कोविड-19 महामारी के दौरान रेल सेवाओं को बंद करना मजबूरी थी लेकिन अब जैसे-जैसे हालात सुधर रहे हैं रेल सेवाओं को सुचारू करने की सख्त आवश्यकता है। भले ही रेलवे धीरे-धीरे सभी ट्रेनों को बहाल कर रहा है। रेल सेवाओं के चलने से देश की आवश्यकताएं तेजी से पूरी हो सकती हैं। फिलहाल केवल 65 प्रतिशत गाड़ियां ही चल रही हैं। रेलवे ने उक्त समाचार का खंडन किया है कि एक अप्रैल से सभी गाड़ियां शुरू की जाएंगी। यदि यह कहा जाए कि रेलवे का देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है तो गलत नहीं होगा।
लॉकडाऊन के कारण करोड़ों मजदूर अपने राज्यों को वापिस लौट गए थे, धान की बिजाई के दौरान पंजाब के किसान एयरकंडीशनर बसों पर प्रवासी मजदूरों को लेकर आए थे। रेलवे जहां रोजगार को बढ़ावा देने का बड़ा स्त्रोत है, वहीं आम जनता के लिए सस्ता और आरामदायक भी है। डीजल की कीमतें बढ़ने के कारण बस किराये में वृद्धि होने के आसार हैं। रेल के आभाव में पर लोग अधिक पैसा देकर भले ही टैक्सियों में सफर कर रहे हैं लेकिन हजारों किलोमीटर का सफर टेक्सी में तय करना शारीरिक रूप से आसान नहीं। दूर के सफर के लिए हर कोई रेल यात्रा को ही पसंद करता है। हाल ही में एक्सप्रैस गाड़ियों को ज्यादा चलाया गया।
पैसेंजर गाड़ियों की गिनती बढ़ाने पर दिया जाना चाहिए। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रेनें चलने से रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। बस सेवा लगभग प्रत्येक राज्य में 100 प्रतिशत शुरू हो चुकी है ऐसे में रेल सेवा को महत्व नहीं देना किसी भी तरह से उचित नहीं। रेल का पहिया रोजगार का पहिया है। करोड़ों लोगों का रोजगार रेलवे से जुड़ा हुआ है। महामारी में अर्थव्यवस्था को बूस्ट करना है तब पूर्ण तौर पर रेलवे को चलाने के लिए तीव्रता से व्यवस्था करनी होगी। यहां रेलवे को भी घाटे से उभारने के लिए गाड़ियां चलाने की आवश्यकता है। विगत वर्ष रेलवे को 37000 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा। स्पष्ट है रेल सेवाएं बढ़ाने से रेलवे व जनता दोनों का लाभ होगा।
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