बरसात से गांवों शहरों की गलियों ने धारण किया नहरों का रूप

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अब कई दिनों तक फैला रहेगा गांवों में कीचड़, सरकार गांवों का भी करे सुधार

फिरोजपुर(सतपाल थिन्द)। बीते दिनों से आसमानी में उड़ रही धूल से जहां लोग सख़्त परेशान थे वहीं ही लोग धूल से छुटाकारे पाने के लिए बरसात की फरियाद कर रहे थे तो शनिवार देर रात से शुरू हुई तेज बरसात ने कुछ ही पलों में आसमान में उड़ रही धूल को हटा दिया, जिसके बाद आसमान बिल्कुल साफ हो गया। इसके अलावा धूल से ढ़की फसलें भी बरसात से साफ हो गई।

धूल के बाद उमस ने दी दस्तक

शहरों गांवों की सड़कों पर लोगों को बरसात का आनं लेते देखा गया व बरसात के कारण तापमान में गिरावट आने के कारण लोगों ने एक बार गर्मी से राहत भी महसूस की परंतु बाद में धीरे धीरे उमस में भी विस्तार होने लगा। देर रात से हुई बरसात दौरान गांव शहरों की गलियों ने नहरों जैसा रूप धारण कर लिया, जिसके बाद भी कई इलाके जलथल हुए रहे।

वैसे तो शहरों या कस्बों की गलियां-सड़कों पर जमा पानी का नगर कौंसिलों द्वारा अधिक समय पड़ने तक हल कर दिया जाता है परन्तु यदि गांवों की बात की जाये तो आम ही देखने को मिलता है कि गंदे पानी वाली नालियां उछल कर पहले ही गलियों में कीचड़ जमा हो जाता है परंतु जब इस तरह भारी बरसात होती है तो गावों की कच्ची गलियों का हाल दयनीय होता व कई -कई दिनों तक लोगों को गलियों में जमा पानी के कारण जमा कीचड़ में से गुजरना पड़ता है। जब गांवों के लोगों के साथ बात की तो उन्होंने कहाकि गांवों का हाल तो इस तरह ही रहना है।

शायद ही कभी कोई सुधार आए व कहा कि सरकार को चाहिए गांवों में भी कई सुधार लाए जाएं, जिससे गांवों के लोगों को बरसात के बाद कई दिनों तक कीचड़ या ओर समस्याओं के साथ न जूझना पड़े। बरसात होने के कारण कई स्थानों पर पानी जमा हो जाने के कारण मच्छर की पैदावार में विस्तार होने की संभावना है, जिसके बाद डेंगू मलेरिया का खतरा बन सकता है, जिस कारण सेहत विभाग और चौंकना हो गया है।

किसानों के खिले चेहरे, धान की फसल लगाने के लिए लेबर की एकदम बढ़ी मांग

सरकार द्वारा धान की फसल रोपित करने की तय कि 20 जून का इंतजार कर रहे किसान के चेहरों पर बरसात होने से पड़ने की दुगनी खुशी चमक रही थी, क्योंकि जहां किसानों को धान की फसल रोपित करने के लिए कददू तैयार के लिए बिजली के सहारे कई दिन लगने थे वहीं रात भर हुई बरसात के कारण किसानों की जमीनों में जल्दी पानी से भरने के कारण जल्दी के साथ किसानों ने अपने खेतों में कददू कर लिए, जिस कारण धान की फसल लगाने के लिए लेबर की मांग भी एकदम बढ़ गई।

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