आस-पास क्षेत्र व अन्य जिलों के किसान फार्म को देखने आ रहे
नारायणगढ़(सच कहूँ/सुरजीत)। गांव बड़ी बस्सी में औषधीय पौधों की खेती की जा रही है। जिससे न केवल बढ़िया आमदन हो रही है, बल्कि आस-पास क्षेत्र व अन्य जिलों के किसान भी इस फार्म को देखने आ रहे हैं। प्रगतिशील किसान डॉ. वीपी सिंह की देख रेख में लगभग 120 एकड़ भूमि पर विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों की खेती फार्म में की जा रही है। प्रगतिशील किसान डॉ. वीपी सिंह कृषि विषय में स्नातक है।
उन्होंने बताया कि 20 एकड़ में खस, 15 एकड़ में लैमन ग्रास, 5 एकड़ में सिट्रोनेला तथा 2 एकड़ में पामारोजा, 1 एकड़ में स्टीविया, 1 एकड़ में सफेद मूसली, 15 एकड़ में तुलसी, 15 एकड़ में अश्वगंधा, 2 एकड़ में सतावरी, 15 एकड़ में हल्दी, 3 एकड़ में मसरी, 3 एकड़ में अलसी, 5 एकड़ में मेंथा और अमरूद, मकोय, पित पापड़ा, अकरकरा, कैमोमाइल आदि की खेती की जा रही है।
पंचकूला-यमुनानगर से 2500 किसान जुड़े
डॉ. वीपी सिंह ने बताया कि फार्म पर तो औषधीय पौधों की खेती की जा ही रही है बल्कि जिला अम्बाला के अलावा आस-पास के जिलों पंचकूला, यमुनानगर आदि के 2500 के लगभग किसान जुड़े हुए है। जिनमें नारायणगढ़ क्षेत्र के लगभग 300 किसान है। जिनसे एग्रीमैंट करके पहले ही रेट तय कर लिया जाता है और उनके द्वारा तैयार औषधीय पौधों के उत्पादन को खरीदा जाता है। बेगना प्रोडयूसर कम्पनी के नाम से एफपीओ भी चला रहे हैं। बता दें कि फार्मर प्रोडयूसर आग्रेनाइजेशन के सदस्य किसान ही होते है।
बागवानी विभाग की योजना का मिल रहा लाभ
गांव बड़ी बस्सी के किसान राजेश कुमार ने बागवानी विभाग से प्रेरित होकर एरोमैटिक फसल शुरू की है। इस तरह अन्य किसान भी बागवानी विभाग की विभिन्न स्कीमों का पहले आओ पहले पाओ के आधार पर लाभ उठाकर अपनी आमदनी दोगुनी कर सकता है।
प्रोसेसिंग यूनिट की जा रही तैयार
इस फार्म पर औषधीय पौधों से तैयार उपज के लिए अपना प्रोसेसिंग यूनिट भी लगभग 6 करोड़ रूपये की राशि से तैयार किया जा रहा है। डिस्टिलेशन, एक्स्ट्रेशन एण्ड स्टोरेज बनाया जा रहा है जिसमें कोल्ड रूम तथा कोल्ड स्टोरेज भी तैयार किया जा रहा है। यहां पर औषधीय पौधों की फार्मिंग के साथ-साथ मेडिसनल प्लांट प्रोसेसिंग यूनिट भी बनाई जा रही है।
दिसम्बर माह तक पूर्ण होगी यूनिट इस फार्म पर आस-पास के ग्रामीणों को काम भी मिला है। फिलहाल 60 लोग यहां पर बतौर लेबर काम कर रहे हैं। जिनमें से 25 महिलाएं है। यूनिट में 7 लोग काम कर रहे हैं और यह यूनिट दिसम्बर माह तक पूर्ण विकसित तरीके से चालू हो जायेगा। यहां पर अश्वगंधा, तुलसी, हल्दी आदि औषधीय पौधों का अर्क और पाउडर तैयार होगा। डॉ. वीपी सिंह ने कहा कि जो भी औषधीय पौधों की इस फार्म पर खेती की जाती है वह पूरी तरह से ऑग्रेनिक तरीके से की जाती है। किसानों से अनुरोध किया है कि वे ऑग्रेनिक तरीके से खेती करें और लाभ कमाएं।
औषधीय पौधों की खेती फायदेमेंद
प्रगतिशील किसान डॉ. वीपी सिंह बताते हैं कि आजकल ज्यादातर किसान धान, गेहूं, गन्ना की खेती को तवज्जो देते है और इन फसलों में उन्हें कोई ज्यादा लाभ भी नहीं होता है। जबकि अगर वे ऑग्रनिक तरीके से औषधीय पौधों की खेती करें तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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