चंडीगढ़ मुद्दे पर सरकारी संकल्प पत्र हरियाणा विधानसभा में पारित

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अश्विनी चावला
चंडीगढ़।
पंजाब-हरियाणा के बीच चंडीगढ़ के मामले पर गर्मागर्मी के बीच हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र में संकल्प पत्र को सर्वसम्मित से पारित कर दिया है। विधानसभा में 3 घंटे चर्चा होने के बाद सीएम मनोहर लाल ने बहस का जवाब दिया और इसके बाद प्रस्ताव को पारित कर दिया गया।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि हरियाणा राज्य पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की धारा 3 के प्रावधानों के तहत अस्तित्व में आया था। इस अधिनियम में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश तथा चंडीगढ़ के संघीय क्षेत्रों में पंजाब के पूर्ण गठन को प्रभावी बनाने के लिए उपाय किए गए थे।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने प्रस्ताव में आगे कहा कि सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण द्वारा रावी और व्यास नदियों के पानी में हिस्सा पाने का हरियाणा का अधिकार ऐतिहासिक, कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक रूप से बहुत समय से स्थापित है।

इस प्रतिष्ठित सदन में एसवाईएल नहर को जल्द से जल्द पूरा करने का आग्रह करते हुए सर्वसम्मति से 7 बार प्रस्ताव पारित किए गए। ट्रिब्यूनल के निष्कर्षों और देश के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अहम फैसलों में भी पानी पर हरियाणा के दावे को बरकरार रखा है और एसवाईएल नहर को पूरा करने का निर्देश दिया है। इन निर्देशों और समझौतों की अवज्ञा करते हुए इनके विरोध में हरियाणा राज्य के सभी दावों को अस्वीकार करते हुए पंजाब राज्य द्वारा कानून बनाया गया।
प्रस्ताव में आगे कहा गया कि पंजाब से हरियाणा को पानी देने का काम पूरा नहीं हो पाया, यह सदन 1 अप्रैल 2022 को पंजाब की विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर गहन चिंता प्रकट करता है, जिसमें स्पष्ट की गई है कि चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित करने के मामले को केंद्र सरकार के साथ उठाया जाए।

केंद्र सरकार द्वारा हाल में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड में पूर्व कॉलिंग सदस्यों की नियुक्ति पंजाब संगठन अधिनियम 1966 की भावना के खिलाफ है, जो नदी योजनाओं को उत्तराधिकारी पंजाब व हरियाणा राज्यों की संयुक्त संपत्ति मानता है।
इन परिस्थितियों में यह सदन केंद्र सरकार से आग्रह करता है कि वह कोई कदम न उठाए, जिससे मौजूदा संतुलन बिगड़ जाए और जब तक पंजाब के पूर्ण गठन से उत्पन्न सभी मुद्दों का समाधान ना हो जाए, तब तक सद्भाव बना रहे। यह सदन केंद्र सरकार से आग्रह भी करता है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण के लिए उचित उपाय करे।

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