प्रियंका गांधी अब पूरे फॉर्म में आ गई हैं। उनके फॉर्म में आते ही कांग्रेसी कार्यकतार्ओं में गजब का उत्साह और जोश देखने को मिल रहा है। अब सवाल यह है कि क्या यह जोश लोकसभा चुनाव तक कायम रहेगा। यदि इसी तरह का जोश कांग्रेसियों में कायम रहता है तो बेशक कांग्रेस की स्थिति पहले काफी बेहतर होगी। खासकर उत्तर प्रदेश, जिसे कहा जाता है कि दिल्ली दरबार की राह यूपी से होकर ही गुजरती है, में कांग्रेस को पुनर्जीवित करना बहुत जरूरी है। शायद प्रियंका गांधी पर इसलिए भी पार्टी जनों की नजरें टिकी हुई हैं।
प्रियंका की सक्रिय राजनीति में आने के बाद जो भी राजनीतिक सर्वेक्षण आ रहे हैं, सभी में कांग्रेस की बढ़त दिखाई जा रही है। इसका मतलब यह है कि प्रियंका गांधी को लोकसभा चुनाव से पहले मैदान में उतार कर पार्टी ने बहुत बड़ा सियासी गेम खेला है। प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में उतरने और पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव का पद संभालने के बाद से सबकी नजर इस पर है कि क्या वह सूबे में और खासकर पूर्वांचल में लगभग खत्म हो चुकी कांग्रेस में नई जान फूंक पाएंगी। इस बीच, एक सर्वे में दावा किया गया है कि प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में उतरने से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को पूर्वांचल में फायदा हो सकता है। राजनीति में उनकी एंट्री से महागठबंधन को सबसे ज्यादा नुकसान का अनुमान बताया जा रहा है।
सर्वे के मुताबिक, प्रियंका फैक्टर की वजह से पूर्वी यूपी में कांग्रेस को वोट शेयर के मामले में लाभ हो सकता है। अब सवाल है कि सीटों में कितनी बढ़ोतरी होगी।आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 7 फरवरी को कांग्रेस महासचिवों और विभिन्न प्रदेशों के प्रभारियों की बैठक की। बैठक में प्रियंका गांधी भी शामिल हुईं। ये पहली था जब पार्टी की किसी आधिकारिक बैठक में प्रियंका गांधी ने शिरकरत किया। यूं कहें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पार्टी मुख्यालय पहुंचकर पदभार संभालने के बाद अब चुनावी मोड में उतर आई हैं। 7 फरवरी को कांग्रेस को महासचिवों और विभिन्न प्रदेशों के प्रभारियों के साथ हुई बैठक में हिस्सा लेकर उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब वे पीछे हटने वाली नहीं हैं।
यानी गैर कांग्रेसी दलों दी जाने वाली चुनौतियों को वे स्वीकार कर रही हैं। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के महासचिवों के साथ हुई इस बैठक में बूथ प्रबंधन को मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा हुई। कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बैठक को पार्टी की चुनावी रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुलाई थी। यह पहली बार था कि राहुल और प्रियंका ने संयुक्त रूप से आधिकारिक बैठक हिस्सा लिया। सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी कांग्रेस महासचिवों के साथ लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पार्टी तैयारियों पर ही जायजा नहीं लिया बल्कि महासचिवों से उनके राज्य के बूथ प्रबंधन की रणनीति पर भी बात किया। माइक्रो लेवल पर पार्टी बूथ प्रबंधन पर जोर दे रही है। दरअसल, कांग्रेस नेतृत्व ने पहले ही महसूस कर लिया है कि अतीत में जमीनी स्तर के कार्यकतार्ओं की अनुपस्थिति के चलते पार्टी का बहुत नुकसान हो चुका है।
हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के दौरान प्रबंधन और बढ़ते जमीनी स्तर के कार्यकर्ता दोनों की एक व्यवस्थित रणनीति लागू की गई थी। इसका फायदा भी पार्टी को मिला और तीन राज्यों में सरकार बनी। राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस महासचिवों की साथ बैठक में विभिन्न राज्यों में प्रचार और प्रसार पर राज्य-जिलों-केंद्र रणनीति को शामिल किया गया। बैठक का मुख्य केंद्र प्रियंका गांधी वाड्रा ही थीं, जिन्होंने 6 फरवरी को पार्टी के महासचिव के रूप में यूपी के पूर्वांचल की जिम्मेदारी का कार्यभार संभाला।
