सदमें में चली गई मां-पत्नी को नहीं दी गई सूचना
तरनतारन/अमृतसर। कश्मीर घाटी के पुलवामा जिले में गुरुवार दोपहर सवा 3 बजे केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के काफिले पर हुए आतंकी हमले में शहीद होने वाले जवानों में तरनतारन जिले के गंडीविंड धात्तल गांव के सुखजिंदर सिंह भी शामिल हैं। हमले के तकरीबन पौने 3 घंटे बाद, शाम 6 बजे पिता गुरमेज सिंह को उनके बेटे की शहादत की खबर दी गई। इस खबर के बाद से गुरमेज सिंह और सुखजिंदर सिंह की मां हरभजन कौर सदमे में हैं और किसी से ज्यादा बात नहीं कर पा रहे।
2003 में ज्वाइन की सीआरपीएफ, 8 माह पहले प्रमोट होकर हैड कांस्टेबल बने
12 जनवरी 1984 को जन्मे सुखजिंदर सिंह ने 19 साल की उम्र में, 17 फरवरी 2003 में सीआरपीएफ ज्वाइन की थी। 8 महीने पहले ही वह प्रमोट होकर हैडकांस्टेबल बने थे। गुरमेज सिंह के पूरे परिवार का खर्च सुखजिंदर सिंह की तनख्वाह से ही चलता था। सुखजिंदर के बड़े भाई जंटा सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह 10 बजे भाई ने फोन करके अपना हाल-चाल बताया और परिवार के बारे में पूछा। सुखजिंदर ने यह भी पूछा कि वह उनकी पत्नी सर्बजीत कौर को मायके छोड़ आए हैं या नहीं? फोन रखने से पहले सुखजिंदर सिंह ने बताया था कि उनका काफिला कश्मीर जा रहा है और वह अगले पड़ाव पर पहुंचकर शाम को फोन करेंगे। शाम 6 बजे शहादत की सूचना आ गई।
7 साल की मन्नतों के बाद पैदा हुआ बेटा, 7 माह ही मिला पिता का साया
सुखजिंदर के बड़े भाई जंटा सिंह के अनुसार, 2003 में सीआरपीएफ ज्वाइन करने के 7 साल बाद, 2010 में सुखजिंदर सिंह की शादी सर्बजीत कौर के साथ हुई। विवाह के कई बरस बाद तक जब संतान नहीं हुई तो सर्बजीत कौर ने पति के साथ कई जगह मन्नतें और दुआएं मांगीं। 7 साल बाद, 2018 में सुखजिंदर सिंह को बेटे की खुशी मिली, जिसका नाम उन्होंने गुरजोत सिंह रखा। हालांकि बड़ी दुआओं और मन्नतों के बाद पैदा हुए गुरजोत सिंह के सिर से मात्र सात महीने बाद ही पिता का साया उठ गया। जंटा सिंह ने बताया कि परिवार ने देर रात तक सर्बजीत कौर को सुखजिंदर सिंह की शहादत के बारे में नहीं बताया था। पूरे परिवार को समझ नहीं आ रहा कि वह ये खबर उसे कैसे सुनाएं।
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