चंडीगढ़ पर पूरा कंट्रोल लेने के लिए केंद्र के खिलाफ पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पास
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हरियाणा के मुख्यमंत्री की दो टूक- चंडीगढ़ हरियाणा और पंजाब की राजधानी है और रहेगी
चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़)। हरियाणा-पंजाब की काॅमन राजधानी चंडीगढ़ के मसले पर बवाल मचना शुरू हो गया है और ये बवाल घमासान (Fight Over Chandigarh) में बदलने के पूरे आसार हैं। शुक्रवार को पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने विधानसभा में एक प्रस्ताव लाकर चंडीगढ़ पर पूर्ण हक की मांग कर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है।
वहीं इस मसले पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर भी कड़े तेवरों में आए और शुक्रवार को ही ब्यान जारी कर दो टूक कह दिया कि चंडीगढ़ दोनों राज्यों हरियाणा और पंजाब की राजधानी है और रहेगी भी। दोनों राज्यों के बीच केवल चंडीगढ़ का ही मसला नहीं है बल्कि कई मुद्दे हैं। सीएम खट्टर ने कहा कि केंद्र सरकार ने चंडीगढ के कर्मचारियों की मांग और उनके हित में केंद्रीय सेवा नियम लागू करने का निर्णय लिया है। पंजाब सरकार इस मसले पर जनता को गुमराह कर रही है।
केंद्र के फैसले से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को होगा फायदाः खट्टर
उन्होंने कहा कि इस फैसले से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को काफी फायदा होगा। पहले हर आदेश के लिए चंडीगढ़ के कर्मचारियों को पंजाब सरकार पर निर्भर रहना पड़ता था। केंद्र से भत्ते या दूसरे बैनिफिट के लिए आदेश होते तो पहले पंजाब नोटिफिकेशन जारी करता था। इसके बाद चंडीगढ़ में यह लागू होती।
अब केंद्र जो नोटिफिकेशन करेगा, कर्मचारियों के लिए वह सीधे लागू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब ने अब तक भी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नही दिया है जबकि हरियाणा ने 2016 में ही इसे लागू कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि चंडीगढ के कर्मचारी भी अभी तक इससे वंचित थे लेकिन अब नए नियम लागू होने के बाद उन्हें इसका लाभ मिल जाएगा।
केंद्र ने बिगाड़ा संतुलनः भगवंत मान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए केंद्र सरकार पर केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन में संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया। साथ ही चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब स्थानांतरित करने की मांग की गई। विधानसभा से पास अपने प्रस्ताव में भगवंत मान ने कहा है कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत पंजाब को हरियाणा राज्य में पुनर्गठित किया गया था।
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और पंजाब के कुछ हिस्सों को तत्कालीन केंद्र शासित प्रदेश हिमाचल प्रदेश को दे दिया गया था। उन्होंने कहा, ’तब से पंजाब और हरियाणा राज्य के नामांकित व्यक्तियों को कुछ अनुपात में प्रबंधन पदों को देकर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड जैसी सामान्य संपत्ति के प्रशासन में एक संतुलन का उल्लेख किया गया था। अपनी कई हालिया कार्रवाइयों के माध्यम से केंद्र सरकार इस संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है।’
मुख्यमंत्री ने बताया, ’चंडीगढ़ प्रशासन हमेशा पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों द्वारा 60रू40 के अनुपात में प्रबंधित किया गया है। हालांकि, हाल ही में केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में बाहरी अधिकारियों को तैनात किया है और चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सिविल सेवा नियम पेश किए हैं, जो कि पूरी तरह से अतीत में हुए समझौतों के खिलाफ है।’
अमित शाह की घोषणा के बाद हुआ संघर्ष शुरू
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पिछले हफ्ते घोषणा के बाद ताजा संघर्ष शुरू हुआ। इसमें उन्होंने कहा था कि चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को केंद्र सरकार में काम करने वाले उनके समकक्षों के समान लाभ मिलेगा। राज्य में विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि इससे चंडीगढ़ पर पंजाब का दावा कमजोर हो जाएगा। हाल के चुनाव में पंजाब में सत्ता में आई सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि चुनाव नतीजों के बाद यह भाजपा की पैनिक प्रतिक्रिया थी। कांग्रेस और अकाली दल ने भी इस कदम का विरोध किया।
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