‘सेल्फी विद डॉटर’ से बढ़ेगा बेटियों का मान

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रंग लाई जींद के युवा की मुहिम, राष्ट्रपति ने लांच किया मोबाइल एप

  • पहली सेल्फी में राष्ट्रपति संग नजर आर्इं हरियाणा की बेटियां

नरवाना(बिन्टू सिंह)। हरियाणा की बेटियों को विश्व स्तर पर नई पहचान देने के लिए देशव्यापी सेल्फी विद डॉटर अभियान शुरू करने वाले जींद जिले के गांव बीबीपुर के नौजवान सुनील जागलान की मुहिम को शुक्रवार को उस समय और बल मिला जब भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए एक मोबाइल एप लांच किया।

अब कोई भी व्यक्ति अपनी बेटी के साथ सेल्फ ी लेकर इस एप के माध्यम से म्यूजियम में अपनी फ ोटो अपलोड कर सकता है। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने हरियाणा से दिल्ली पहुंची छोटी बच्चियों के साथ सेल्फ ी लेकर इस एप के माध्यम से उसे अपलोड कर औपचारिक उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि महिलाओं अथवा बेटियों की जरूरतों को ध्यान में रखकर विकास योजनाओं का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के उस संदेश का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी भी राष्टÑ की तरक्की का सूचक वहां की महिलाओं को मिलने वाला सम्मान होता है।

महामहिम ने जींद के गांव बीबीपुर निवासी सुनील जागलान द्वारा शुरू किए गए अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि हरियाणा के एक छोटे से गांव से शुरू हुआ अभियान सेल्फ ी विद डॉटर आज समूचे विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुका है और इस अभियान के बल पर बेटियों को समाज में अधिक सम्मान व गौरव मिला है।

पीएम मोदी ने मन की बात में किया था उल्लेख

जींद जिले के गांव बीबीपुर निवासी सुनील जागलान द्वारा शुरू किए गए इस अभियान ने जहां बेटियों को अलग पहचान दिलाई है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जून 2015 को मन की बात कार्यक्रम में इसका उल्लेख करते हुए बधाई दी थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे के दौरान भारतीयों के लिए दिए गए भाषण में भी इस अभियान का उल्लेख किया था।

इसलिए शुरू किया अभियान

इस अवसर पर सुनील जागलान ने बताया कि 24 जनवरी 2012 को जब एक अस्पताल में उनकी बेटी का जन्म हुआ तो अस्पताल की एक नर्स के चेहरे भाव बड़े अजीबोगरीब थे। अस्पताल से छुट्टी के समय उन्होंने जब नर्स को मिठाई बांटने के लिए दो हजार रुपए दिए तो उसने यह कहते हुए लेने से इनकार कर दिया कि अगर बेटा होता तो हम यह ले सकते थे आप केवल 100 रुपए ही दे दीजिए। इस घटनाक्रम के बाद उन्होंने समाज की बेटियों के प्रति सोच बदलने तथा उन्हें गौरव दिलाने की दिशा में कई प्रयास किए,जो बेहद सफल हुए हैं।

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