Land Cruiser Cars: सीएम की सुरक्षा के लिए 14 नई लैंड क्रूजर गाड़ियां खरीदने की तैयारी

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Chandigarh News: सीएम की सुरक्षा के लिए 14 नई लैंड क्रूजर गाड़ियां खरीदने की तैयारी

5 साल पूर्व भी गाड़ियां खरीदने के लिए वित्त विभाग से नहीं मिली थी मंजूरी

  • 40 करोड़ रुपये होंगे खर्च, गृह विभाग ने फाइल तैयार की

चंडीगढ़ (सच कहूँ/अश्वनी चावला)। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) की सुरक्षा के लिए जल्द ही 14 नई लैंड क्रूजर गाड़ियां खरीदी जाएंगी, जिनकी अनुमानित लागत लगभग 40 करोड़ रुपये होगी। इस मामले में गृह विभाग ने फाइल तैयार कर ली है और जैसे ही मंजूरी मिलती है, गाड़ियों की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सरकार का तर्क है कि मौजूदा गाड़ियों की उम्र समाप्त हो चुकी है और मुख्यमंत्री की सुरक्षा में कोई भी कमी नहीं होनी चाहिए, जिसके चलते नई गाड़ियों की खरीद आवश्यक है। इससे पहले, पंजाब सरकार ने 2016 में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के लिए लैंड क्रूजर गाड़ियां खरीदी थीं। Chandigarh News

जानकारी के अनुसार, पंजाब के मुख्यमंत्री को सुरक्षा कारणों से हमेशा उच्च संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि पंजाब पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ राज्य है। इसके अलावा, 29 साल पहले 31 अगस्त 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद से राज्य के प्रत्येक मुख्यमंत्री को बुलेटप्रूफ गाड़ियों में यात्रा करने की अनुमति दी जाती है। Chandigarh News

गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत लैंड क्रूजर गाड़ियों की वैलीडिटी 8 साल मानी जाता है। वर्तमान में मुख्यमंत्री भगवंत मान के काफिले में जो गाड़ियां चल रही हैं, उनकी उम्र अब 9 साल हो चुकी है। यह गाड़ियां ज्यादा किलोमीटर तक चल चुकी हैं, इसलिए सुरक्षा के लिहाज से ये अब उपयुक्त नहीं मानी जा सकतीं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री के लिए नई गाड़ियों की खरीद की आवश्यकता महसूस हो रही है।

वित्त विभाग ने लगाई थी रोक | Chandigarh News

गृह विभाग ने 2019 में भी मुख्यमंत्री के काफिले के लिए नई लैंड क्रूजर गाड़ियों की खरीद की योजना बनाई थी, लेकिन उस वक्त वित्त विभाग ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। विभाग का कहना था कि गाड़ियों की उम्र पूरी हो चुकी है और नए प्रोटोकॉल के तहत नई गाड़ियों की खरीद जरूरी थी, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने इसे टाल दिया था। अब, पांच साल बाद इस प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जा रहा है, ताकि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में कोई भी कमी न हो।

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