहीं 11 सीटों से प्रत्याशी बनाये गये श्री गंगानगर से भरतराम मेघवाल, सीकर से सुभाष महरिया, अलवर से भंवर जितेन्द्र सिंह, टोक-सवाईमाधोपुर से नमोनारायण मीणा, नागौर से ज्योति मिर्धा, पाली से बद्रीराम जाखड़, बाडमेर से मानवेन्द्र सिंह, उदयपुर से रघुवीर मीणा, बांसवाड़ा से ताराचन्द भगोरा, चित्तौडगढ़ से गोपाल सिंह इडवा, कोटा से रामनारायण मीणा पूर्व में सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस ने दो वर्तमान विधायकों को कोटा से रामनारायण मीणा व जयपुर ग्रामीण से कृष्णा पूनिया को मैदान में उतारा है।

झुंझुनू से प्रत्याशी श्रवण कुमार पांच बार विधायक व जालोर से प्रत्याशी बनाये गये रतन देवासी पूर्व में पार्टी के उपमुख्य सचेतक रह चुके हैं। अलवर से भंवर जितेन्द्र सिंह, सीकर से सुभाष महरिया व टोक-सवाईमाधोपुर से प्रत्याशी नमोनारायण मीणा पूर्व में केन्द सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उदयपुर से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रघुवीर मीणा राज्य सरकार में मंत्री व सांसद रह चुके हैं। इनकी पत्नी बसंती देवी भी विधायक रह चुकी है। कोटा से चुनाव लड़ रहे रामनारायण मीणा पूर्व में सांसद व राजस्थान विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।

चूरू से प्रत्याशी बनाये गये रफीक मंडेलिया के पिता 2008 में चूरू से कांग्रेस के विधायक बने थे। रफीक खुद 2009 में चूरू से लोकसभा चुनाव 12440 वोटो से हारे थे व 2018 में चूरू से विधानसभा चुनाव 1850 वाटो से हार गये थे। जयपुर से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल सीधी मतदान प्रणाली से जीत कर जयपुर की महापौर रह चुकी है। बांसवाड़ा से चुनाव लड़ रहे ताराचन्द भगोरा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव, कई बार सांसद व विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस ने टिकट वितरण में परिवार वाद का भी पूरा ख्याल रखा है। जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को प्रत्याशी बनाया गया है।

अजमेर से पूर्व मंत्री बीनाकाक के दामाद रिजु झुंझुनूवाला को, चूरू से पूर्व विधायक व जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मकबूल मंडेलिया के पुत्र रफीक मंडेलिया को, सीकर से पूर्व मंत्री रहे रामदेव सिंह महरिया के भतीजे सुभाष महरिया को,दौसा से विधायक मुरारीलाल मीणा की पत्नी सविता मीणा को, नागौर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री व जाटो के बड़े नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा को, बाडमेर से पूर्व भाजपा नेता व अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है।

कांग्रेस ने अपने सभी प्रत्याशियो की घोषण कर भाजपा से बढ़त बना ली है। गत विधानसभा चुनाव में 200 में मात्र 100 सीट ही जीतने वाली कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव में कितनी वापसी कर पाती है यह देखने वाली बात होगी। गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 39.3 प्रतिशत व भाजपा को 38.8 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस भाजपा से मात्र आधा प्रतिशत वोट ही अधिक ले पायी थी। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में गुर्जर, राजपूत, यादव समाज का पूरा साथ मिला था। मगर सचिन पायलेट को मुख्यमंत्री नहीं बनाने से गुर्जर समाज में पिछले चुनाव जैसा जोश नजर नहीं आ रहा हैं।

गुर्जर समाज अपने का ठगा महसूस कर रहा है। वहीं यादव समाज टिकट नहीं मिलने से नाराज है। यादव समाज की एकमात्र टिकट भी इस बार काट दी गयी है। केन्द्र सरकार द्वारा स्वर्ण जातियो को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण देने व पिछले विधानसभा चुनाव में राजपूत समाज की सीटो में हुयी भारी कमी के कारण उनका झुकाव फिर से भाजपा की तरफ लग रहा है।

प्रदेश में कांग्रेस का बहुजन समाज पार्टी, मार्क्सवादी कम्यूनिष्ट पार्टी, हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, उदयपुर संभाग की भारतीय ट्रायबल पार्टी, से गठबंधन नहीं होने से उनके उम्मीदवार चुनाव लड़ेगें जो भाजपा से ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही पहुचायेंगें, क्योंकि इनका वोट बैंक भी वही है जो कांग्रेसी विचारधारा का है। प्रदेश में बसपा के छ:, माकपा के तीन, रालोपा के तीन व भारतीय ट्रायबल पार्टी के दो विधायक है जिनका कई लाकसभा क्षेत्रो में अच्छा प्रभाव है। अब देखना यह है कि कांग्रेस की प्रदेश में सरकार चला रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कितनी सीटे जीत पाते हैं। लोकसभा चुनाव के परिणामो पर ही उनका राजनीतिक भविष्य टिका हैं। प्रदेश में कांग्रेस के अच्छा प्रदर्शन करने पर ही प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भी भविष्य टिका है।

 

 

 

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