इन दिनों डेंगू का डंक कई जानें ले चुका है। राजधानी दिल्ली सहित कई अन्य स्थानों पर सैकड़ों जानें डेंगू की वजह से जा चुकी हैं और हजारों लोग डेंगू की बीमारी से पीड़ित हैं। मरने वालों में बच्चे, जवान आदि सभी शामिल हैं। मच्छर सभी स्थानों पर पाये जाते हैं। आप यदि सावधान नहीं है तो यह छोटा सा मच्छर कब आपको काटकर चला गया और डेंगू, चिकुनगुनिया, फेल्सीफेरम मलेरिया, जापानी बुखार जैसे खतरनाक रोगों के कीटाणु आपके शरीर में प्रवेश करा गया था या नहीं, आप तुरंत पता भी नहीं लगा सकते। मच्छर ने यदि काट लिया तो आप पूरी तरह भाग्य भरोसे हो जाते हैं कि मच्छर बीमारी के कीटाणु आप के शरीर में डाल गया या नहीं और यदि डाल गया तो कौन सी बीमारी के डाल गया क्योंकि हम नहीं देख पाते कि किस जाति के मच्छर ने हमें काटा है क्योंकि अलग-अलग बीमारी फैलाने के अलग अलग जाति के मच्छर होते हैं।
आपको यह जानकर और आश्चर्य होगा कि मादा मच्छर बीमारी के कीटाणु लेकर पैदा नहीं होतीं। नर मच्छर वनस्पति पर अपना पेट पाल लेता हैै। खून की आवश्यकता केवल मादा मच्छर को ही रहती है। यदि उसने केवल स्वस्थ मानव का खून पिया है तो वह मादा मच्छर किसी अन्य को बीमारी नहीं फैला पाती लेकिन यदि उसने डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया आदि से बीमार मरीज का खून चूसा है तो ऐसा मादा मच्छर कुछ ही दिन में बीमारी फैलाने वाला खतरनाक मच्छर बन जाता है और 5-10 दिन के बचे जीवनकाल में जितनों को यह काटेगा।
उनको बीमारी के कीटाणु अपनी लार के द्वारा मानव खून में पहुंचा देगा। मच्छर के काटने के कुछ दिनों पश्चात डेंगू के लक्षण 4 से 6 दिन में और मलेरिया के 10 से 14 दिन में उत्पन्न होते हैं। इसलिए आप अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करें। अपने क्षेत्र में निम्नलिखित अभियान अवश्य चलायें। निकटतम अस्पताल प्रबंधन से निवेदन करें कि बुखार के मरीजों को मच्छरदानी में ही रखने की व्यवस्था बनायें व अस्पताल को मच्छर विहीन रखें। ऐसे अस्पतालों में जाने से बचें जहां मच्छर हों।
घर में बुखार के मरीज को भी मच्छरदानी में रखें और घर भी तुरंत मच्छर विहीन करें। सार्वजनिक स्थानों जैसे सिनेमाहाल, चेंजिंग रूम, नाट्यगृह, टैक्सी, सड़क, स्कूल आदि के मच्छरों को काटने न दें क्योंकि ये मच्छर बीमारी फैलाने वाले कीटाणु लिये हो सकते हैं। आप ऐसे स्थानों पर फुल बाहों के कपड़े, मोजे पहनें और शेष खुले अंगों पर मच्छर रोधी क्रीम या नारियल या सरसों तेल में नीम तेल मिलाकर लगाकर ही निकलें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें अथवा मच्छररोधी क्रीम लगायें। मच्छर खत्म करने के जो भी तरीके आप अपना सकते हों, अपनायें लेकिन कोई भी मच्छर, कहीं का भी मच्छर आप को न काट पाये, ऐसे तरीके अवश्य आजमायें क्योंकि अपनी और अपने प्रिय की सुरक्षा हम सभी को करनी है।
एक बार पुन: जान लें कि डाक्टरों की मेहनत, मरीज की रोगों से लड़ने की शक्ति और मरीज का अच्छा भाग्य ही इस बीमारी से रोगी को मौत के मुंह से निकाल पाता है, अत: मच्छरों को किसी भी हाल में काटने न दें। मच्छरों से वैसे ही डरें जैसे आप कुत्ते के काटने से डरते हैं या उसे देखते ही भगा देते हैं। ये संदेश अधिक से अधिक लोगों को पहुंचाये, तभी भारत जैसे विकासशील देश में इस बीमारी का फैलाव रोका जा सकता है। 5 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए मच्छर काटना ज्यादा घातक हो सकता है, अत: मच्छर न काट पाये, इस बात का विशेष ध्यान सभी रखें।
-लेखक प्रहलाद अग्रवाल