बढ़ती गर्मी से अपने पालतू पशुओं का करें बचाव

सिरसा (सच कहूँ/भगत सिंह)। मौसम विभाग के पूर्वानुमान को माने तो आने वाले दिन पूरे उत्तर भारत में प्रचंड गर्मी वाले हो सकते हैं। इस बार बढ़ता पारा सभी रिकॉर्ड ध्वस्त करने के संकेत दे रहा है। (Caring For Animals During Extreme Heat) गर्म हवाएं और लू के थपेड़ों से इंसानों के साथ साथ पशुओं पर भी दुष्प्रभाव पड़ता निश्चित है।भारत जैसे कृषि प्रधान देश मे, पशुपालन किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है। अत्यधिक गर्मी से पशुओं के चारा ग्रहण करने की क्षमता में कमी आने से दुग्ध उत्पादन तथा रोग

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प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आती है, जिससे किसानों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से नुक्सान झेलना पड़ता है। पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार गर्म मौसम में पशुओं का भोजन अथवा चारा उपभोग 40% तक तथा दूध उत्पादन 25 से 50% तक कम हो सकता है। इसके अतिरिक्त मद चक्र भी प्रभावित होता है जिससे पशु की प्रजनन क्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

कैसे करें बचाव

पशुपालन विभाग, सिरसा के उपनिदेशक डॉ विद्या सागर बांसल के अनुसार, पशुओं को गर्मी के प्रकोप से बचाने के लिए बहुआयामी प्रबंध करने होंगे।

  • पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए सबसे पहले पशुओं को उपलब्ध पीने के पानी की मात्रा तथा गुणवत्ता पर ध्यान दें। पशु के बाड़े में हर समय पीने लायक पानी उपलब्ध रहना चाहिए।
  • लवणों की कमी को पूरा करने के लिए प्रतिदिन पानी में नमक तथा मीठे सोडे का घोल अवश्य दें।
  • पशुओं को ठंडे व छायादार स्थान पर बांधें। धूप व सीधी गर्म हवाओं से पशुओं का बचाव करें।
  • प्रतिदिन दो बार पशुओं को अवश्य नहलाएं।
  • बदलते मौसम के साथ पशुओं के आहार में बदलाव लाना भी जरूरी है। क्योंकि गर्मी में पशु चारा कम खाता है इसलिए कम भोजन में पशु के शरीर की जरूरत को पूरा करना आवश्यक है। लेकिन ऊर्जा के स्त्रोत जैसे कि खल, दाना, चूरी इत्यादि शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा करते हैं। इसलिए जहां तक संभव हो, पशुओं को दिन के समय केवल हरी घास ही खाने को दें। ऊर्जा युक्त पोष्टिक आहार केवल शाम के समय ही दिया जाए।
  • जिंक युक्त खनिज मिश्रण प्रतिदिन देने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता, गर्मी सहने की ताकत तथा प्रजनन क्षमता में इज़ाफा होता है।

डॉ विद्या सागर बांसल, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग, सिरसा

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