बहुचर्चित पुलवामा हमले के बाद से देश में एक अजीब तरह का माहौल बन रहा है। सीआरपीएफ जवानों की शहादत पर सियासत हो रही है। जैसे लगता है कि देश के नेताओं को सिर्फ अपनी सियासत चमकाने से ही मतलब है। उनके लिए देशहित प्राथमिकता में नहीं है। देश में बहुत जल्द लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इस स्थिति में नेताओं को यह लग रहा है कि देशभक्ति के नाम पर वोट बटोरने का इससे बेहतर मौका फिर मिलने वाला नहीं। यूं कहें कि देशभक्ति में सियासत का घालमेल ठीक नहीं है। इस तरह के कुत्सित प्रयास से न तो वोट मिलेंगे और न ही राष्ट्र का भला होगा। अफसोसजनक यह है कि कुछ दलों के नेता साफ तौर पर संकेत दे रहे हैं कि इन घटनाओं का राजनीतिक लाभ लिया जाना चाहिए।
भाजपा के कुछ नेताओं ने अपने अनर्गल प्रलाप से अपनी पार्टी को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। इससे स्पष्ट है कि नेताओं की मंशा साफ नहीं है। विपक्ष तो सीधे-सीधे प्रधानमंत्री पर भी हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी खुद देश के बदले हालात में अपने राजनीतिक एजेंडे पर काम कर रहे हैं। सेना के शौर्य का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया जा रहा है। यदि इस तरह की कोशिशें हो रही हैं तो उसकी तीव्र निंदा होनी चाहिए।
गौरतलब है कि 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में देश के 40 जवान शहीद हो गए थे।
तबसे देश में गम और गुस्से का माहौल देखा जा रहा है। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सेना अपने स्तर पर कदम उठा रही है, जो सराहनीय है। आरोप लग रहा है कि सेना के उन कदमों को सत्तारुढ़ सियासी दल भाजपा के नेता सरकार का कठोर निर्णय बताकर उसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं। असल मुद्दा यही है। सर्जिकल स्ट्राइक-1 पर भी खूब राजनीति हुई थी। उसी तरह पुलवामा हमले के 12 दिन बाद बालाकोट में हुए वायु सेना के आॅपरेशन पर सियासत शुरू हो गई है। सेना के कार्यों को सरकार का काम बताकर उसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश हो रही है। पिछले दिनों गुजरात में भाजपा के एक नेता ने तो इतना तक कह दिया था कि देश में जो माहौल बन रहा है,
उसे वोट में बदलने की जरूरत है। इस पर उस नेता की काफी किरकिरी हुई थी। बाद में उन्होंने अपनी बात को वापस लिया। इसी क्रम में 27 फरवरी को कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने भी अनर्गल प्रलाप कर दिया। उन्होंने कहा था कि पुलवामा हमले के बाद बदले की कार्रवाई में वायुसेना के हवाई हमले से आने वाले लोकसभा चुनाव में राज्य की 26 सीटों में से 22 सीटों पर जीतने में मदद मिलेगी। येदियुरप्पा ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में संवाददाताओं से कहा था कि पाकिस्तान के भीतर घुसकर आतंकी शिविरों को बर्बाद करने के कदम से देश में मोदी के समर्थन में लहर बनी है और इसका नतीजा आगामी लोकसभा चुनाव में नजर आ सकता है। इसने नौजवानों में जोश भर दिया है। इससे हमें (कर्नाटक में) लोकसभा की 22 से ज्यादा सीटें जीतने में मदद मिलेगी।
पाकिस्तान में आतंकी ठिकाने पर वायुसेना की कार्रवाई का लोकसभा चुनाव में लाभ होने संबंधी बीएस येदियुरप्पा के कथित बयान पर कांग्रेस ने भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और सवाल किया कि यह जवानों के पराक्रम का ‘राजनीतिकरण करने का प्रयास है या नहीं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा के वरिष्ठ नेता येदियुरप्पा के कथित बयान का हवाला देते हुए ट्वीट किया कि प्रिय मोदी जी/जेटली जी, राजनीतिकरण को लेकर अब और कुछ कहने को रह गया है? येदियुरप्पा के कथित बयान को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने सवाल किया कि क्या यह देशप्रेम है या मूर्खतापूर्ण राजनीति है? इससे पहले, कांग्रेस सहित 21 विपक्षी दलों ने बुधवार को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सशस्त्र बलों के साथ एकजुटता प्रकट की थी, हालांकि भाजपा पर आरोप लगाया था कि उसके नेता पुलवामा हमले के बाद जवानों की शहादत का ‘राजनीतिकरण कर रहे हैं।
इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा था कि विपक्षी दलों को आत्मचिंतन करना चाहिए क्योंकि उनकी ‘गलतबयानी का इस्तेमाल पाकिस्तान अपना पक्ष मजबूत करने के लिए कर रहा है। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पिछले दिनों आरोप लगाया कि मोदी सरकार को पुलवामा हमले के बारे में खुफिया सूचनाएं थी लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया क्योंकि वे जवानों की शहादत पर सियासत करना चाहते हैं। पार्टी की वर्धित कोर कमेटी की बैठक को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार को पता था कि इस तरह का हमला हो सकता है, इस बारे में पहले ही खुफिया सूचनाएं थी। इसके बावजूद जवानों को क्यों नहीं एयर लिफ्ट किया गया?