उल्लेखनीय है कि रोड-शो से सोनिया गांधी ने राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी और 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सत्ता में आ गई थी। रोड-शो का कांग्रेस पार्टी का सबसे पुराना और हिट फार्मूला रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी इस फामूर्ले को अपनाएंगी। इसका खाका तैयार हो रहा है। उप्र के दिग्गज कांग्रेस नेताओं का मानना है कि प्रियंका गांधी का यह रोड-शो उप्र के मतदाताओं की महफिल लूट लेगा। कहा जा रहा है कि यदि प्रियंका गांधी को कांग्रेस महासचिव बनाने की घोषणा जुलाई-अगस्त 2018 में हुई होती तो उप्र से पार्टी की 40 सीटें आनी तय थीं। अब लोकसभा चुनाव की घोषणा होने में महज कुछ दिन बचे हैं। लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव 2019 में अपना कमाल जरूर करेगी।
ऐसा माना जा रहा है। कांग्रेस के लिए संतोष की बात यह है कि तकरीबन हर सीट के सर्वे में उसके वोट शेयर में बढ़ोतरी देखी गई है। इसमें प्रधानमंत्री मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी, सीएम योगी की पूर्व लोकसभा सीट गोरखपुर और डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की पूर्व लोकसभा सीट फूलपुर भी शामिल है। सर्वे के मुताबिक, वाराणसी में जहां पहले कांग्रेस को 16 फीसदी वोट मिलते दिख रहे थे, वहीं ताजा सर्वे में उसे 28 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है। यहां बीजेपी को 2 प्रतिशत का नुकसान होता दिख रहा है। यहां उसे 53 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। बात गोरखपुर सीट की करें तो यहां बहुत मामूली बढ़त के साथ कांग्रेस को 12 फीसदी वोट मिल सकते हैं। हालांकि, प्रियंका गांधी के आने के बाद से यहां कांग्रेस के वोट में 11 फीसदी का इजाफा होता दिख रहा है। राजनाथ सिंह की लखनऊ सीट पर कांग्रेस 5 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 28 फीसदी वोट पा सकती है।
कहा जाता है कि प्रियंका सुलझी हुई हैं। सधा, जमीनी बयान देती हैं। चुनाव के पैंतरे को बखूबी समझती हैं। कांग्रेस के नेताओं के अनुसार प्रियंका का जनता के भीतर एक क्रेज है। राज्यसभा सांसद संजय सिंह, उप्र कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर भी प्रियंका गांधी को बहुत लोकप्रिय मानते हैं। ऐसे में कांग्रेस नेताओं को डर है कि कहीं प्रियंका के रोड-शो को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भी मंजूरी न दे। ठीक वैसे ही जैसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को रोड-शो नहीं करने दिया।
बताते हैं इसके कारण अभी प्रियंका गांधी या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के रोड-शो और चुनाव प्रचार अभियान को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। राज बब्बर कहते हैं कि आप जरा देखिए। उनके चेहरे पर आखिर इतनी घबराहट क्यों है? संजय सिंह कहते हैं कि जरा चुनाव को थोड़ा और नजदीक आने दीजिए, सब पता चल जाएगा। राहुल गांधी के कार्यालय के एक सक्रिय सदस्य बदलाव से जुड़े सवाल पर सीधे राहुल की जनसभाओं की तस्वीर भेज देते हैं।
बताते हैं कि आप 2013 को याद कीजिए। राहुल गांधी के कार्यक्रम की जगह खोजनी पड़ती थी। कुर्सियां खाली रह जाती थी। आज भी जगह खोजनी पड़ती है, क्योंकि जनसभा के लिए बड़ा मैदान चाहिए। जनता जनार्दन की जोरदार भीड़ उमड़ रही है। सूत्रों का कहना है कि पटना के गांधी मैदान में राहुल गांधी की जनसभा में इतनी भीड़ के बारे में हमने सोचा नहीं था। उड़ीसा में ही देख लीजिए।
राहुल गांधी को सुनने लोग आ रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पार्टी कम्यूनिकेशन विभाग के सचिव विनीत पुनिया कहते हैं कि यह वक्त बदलाव का है। प्रियंका गांधी की सक्रियता से कांग्रेसी कार्यकर्ता अप्रतिम उर्जा से लबरेज हैं। इसका लाभ कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में जरूर मिलेगा। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने कांग्रेस जनों में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। बहरहाल, अब देखना यह है कि प्रियंका चुनाव में कितना कमाल कर पाती हैं?
लेखक: राजीव रंजन तिवारी
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