पुलिस व्यवस्था और पुलिस प्रशिक्षण में गुणात्मक बदलाव लाए जाने की आवश्यकता है। ये विचार हाल ही में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद में आयोजित पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त किए। स्मार्ट पुलिस के निर्माण के उल्लेख के तुरंत बाद उनकी इस सलाह का व्यावहारिक महत्व बढ़ जाता है। यह पुलिस प्रशिक्षण में पेशेवर कौशल और मानवीय जीवन की पृष्ठभूमि में मानवीय समस्याओं से निपटने के लिए आवश्यक गुणों की ओर संकेत करता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि देश में सुरक्षा परिदृश्य बदल गया है इसलिए पुलिस व्यवस्था में प्रौद्योगिकी और मानवीय संपर्क दोनों का समान महत्व है। अपराध निवारण और अपराधों का पता लगाने के लिए अनेक प्रौद्योगिकी उपकरणों का आविष्कार किया गया है। किंतु पुलिस व्यवस्था के कठिन कार्य में मानवीय पहलू में सुधार के मामले में हमारा रिकार्ड बहुत धीमा है।
इसका दोष पूर्णत: पुलिस संगठन को नहीं दिया जा सकता है। समाज को भी पुलिस व्यव्स्था के लिए मानक निर्धारित करने होंगे और पुलिस को अपने कार्यकरण में उन मानकों को बनाए रखने में सहायता करनी होगी। पुलिस और जिस समाज की वह सेवा करता है वे परस्पर निर्भर हैं और दोनों में पारस्परिक समझ और सम्मान होना चाहिए। वर्तमान में लोगों और पुलिस के संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं हैं। लोग तब तक पुलिस की मदद नहीं लेते हैं जब तक उन्हें गंभीर अपराधों या नुक्सान में ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता है। पुलिस के कार्यों में जनता का सहयोग अन्य देशों में स्वीकार्य है। भारत में भी यह अपनाया गया है, किंतु व्यवहार में अधिक देखने को नहीं मिलता है। मोदी ने इस ओर संकेत किया कि पुलिसकर्मी को मानव और सामाजिक विज्ञान के कुछ पहलुओं का ज्ञान होना आवश्यक है।
वर्तमान में पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण में कानून, कानूनी प्रक्रिया, फोरेंसिक विज्ञान, हथियार प्रशिक्षण आदि शामिल हैं, जो अपराध नियंत्रण के लिए आवश्यक हैं। इसके अलावा उन्हें नेतृत्व प्रबंधन, नैतिक मूल्यों और मानव अधिकारों का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। अब इसमें बदलाव की मांग की जा रही है। जिससे सामुदायिक आधारित जनोन्मुखी समस्याओं को सुलझाने वाली पुलिस व्यवस्था बन सके न कि एक यांत्रिक कानून प्रवर्तन एजेंसी बने। राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के उद्देश्य कथन में कहा गया है कि वह अपने छात्रों में ऐसे मूल्यों और मानदंडों की भावना पैदा करने का प्रयास करेगी, जिससे वे जनता की बेहतर सेवा करे, मानव अधिकारों का सम्मान करे, कानून और न्याय के उदार दृष्टिकोण को समझें, पेशेवरता, शारीरिक तंदुरूती और मानसिक सजगता के उच्च मानकों को प्रा΄त करें।
पुलिस व्यवस्था के प्रत्येक पहलू पर अब गुणात्म्क बदलाव की आवश्यकता है। इन पहलुओं में अपराध का पता लगाना, अपराध निवारण, संदिग्ध अपराधियों, पीड़ितों और दर्शकों के साथ व्यवहार शामिल है। पुलिस प्रशिक्षण में सुधार के लिए अनेक देशों में कार्य किया जा रहे हैं। लोकतांत्रिक देशों में पुलिस का कार्य जनता का कल्याण है। किसी भी शासन व्यव्स्था में पुलिस एक सामाजिक साधन है जिसका कार्य जीवन और संपत्ति की सुरक्षा करना है किंतु सामान्यतया इसे कानून लागू करने वाली एजेंसी के रूप में देखा जाता है जिसे जनता के साथ व्यवहार करने के लिए धमकाने की शक्तियां प्रा΄त हैं।
अमेरिका के फेडरल ब्यूरो आॅफ इन्वेस्टीगेशन ने अपने एक बुलेटिन में एक आदर्श पुलिस अधिकारी के गुणों में पहल, नैतिक मूल्यों का पालन, काननू का ज्ञान, संप्रेषण कौशल, बुद्धिमता, सभ्यता, सेवा भाव, विनम्रता, गुस्से पर नियंत्रण और नए ज्ञान प्रा΄त करने की चाह शामिल किए हैं। किसी भी लोकतांत्रिक देश में पुलिसकर्मियों के पास ये गुण होने चाहिए।
एक सच्चे पुलिसकर्मी को उस समाज के मूल्यों का पालन करना चाहिए, जिसकी वह सेवा करता है। इसलिए पुलिसकर्मियों को मूल्य आधारित प्रशिक्षण देना आवश्यक बन गया है ताकि वे व्यक्ति और समुदाय के अधिकारों का सम्मान कर सकें। मूल्य केवल भावनात्मक गुण नहीं है, वे किसी भी संगठन के मार्ग-निर्देशन और कर्मचारियों के व्यवहार के लिए आवश्यक है। वे उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए भी आवश्यक है। संगठनात्मक मूल्य, उत्कृष्ट व्यवहार और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ाते हैं। इससे व्यक्तिगत और पेशेवर मानक अपनाए जाते हैं। पुलिस को जनता का सम्मान करना चाहिए और अपने कर्तव्यों के निर्वहन में गरिमा का पालन करना चाहिए।
राज्यों में राज्य स्तरीय पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए राज्य पुलिस अकादमियां हैं। इन अकादमियों में भी गुणात्मक सुधार के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम बनाए गए हैं। उदाहरण के लिए केरल पुलिस अकादमी ने पुलिसकर्मियों में मानसिक दबाव का सामना करने और पुलिसकर्मियों की शारीरिक स्वस्थता के लिए पाठ्यक्रम में संशोधन किया है तथा पुलिस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में पहले ही योगा शुरू कर दिया गया है। पंजाब पुलिस अकादमी का उद्देश्य ऐसे पुलिस अधिकारियों को तैयार करना है जो पुलिस बल का साहस, सत्य निष्ठा, ईमानदारी, समर्पण और सेवा भावना से कमान संभालें और इसमें उच्च शिक्षा, प्रौद्योगिकी प्रगति तथा मानव अधिकारों पर विशेष बल दिया गया है। अन्य राज्यों में भी ऐसे ही प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
पुलिस कर्मियों के दृष्टिकोण और व्यवहार में गुणात्मक बदलाव की आवश्यकता है। पुलिसकर्मियों को आम नागरिकों की संवेदनशीलता के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए और यह आवश्यक है कि वे अपनी कार्यवाही में कानूनी पहलुओं के साथ-साथ मानवीय भावना को भी ध्यान में रखें और इसका उद्देश्य पुलिस बल को कुशल, लोकतांत्रिक और मानवीय बनाना है।