सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इन्सान जब तक अपने अत:करण को पाक-पवित्र नहीं करता, तब तक मालिक की तमाम खुशियां उसके अंदर नहीं ठहरती। अपने अंदर के विचारों का शुद्धीकरण करो। विचारों को शुद्ध करने के लिए एक मात्र तरीका है सेवा और सुमिरन। सेवा करो, सुमिरन करो तो बुरे विचार, नेग्टिव विचार रुक जाएंगे। सेवा, सुमिरन से ऐसा आत्मविश्वास आएगा कि आपका ध्यान मालिक की याद में लगने लगेगा, आप आत्म विश्वास से परिपूर्ण होंगे और कोई भी अच्छा-नेक कार्य करते हैं तो उसमें झिझक नहीं आएगी। आप हिम्मत से आगे बढ़ते जाएंगे। नेग्टिव थिंकिंग खत्म होगी और पॉजिटिव थिंकिंग बढ़ती जाएगी। आप जी ने फरमाया कि वचन सुन कर अमल करने से जन्मों-जन्मों के पाप कर्म कट जाते हैं और इस जन्म के गम, दु:ख, दर्द, चिंताएं, परेशानियां दूर हो जाया करती हैं। इसलिए संतों के वचन सुनो और अमल करो।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि संत क्या कहते हैं? ईश्वर के नाम का जाप करो। ईश्वर की बनाई सृष्टि से नि:स्वार्थ भावना से प्यार करें, कभी भी किसी भी जीव का दिल न दुखाओ, किसी पर टोंट न कसो, जात-पात का भेदभाव न करो, कड़वा न बोलो। आप जी ने फरमाया कि सब अपने-अपने कर्मों की खाते हैं। जैसे कर्म आप करेंगे, वैसा फल आपको भोगना होगा। बुरे कर्म करते हो तो आने वाला समय आपके लिए बुरा होगा। बबूल का पेड़ बोने से उस पर आम नहीं लगा करते। कहने का मतलब जैसे कर्म करोगे वो इसी जन्म में आपको भोगने होंगे और आगे आत्मा को दरगाह में हिसाब-किताब चुकाना होगा। इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करो।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जिंदगी मिली है कहीं यूं ही न गुजर जाए, इसमें ऐसा कुछ कर डालो कि आपका जीवन एक मिसाल बन जाए कि आने वाली पीढ़ियां उस रोशनी में रास्ता देख कर चलें। वरना पशुओं की तरह आए, खाया-पिया, बच्चे पैदा किये, ऐशो आराम किया और चलते बने। लाखों-करोड़ों आ रहे हैं इस दुनिया में, और जा रहे हैं। आप जी ने आगे फरमाया कि भक्ति करो, भले कर्म करो। आज समाज में माना कि लोग स्वार्थी हैं, गर्ज को ही सलाम् है। गर्ज है तो अपने अपने रहते हैं, गर्ज नहीं तो अपने पराये हो जाते हैं। ये संसार मतलब का है। ये देश काल का देश, काल की नगरी, स्वार्थी युग, गर्ज का युग है। यहां प्यार ही तब जताएंगे जब कुछ लेना होता है।
आप जी ने फरमाया कि ऐसे में भी एक ऐसा है जो कभी आपको नहीं छोड़ेगा, दुतकारेगा नहीं और वो है अल्लाह, वाहेगुरु, सतगुरु, मौला, राम। उससे आप प्यार करेंगे, बेगर्ज मोहब्बत, चाहे आप कुछ मांगते भी रहेंगे तो भी वह आपसे मुंह नहीं चुराएगा। मां तो जब बच्चा बड़ा हो जाए तो छोड़ देती है कि, बड़ा हो गया है अपने आप काम करो। पर एक गुरु, मालिक के लिए बच्चा कभी बड़ा होता ही नहीं, पता नहीं दुनिया की दलदल में वह कब फंस जाए, पता नहीं कब फिसल जाए। इसलिए वो हमेशा उसको अपनी अंगुली पकड़ाकर रखता है और दया, मेहर, रहमत से नवाजता रहता है। इस लिए उस सच्चे भगवान से, अल्लाह, वाहेगुरु, राम से अपनी प्रीत जोड़कर रखो, जो कभी भी हाथ नहीं छोड़ता और दोनों जहानों में खुशियों से मालामाल करता रहता है।
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