चंडीगढ़। SYL Canal dispute: पंजाब सरकार ने सतलुज यमुना लिंक मुद्दे पर वीरवार को इमरजेंसी कैबिनेट मीटिंग में सीएम भगवंत मान ने कहा कि किसी भी कीमत पर एक बूंद भी अधिक पानी किसी दूसरे राज्य को नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में वह जल्द ही मानसून सत्र बुलाने पर भी विचार हुआ है।
सवाईएल मामले में पंजाब न समझे कि हरियाणा में कमजोर सरकार है: दीपेंद्र | SYL Canal dispute
कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) को लेकर पंजाब सरकार को हरियाणा के हितों के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश न करने की चेतावनी दी है और कहा है कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में हरियाणा के पक्ष में अंतिम फैसला दे चुका है। हुड्डा ने कहा कि पंजाब अगर अदालत के इस फैसले का सम्मान नहीं करता है तो हरियाणा सरकार को इसके लिये अवहेलना का मामला दाखिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा की मनोहर लाल सरकार खुद को कमजोर न समझे, इस मामले में हम उनके साथ खड़े हैं और कोई राजनीतिक मतभेद नहीं हैं।
हुड्डा ने कहा कि हरियाणा अपने हक का एक बूंद भी पानी नहीं छोड़ेगा। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद अब केंद्र सरकार तथा पंजाब सरकार को इसका पालन करना है। हरियाणा के पक्ष में उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले और सर्वदलीय बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री से समय लेने की बात तय होने के बावजूद राज्य सरकार ने हरियाणा को पानी दिलाने की दिशा में ठोस क़दम आगे नहीं बढ़ाया। एसवाईएल मुद्दे पर कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा में भी साफ तौर से कहा था कि हरियाणा सरकार को उच्चतम न्यायालय के फैसले की अवहेलना का मामला दाखिल करना चाहिए।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि नदियों का जल राष्ट्रीय सम्पत्ति है, किसी की बपौती नहीं है। आठ अप्रैल 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने हाथों से कपूरी गाँव में एसवाईएल नहर के निर्माण का शिलान्यास किया था। 214 किलोमीटर लम्बी यह नहर पंजाब में बहने वाली सतलुज और हरियाणा से गुजरने वाली यमुना नदी को जोड़ने के लिए बननी थी। प्रदेश में पहली बार जब भाजपा सरकार आई तो इसको बेहद कमजोर मानकर पंजाब सरकार ने खुदी-खुदाई एसवाईएल नहर को पाटने का काम कर दिया।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में सिंचाई के लिए पानी के तीन प्रमुख स्रोत हैं। पहला यमुना से, जिसका पानी दिनों-दिन कम होता जा रहा है और वह बरसाती नदी में तब्दील हो रही है। दूसरा, भाखड़ा से जिसका पूरा पानी एसवाईएल से आना था, और तीसरा ट्यूबवेल से, चूंकि जमीन के नीचे का जलस्तर काफी तेजी से घट रहा है और यही हाल रहा तो भू-जल धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने दादूपुर-नलवी नहर का निर्माण कराया था। जिसे भाजपा सरकार ने पाटने का फैसला कर दिया। यदि एसवाईएल नहीं बनी, यमुना का पानी और जमीन के नीचे का पानी कम होता जाएगा तो सारे देश का पेट भरने वाला हरियाणा बंजर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान हांसी-बुटाना नहर बनाई गई थी, लेकिन भाजपा सरकार ने उसमें पानी लाने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किये।