अनदेखी: गंदगी व धूल मिट्टी का घर बना बस स्टैंड
भटिंडा (अशोक वर्मा)। भटिंडा के लोगों को नए अधुनिक बस स्टैंड के सपने दिखा कर अधिकारियों ने पुराने बस स्टैंड को भी भूला दिया है। अब पीआरटीसी इसकी संभाल नहीं कर रही। कभी शहर की शान माना जाता यह बस स्टैंड आज गंदगी व धूल-मिट्टी का घर बन कर रह गया है। यहां मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
जिस कारण न सिर्फ मुसाफिरों, बल्कि ट्रांसपोर्ट स्टाफ को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 1975 में करोड़ों रुपये की लागत से बस स्टैंड का निर्माण बेआबाद पड़ी करीब 10 एकड़ जमीन में किया गया था।
बस स्टैंड शहर के बीचो-बीच घनी आबादी में होने के कारण बसों से यातायात का बुरा हाल रहता है,जिसे देखते हुए बस स्टैंड को शहर से बाहर तबदील करने की योजना बनी थी, जो कि सिरे नहीं चढ़ सकी।
मुसाफिरों के लिए मूलभूल सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं
लोगों की मांग पर सरकार ने विधान सभा चुनाव से पहले इस बस स्टैंड की मुरम्मत करवा कर इसकी दशा सुधारने का फैसला किया था, जिसे चुनाव समाप्त होते ही ब्रेक लग गई। कुछ समय पहले दीवार के साथ नए शौचालय बनाने की शुरूआत की गई थी, वह भी अधर में ही लटक गई। बस स्टैंड के चारों तरफ गंदगी फैली हुई है, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा है।
कोई भी जगह साफ सुथरी नजर नहीं आती, बल्कि चारों तरफ कूड़े कर्कट के ढेरों पर मक्खियां व मच्छर भिनकते हुए देखे जा सकते हैं। बस स्टैंड में शौचालय सेवाएं भी मौजूद नहीं, जो पुराने शौचालय हैं, उनकी स्थिति बेहद दयनीय है। सबसे अहम मामला काउंटरों वाले ग्राउंड का है, जिसे देखते ही लगता है कि इसकी सफाई को काफी वर्ष बीत चुके हैं।
जब भी कोई बस गुजरती है तो मिट्टी उड़ कर लोगों पर पड़ती रहती है। पीआरटीसी के कर्मचारियों का कहना है कि वह तो खुद परेशान हैं। संयुक्त एकशन कमेटी के कनवीनर एमएल बहल का कहना है कि रोजाना लाखों रुपये कमाने वाला भटिंडा डिपो यात्रियों को सुविधाएं देने में नाकाम रहा है।
मुरम्मत के लिए कोई प्रपोजल नहीं: एमडी
पीआरटीसी के एमडी एमएस नारंग ने कहा कि पानी के लिए हाल ही में दो वाटर कूलरों की मंजूरी दी गई है, जबकि बस स्टैंड की मुरम्मत के लिए अभी कोई प्रपोजल नहीं आई है, किन्तु भटिंडा में नया बस स्टैंड बनना है। उन्होंने इससे अधिक और टिपणी करने से मना कर दिया।
यात्रियों को पानी भी नसीब नहीं
पीआरटीसी अधिकारी कुछ भी दावा करें, किन्तु भटिंडा बस स्टैंड की असलियत यह है कि यहां पर यात्रियों को पीने के लिए पानी भी नसीब नहीं होता। यहां लगे पानी वाले नल (टूटियां) खराब हो चुके हैं अथवा तोड़फोड़ करके उन्हें बंद कर दिया गया है,
जबकि हाथ नल में जमीन के नीचे से दूषित पानी आता है और लोग इसे ही पीने के लिए मजबूर हैं। जो लोग दूषित पानी नहीं पीना चाहते, उन्हें मजबूरीवश दुकानों से पानी खरीद कर पीना पड़ता है। एक निजी बस के कडंक्टर ने माना कि दुकानदार नहीं चाहते किए यहां पर मुसाफिरों के लिए पेयजल का प्रबंध हो, क्योंकि ऐसा होने से उनकी पानी वाली बोतलें नहीं बिकेंगी।
फीस वसूलने के बावजूद सुविधा जीरो
मिनी बस आपरेटर यूनियन के जिलाध्यक्ष बलतेज सिंह का कहना है कि पीआरटीसी वाले बस स्टैंड फीस तो वसूलते हैं, किन्तु बस स्टैंड की मुरम्मत नहीं करवाते और न ही कोई सुविधा देते हैं। सड़कों पर गड्डे होने के कारण बसों का नुकसान हो जाता है। उन्होंने मांग की कि बस स्टैंड की चिंताजनक हालत को देखते हुए पीआरटीसी को इसका नवीनीकरण करना चाहिए।
बस स्टैंड की जमीन पर कर्ज
सूत्रों के मुताबिक भटिंडा के बस स्टैंड की जमीन पर कर्ज लेकर बसें डाली गई थी, परंतु इसकी हालत सुधारने की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। बसें खरीदने के पश्चात पीआरटीसी के पास कोई पैसा नहीं बचा,
जिस कारण अब इस बस स्टैंड की हालत पंजाब के सभी बस स्टैंडों से बदतर हो गई है। नए बस स्टैंड का नगर सुधार ट्रस्ट ने डिजाइन भी फाईनल कर लिया था, किन्तु पिछले काफी समय से निर्माण के लिए सैना की मंजूरी नहीं ली जा सकी।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।