क्यों नाका डाल तलाशी नहीं की गई? जवानों को मौत के मुंह में क्यों ढकेल दिया गया? ऐसा इसलिए किया गया ताकि वे चुनाव में जवानों की शहादत पर सियासत कर सकें। तृणमूल सुप्रीमो ने लोकसभा चुनाव के पहले युद्ध को लेकर उन्मादी माहौल बनाने का आरोप केंद्र सरकार पर लगाया और संघ, विहिप पर भी बरसी। बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार विचित्र तरीके से काम कर रही है। केंद्रीय मंत्रियों को भी महत्वपूर्ण फैसले के बारे में पता नहीं होता है। ममता बनर्जी ने नाम लिए बगैर पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधा।
इससे पहले भी कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फेंस करते हुए कहा था कि जिस समय हमारे जवानों की शहादत से देश सदमें में था वहीं, दूसरी ओर उत्तराखंड के जिम कार्बेंट पार्क में पीएम मोदी शूटिंग में व्यस्त थे। यही नहीं, मोदी जी डिस्कवरी चैनल के मुखिया और उनकी कैमरा टीम के साथ खुद के प्रचार प्रसार और बोट राईड में घड़ियालों को निहार रहे थे। क्या दुनिया में ऐसा कोई पीएम है? मेरे पास वास्तव में पीएम मोदी के लिए कोई शब्द नहीं है। सुरजेवाला ने कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह इसका राजनीतिक फायदा उठा रहे हैं।
मोदी-शाह की जोड़ी को आतंकवाद पर राजनीति करने की बुरी आदत है। जिस समय देश शहीदों के शव के टुकड़े चुन रहा था। उस समय पीएम मोदी अपने नाम के नारे लगवा रहे थे, शूटिंग और चाय-नाश्ते में व्यस्त थे। वहीं, अमित शाह भी रैली में कांग्रेस पर हमला कर रहे थे। इतना ही नहीं, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने पाकिस्तान के कब्जे में विंग कमांडर को लेकर ट्वीट किया और प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर निशाना साधा। मायावती ने ट्वीट कर लिखा कि पाकिस्तान का हवाई हमला सेना ने नाकाम कर दिया, यह बड़ी राहत की बात है।
लेकिन देश का एक जांबाज एयरफोर्स अफसर पाकिस्तान के कब्जे में चला गया, यह बड़ी चिन्ता की बात थी। एक दूसरे ट्वीट में मायावती ने कहा कि ऐसे समय में जब जंगी संकट के बादल छाये हैं व देश को नेतृत्व की सख़्त जरूरत है वैसे में पीएम श्री मोदी द्वारा देश की सुरक्षा पर ध्यान केन्द्रित करने के बजाय अपनी पार्टी की चिन्ता करते हुये बीजेपी वर्करों को सम्बोधित करना हास्यास्पद ही नहीं बल्कि देश की भावनाओं के साथ खिलवाड़ भी है। उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इशारों-इशारों में प्रधानमंत्री और बीजेपी पर हमला बोला।
अखिलेश यादव ने ट्वीट में कहा कि देश की मांग है कि सब संकीर्ण राजनीति छोड़ें, मीडिया संयम बनाए रखे और हमारे जांबाज पायलट को वापस लाएं। खैर, यह राष्ट्र की रणनीतिक कुशलता है कि पाकिस्तान ने जांबाज विंग कमांडर को भारत भेजने का फैसला ले लिया। बावजूद इसके इन मुद्दों पर छिड़ी सियासत अच्छी नहीं लग रही है। पक्ष-विपक्ष सभी सियासत करने से बाज आना चाहिए। फिलहाल देश के बारे में सोचना ही प्राथमिकता होनी चाहिए।
लेखक: राजीव रंजन तिवारी
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