जनता के सवाल, नेताओं के थप्पड़

Public questions, politicians slap

हमारे देश के नेताओं में जनता के सवाल सुनने की आदत खत्म हो रही है। सहनशक्ति इतनी घट गई है कि नेता चुनाव प्रचार के दौरान जनता के सवालों के जवाब देने की बजाए उनसे दुव्यर्वहार करने पर उतारू हैं। हाल ही में पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेत्री बीबी राजिन्द्र कौर भट्ठल व लोक सभा हलका भटिंडा से कांग्रेसी प्रत्याशी अमरिन्द्र सिंह राजा वडिंग पर थप्पड़ मारने के आरोप लगे हैं। एक बार फिर रोड शो के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर एक व्यक्ति ने थप्पड़ मारा। इन घटनाओं के सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हो रहे हैं।

आम जनता को थप्पड़Þ मारने की यह कोई नई बात नहीं। ये आरोप सत्ता में रहते हुए अकाली नेता सुखबीर बादल पर भी लगते रहे हैं। उन पर पत्रकार से मारपीट करने का भी आरोप लगा था। यह भी एक वास्तविक्ता है कि जनता से दुव्यर्वहार करने वाले अधिकतर नेता सत्तापक्ष से संबंध रखते हैं। ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई होना तो दूर मामला तक भी दर्ज नहीं होता। इससे पहले भी शिक्षा मंत्री रहते हुए राजिन्द्र कौर भट्ठल पर अध्यापक को थप्पड़ मारने का आरोप लगा था। दरअसल हमारे देश में पूर्ण लोकतंत्रीय व्यवस्था नहीं है। इसे एकतरफा लोकतंत्र कहें तो कोई गलत नहीं। नेता लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उनके लिए लोकतंत्र का मतलब भीड़ एकत्रित करना व उन्हें अपने भाषण सुनाना है। नेता जनता को भाषण सुनाकर प्रभावित करना तो चाहते हैं लेकिन उनकी कोई बात नहीं सुनना चाहते।

अब जनता को भी लोकतंत्र की थोड़ी बहुत समझ आ गई है इसीलिए वह नेताओं से सवाल करने लगी है। कई जगहों पर तो प्रत्याशियों को गांव में घुसने भी नहीं दिया जा रहा। चुनावी प्रचार के दौरान इस प्रकार की घटनाएं घटित होना राजनीतिक व सरकारी सिस्टम की कमी है, जहां जनता व राजनीति में तालमेल नहीं बनाया गया। जनता को एक मंच की आवश्यकता है जहां वह अपने नुमाइंदों व अन्य नेताओं से चर्चा कर सकें। आज के तकनीकी युग में यह कार्य कोई मुश्किल भी नहीं है। केन्द्र सरकार, राज्य सरकार व चुनाव आयोग मिलकर ऐसी व्यवस्था बना सकते हैं व नेताओं से अपने सवालों के जवाब ले सकते हैं। जब नेताओं से सवाल-जवाब करने का बेहतर माहौल बनेगा फिर ही जनता नेताओं से संतुष्ट होगी। थप्पड़ मारने की राजनीति को तूल देने की बजाए सद्भावना से समाधान निकाला जाना चाहिए। तंत्र लोक को ही पीड़ित करेगा तब लोकतंत्र नहीं बन सकेगा।

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